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रमजान का संदेश ‌ मानव के अधिकारों का ख्याल रखना ‌- हाफिज एम डी खान


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रमजान का संदेश ‌ मानव के अधिकारों का ख्याल रखना ‌- हाफिज एम डी खान

रमजान का संदेश ‌ मानव के अधिकारों का ख्याल रखना ‌- हाफिज एम डी खान

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान

चूरू : जिला मुख्यालय से ‌ हाफिज एम. डी. खान ‌ इमाम मस्जिद तौहिद नई सड़क ने ‌ माहे रमजान की मुबारकबाद देते हुए। कहा वर्ष में एक बार रमज़ान आता है ।और एक महीने के पश्चात फिर हम से विदा हो जाता है परन्तु वह हमें यह संदेश देकर जाता है कि-! ऐ अल्लाह के बन्दो। जिस प्रकार इस महीने में अल्लाह ता आला की आज्ञाकारी प्राप्त करने के लिए कठोर परिश्रम किया भविष्य में भी नेकियाँ कमाने में प्रयत्नशील रहना, देखना तुम्हारी नमाज़ें न छूटने पायें, सदैव कुरआन का पठन करते रहना, सोमवार और गुरुवार के रोजे रखते रहना, अल्लाह को याद करते रहना, दान खैरात का क्रम बन्द न हो, मानव के अधिकारों का ख्याल रखना, अपनी ज़बान हृदय और नफस पर संतुलन रखना। इस महीने में संयम, उत्तम आचरण और सद्व्यवहार का जो अभ्यास किया है आने वाले ग्यारह महीनों में अपने जीवन में उन्हें लागू करने का वादा कर लो। याद रखिए ! अल्लाह की जन्नत कोई गिरी पड़ी चीज नहीं कि निः शुल्क माल समझ कर हम उसे उठालें, वह कोई घटिया माल नहीं कि औने पौने देकर उसे खरीद लें, वह संसार की सब से मंहगी और सब से बहुमूल्य चीज़ है, ।उसे हम केवल रमजान के रोज़े और वर्ष की कुछ विशेष रातों में उपासनाओं के द्वारा प्राप्त नहीं कर सकते, बल्कि इस्लाम के रास्ते में प्राण, धन दौलत और अपनी पूंजी को बलिदान देकर ही प्राप्त कर सकते हैं। इस्लाम हम से वर्ष के कुछ दिनों का नहीं बल्कि पूरे जीवन की माँग करता है, कुरआन की यही घोषणा है -ए- ईमान वालों। इस्लाम में पूरे पूरे दाखिल हो जाओं” (अल- बारा 208)निःसंदेह मेरी नमाज़ मेरी बलि, मेरी जिन्दगी और मेरी मौत अल्लाह तआला के लिए है।” (सुरह – अन् आम-162)रोजे के आदाब ! रसूलुल्लाह सल्ल० ने फ़रमाया, मेरी उम्मत के लोगों में उस वक़्त तक खैर बाक़ी रहेगी जब तक वो इफ़्तार मैं जल्दी करते रहेंगे। (सही बुखारी: 1957) रमजान के दौरान, मुसलमान रोज़ा रखकर, दान-पुण्य करके और सामुदायिक गतिविधियों में भाग लेकर सामाजिक एकता, सहानुभूति और करुणा को बढ़ावा देते हैं, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव आते हैं। आत्म-नियंत्रण और आत्म-सुधारःरमजान मुसलमानों को आत्म-नियंत्रण और आत्म-सुधार के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे वे बेहतर व्यक्ति बन सकते हैं और समाज में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।

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