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जम्मू-कश्मीर में राजस्थान का जवान शहीद:तीन महीने पहले घर पर छुट्‌टी बिताकर लौटे थे, बेटी से कहा था-तुझे आर्मी का अफसर बनना है


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जम्मू-कश्मीर में राजस्थान का जवान शहीद:तीन महीने पहले घर पर छुट्‌टी बिताकर लौटे थे, बेटी से कहा था-तुझे आर्मी का अफसर बनना है

चूरू का जवान जम्मू-कश्मीर में शहीद:तीन महीने पहले घर आए थे, 4 साल की बेटी को कहा था- आर्मी ऑफिसर बनना; गुलमर्ग में तैनात थे

सरदारशहर : चूरू जिले के जवान भंवरलाल सारण (37) पुत्र उमाराम सारण रविवार देर रात जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में शहीद हो गए। भंवरलाल सारण सरदारशहर कस्बे के गांव लूणासर के रहने वाले थे। उनके निधन की सूचना उनके साथी सैनिक पुष्पेंद्र मील ने सोमवार सुबह करीब 9 बजे फोन पर भंवरलाल की पत्नी तारामणी को दी। खबर मिलते ही पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई और मातम छा गया।

बेटी, खूब पढ़ाई करना… तुझे आर्मी में बड़ा अफसर बनना है…

यह अंतिम शब्द थे लूणासर (चूरू) के आर्मी जवान लाल भंवरलाल सारण (37) के, जो उन्होंने छुट्टी खत्म कर ड्यूटी पर लौटते समय अपनी चार साल की बेटी रितिका से कहे थे। किस को पता था कि ये विदाई ही आखिरी होगी। जवान जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में रविवार (8 जून) देर रात ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए। शहादत की सूचना मिलते ही लूणासर गांव में कोहराम मच गया। पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।

भंवरलाल सारण 2015 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे।
भंवरलाल सारण 2015 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे।

कल सैन्य सम्मान से होगा अंतिम संस्कार

शहीद का पार्थिव शरीर सोमवार शाम श्रीनगर में रखा गया था। मंगलवार सुबह 10:30 बजे दिल्ली लाया गया। जहां से सड़क मार्ग से दोपहर 2 बजे सरदारशहर के लिए रवाना किया जाएगा। रास्ते में राजगढ़, तारानगर, भालेरी और राजस्थान बॉर्डर पर श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। रात करीब 10 बजे पार्थिव देह के साथ सेना के जवान सरदारशहर पहुंचेंगे।

बुधवार सुबह 8 बजे तिरंगा स्टेडियम, सरदारशहर से ‘तिरंगा यात्रा’ निकाली जाएगी, जो पार्थिव देह को अंतिम सफर पर लेकर लूणासर गांव पहुंचेगी। वहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

जवान की पत्नी तारामणी और चार साल की बेटी रितिका।
जवान की पत्नी तारामणी और चार साल की बेटी रितिका।

गांव के हर घर में सन्नाटा पसरा

शहादत की खबर से बुजुर्ग पिता उमाराम और मां गहरे सदमे में हैं। पत्नी तारामणी, जो 2014 में इस घर में ब्याह कर आई थीं, गुमसुम बैठी हैं और कुछ भी कह पाने की हालत में नहीं हैं। छोटी-सी बेटी रितिका को अब तक समझ नहीं आ रहा कि उसके पापा अब कभी घर नहीं लौटेंगे।

2015 में सेना में भर्ती हुए थे

गांव के सरपंच भंवरलाल पांडर ने बताया कि भंवरलाल सारण 2015 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। वे हमेशा अनुशासनप्रिय, हंसमुख और सहयोगी स्वभाव के थे। सेना में रहते हुए भी वे गांव और परिवार से जुड़े रहे। वर्तमान में वे गुलमर्ग सेक्टर में तैनात थे।

छोटे भाई को भी सेना में जाने का सपना

भंवरलाल के छोटे भाई मुकेश सारण सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। अब भाई की शहादत ने उनके संकल्प को और भी दृढ़ कर दिया है। उन्होंने कहा-भाई ने जिस धरती के लिए प्राण दिए, मैं भी उसी राह पर चलूंगा।

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