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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का विजन: दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों की सरकार करेगी सहायता


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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का विजन: दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों की सरकार करेगी सहायता

मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल सम्बल योजना से मिलेगा संबल

बालोतरा : दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बालक एवं बालिकाओं को राहत देने के लिये मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल सम्बल योजना को संपूर्ण राजस्थान राज्य में शुरू किया है।

दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के इलाज में सरकार सहयोगी बनेगी। ऐसे बच्चों को चिन्हिकृत कर सरकार उन्हें आर्थिक सहायता देगी। मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल संबल योजना के तहत 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे जो दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित हैं, उनके परिवारों को पात्रतानुसार निरन्तर आर्थिक सहायता दी जाएगी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अनुसार सरकार ने 58 तरह की बीमारियों को दुर्लभ माना है। योजना से लाभान्वित करने के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, वहीं विभाग की ओर से ऐसे बच्चों को चिन्हीकृत किया जा रहा है।

हर माह मिलेगी सहायता

दुर्लभ बीमारियों से पीड़ितों को आर्थिक सहायता देने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधीन दुर्लभ बीमारी निधि का गठन किया जाएगा। इस निधि में राज्य सरकार से अनुदान के अलावा क्राउड फंडिंग, भामाशाहों व सीएसआर से प्राप्त राशि को जमा कर पीड़ितों की सहायता की जाएगी। आवेदन के आधार पर सभी तथ्य सही व पाए जाने पर प्रक्रिया के तहत पीड़ित को प्रति माह 5000 रुपए की राशि दी जाएगी। पीड़ित का 50 लाख रुपए तक उपचार करवाया जाएगा। योजना के तहत दुर्लभ बीमारी के प्रमाणन के लिए केन्द्र व राज्य की ओर से घोषित चिकित्सा संस्थाओं के सक्षम अधिकारी अधिकृत होंगे।

ये हो सकेंगे लाभान्वित

दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त बच्चे जो 18 वर्ष से कम आयु, राजस्थान के मूल निवासी हो, लाभान्वित हो सकेगें। योजनान्तर्गत सक्षम चिकित्सा अधिकारी की ओर से दुर्लभबीमारी से पीड़ित होने का प्रमाण पत्र जरूरी होगा। बीमारी का उपचार होने पर सहायता बंद हो जाएगी। पालनकर्ता, बालक या बालिका के दुर्लभ बीमारी से पीड़ित होने की स्थिति में जनाधार नम्बर से ई-मित्र अथवा स्वयं की एसएसओ आईडी से बायोमेट्रिक या ओटीपी के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन किया जाएगा। सरकार ने दुर्लभ बीमारियों को सूचीबद्ध किया है। विभाग की ओर से भी चिकित्सा विभाग के माध्यम से सम्पर्क कर इस तरह के बच्चों को आइडेंटिफाई किया जा रहा है।

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