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एक सप्ताह में कम से कम 30 घंटे करना होगा कार्य


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झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

एक सप्ताह में कम से कम 30 घंटे करना होगा कार्य

बाल न्यायालय का फैसला: दो बालकों को दो साल तक सरकारी अस्पताल में करनी होगी साफ-सफाई

झुंझुनूं : झुंझुनूं के बाल न्यायालय ने विधि संघर्षरत दो बालकों को दो साल तक अस्पताल में साफ-सफाई का कार्य करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने दोनों पर दस-दस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। सेशन न्यायाधीश दीपा गुर्जर ने बालक ’ए’ और ’पी’ को हिंसा करने और कैपर गाड़ी से टक्कर मारकर वैन को क्षतिग्रस्त करने के मामले में यह निर्णय सुनाया। न्यायालय ने दोनों बालकों को आदेश दिया कि वे अगले दो वर्षों तक राजकीय चिकित्सालय के वार्ड, किचन और अन्य स्थानों पर अवैतनिक साफ-सफाई का कार्य करेंगे। इस दौरान उन्हें फर्श पर पौचा लगाने का काम भी सौंपा जाएगा। यह कार्य एक सप्ताह में कम से कम 30 घंटे का होगा। दोनों बालक यह कार्य सीएमएचओ के निर्देशन और देखरेख में करेंगे। इस कार्य की रिपोर्ट हर तीन महीने में सीएमएचओ और परिवीक्षा अधिकारी को न्यायालय में प्रस्तुत की जाएगी।

यह है मामला

मामला 7 मई 2020 का है, जब संदीप कुमार ने बगड़ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि 2020-21 में ग्राम पंचायत प्रतापपुरा के शराब ठेके का लाइसेंस संदीप के नाम था। उस दिन जब संदीप, रवींद्र और सैल्समेन मंजीत सिंह ठेके पर पहुंचे, तो तीन बिना नंबरों की कैपर गाड़ियां आईं। इन गाड़ियों में बैठे लोगों ने दुकान पर हमला कर दिए। उन्होंने जान से मारने की धमकी देते हुए फायरिंग की, शराब की बोतलों को तोड़ा और पिस्टल दिखाकर डेढ़ लाख रुपए भी लूटे। साथ ही, खड़ी वैन को टक्कर मारकर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया। पुलिस ने मामले की जांच की और डकैती के आरोप में दोनों बालकों के खिलाफ आरोप पत्र किशोर न्याय बोर्ड में पेश किया। बाद में यह मामला न्यायालय में भेजा गया।

न्यायालय का निर्णय

न्यायाधीश ने दोनों बालकों को डकैती के आरोप से बरी कर दिया, लेकिन उनके खिलाफ अन्य अपराधों को सिद्ध करते हुए उन्हें अस्पताल में साफ-सफाई का काम सौंपने का निर्णय लिया। बालकों के सामुदायिक सेवा कार्य की रिपोर्ट हर तीन महीने में न्यायालय में पेश करनी होगी।

पेश किए 25 गवाहों के बयान

राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा ने पक्ष रखते हुए 25 गवाहों के बयान पेश किए। न्यायाधीश ने बालकों के सामुदायिक सेवा कार्य के साथ ही जुर्माना लगाने का आदेश दिया और दोनों को 10 फरवरी 2025 को परिवीक्षा अधिकारी और सीएमएचओ के समक्ष पेश होने के लिए कहा।

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