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रमजान में जकात की अदायगी के लिए आखिरी रोजे का इंतजार न करें पहले ही निकाल दे ताकि दूसरों के घरों की भी ईद अच्छी हो सके – मुफ्ती सिकंदर-ए-आजम


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रमजान में जकात की अदायगी के लिए आखिरी रोजे का इंतजार न करें पहले ही निकाल दे ताकि दूसरों के घरों की भी ईद अच्छी हो सके – मुफ्ती सिकंदर-ए-आजम

रमजान में जकात की अदायगी के लिए आखिरी रोजे का इंतजार न करें पहले ही निकाल दे ताकि दूसरों के घरों की भी ईद अच्छी हो सके - मुफ्ती सिकंदर-ए-आजम

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान

 चूरू : जिला मुख्यालय पर स्थित ‌ मदरसा मदीना -तुल -उलूम ‌ मोहल्ला तेलियान ‌ के ‌ मुफ्ती (विद्वान) सिकंदर-ए-आज़म की तरफ से सातवां ‌‌ रोजा मुबारक हो ‌ आपने कहा बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है। हदीस और कुरान की कुछ बातें जो हमने सही हदीस और कुरान की रोशनी में रखी है। रमजान में जकात कि अदायगी के लिए आखिरी रोजे का इंतजार न करें पहले ही निकाल दें ताकि दूसरों के घरों की ईद अच्छी हो सके।‌ आपके आसपास या रिश्तेदारी में कोई गरीब हो तो उसका हक है कि आप उसकी मदद करें। मदद भी ऐसे करें कि एक हाथ से दे तो दूसरे हाथ को भी महसूस ना हो कि आपने ‌ किसी की मदद की है। बड़ा मेहरबान है वो रब जिसने हमे इतना रहमत और बरकत वाला महीना दिया जितनी तारीफ करो उतनी कम है।बेशक अल्लाह हमे हर साल एक मौका देता है ताकि हम ईमान वाले मोमिनों में से हो जाए।बेशक जो शक्श चाहे अपने गुना की बक्सिस करा ले बेशक अल्लाह बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है। इसलिए हम आपके लिए प्यारे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हदीस मुबारक पेश है जिसमे हम रमजान में होने वाले अमल, फायदा, बरकत, ‌ इबादत ,‌ सब अल्लाह के लिए हैं।

रमजान के महत्व के बारे में मुफ्ती के बयान के मुख्य कुछ बिंदुः

  1. रोज़ा का महत्वः रमजान के महीने में मुसलमान रोज़ा रखते हैं, जो इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। रोज़ा रखने से मुसलमान अपने आप को अल्लाह के प्रति समर्पित करते हैं और अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं।
  2. कुरान भी नाजिलः रमजान के महीने में ही हुआ। जो मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र पुस्तक है।
  3. इबादत और आत्म-शुद्धिः रमजान के महीने में मुसलमान अपने आप को इबादत और आत्म-शुद्धि के लिए समर्पित करते हैं। वे अपने गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं और अपने आत्मा को शुद्ध करते हैं।
  4. सामाजिक एकता और सहयोगः रमजान के महीने में मुसलमान एक दूसरे के साथ मिलकर इफ्तार और सेहरी का आयोजन करते हैं, जो सामाजिक एकता और सहयोग को बढ़ावा देता है।
  5. अल्लाह की रहमत और बरकतः रमजान के महीने में मुसलमान उम्मीद करते हैं। वे अपने गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की कोशिश करते हैं। छोटे बच्चों के लिए रोज़ा रखना एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुभव हो सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि वे स्वस्थ और सुरक्षित रहें। इस्लाम में बच्चों को रोज़ा रखने की उम्र आमतौर पर 7 साल मानी जाती है, लेकिन यह उम्र बच्चे की शारीरिक और मानसिक परिपक्वता पर निर्भर करती है।

छोटे बच्चों के लिए रोज़ा रखने के कुछ सुझाव यह हैं:

  • धीरे-धीरे शुरू करें: बच्चों को पहले से ही रोज़ा रखने की आदत डालने के लिए, आप उन्हें छोटे समय के लिए रोज़ा रखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
  • उनकी सेहत का ध्यान रखें बच्चों को रोज़ा रखने से पहले यह सुनिश्चित करें कि वे स्वस्थ हैं और कोई बीमारी तो नहीं है।
  • उन्हें पानी और भोजन की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करें: बच्चों को यह समझने में मदद करें कि रोज़ा रखने के दौरान पानी और भोजन की आवश्यकता क्यों होती है।
  • बच्चों को रोज़ा रखने में समर्थन और प्रोत्साहन दें, और उन्हें अपने अनुभवों के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • उन्हें रोज़ा के महत्व के बारे में शिक्षित करें: बच्चों को रोज़ा के महत्व और इसके धार्मिक और नैतिक मूल्यों के बारे में शिक्षित करें।

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