एक दरख्त ज़रूर लगाएं, करामत खान उर्दू अदीब
एक दरख्त ज़रूर लगाएं, करामत खान उर्दू अदीब

जनमानस शेखावाटी सवंददाता : मोहम्मद अली पठान
चूरू : जिला मुख्यालय पर करामत खान ने कहा हम सबको ब-खूबी मालूम है कि अभी बारिश का मौसम चल रहा है। बारिश के इस मौसम में एक दरख़्त ज़रूर लगाएं। क्योंकि दरख़्त और पौधे इंसान की ज़िन्दगी के लिए बहुत सारे फायदों का ज़रीआ हैं। जहाँ जितने ज़ियादा दरख़्त होंगे वहां की हवा भी उतनी ही ज़ियादा साफ और खुश-गवार होगी। कुदरत ने दरख़्तों में बहुत सारी खूबियां रखी हैं। उन खूबियों की वजह से यह दरख्त हवा को साफ रखने में अपना अहम किरदार अदा करते हैं। अच्छे माहौल ( पर्यावरण ) के लिए दरख्त और पौधों का होना बहुत ज़रूरी है। बिना दरख़्त के माहौल साफ – सुथरा नहीं रह सकता।
दरख़्त इंसान की ज़िन्दगी के लिए बहुत अहम चीज हैं, इनके बगैर ज़िन्दगी बसर करना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हो जाता है। दरख़्त न रहे तो इंसान की ज़िन्दगी का तसव्वुर भी खतरे में है। दरख्त के बहुत सारे फायदे हैं। दरख़्त कार्बनडाई ऑकसाइड को जज़्ब करते हैं और उसको ऑक्सीजन में बदलते हैं, हवा की आलूदगी को खत्म करते हैं,साया फराहम करते हैं,मिट्टी के कटाव को रोकते हैं,तेज आंधी और तूफानी पानी की रफ्तार को कम और सर्दी के मौसम में सर्द हवाओं को धीमा करते हैं,गर्मी के मौसम में जमीन को ठंडा रखते हैं। दरख़्त से हमें फल, फूल, लकड़ी, ईंधन, कागज, दवाई और मवेशियों की खातिर चारा हासिल होता है।
दरख्त अपनी ऊँची टहनियों पर परिंदों को घोंसला बनाने लिए जगह फराहम करते हैं और साथ ही ख़ूबसूरत आवाज़ वाले परिंदों को अपने क़रीब लाते हैं। दरख्त हमारी अच्छी ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए एक बेहतरीन ज़रीआ हैं, कुदरत का एक बेश-कीमती तोहफा और धरती का श्रृंगार हैं। हम ग़ौर करेंगे तो मालूम होगा कि मज़हब-ए-इस्लाम में दरख़्त के लगाने के त’अल्लुक से फज़ाइल बयान किए गए हैं। हदीस शरीफ़ में फ़रमाया गया है कि जो कोई मुसलमान बंदा किसी दरख़्त का पौधा लगाता है, और उस दरख़्त से कोई इंसान या जानवर खाता है तो उस दरख़्त से इंसान या जानवर का खाना, दरख़्त लगाने वाले के लिए सदक़ा होता है लिहाज़ा हम अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए इस बारिश में कम से कम एक दरख़्त जरूर लगाएं।