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सीकर के एसके मेडिकल कॉलेज में आर्थ्रोस्कॉपी री-लाइव सर्जरी:डेड बॉडी के घुटनों-लिगामेंट की सर्जरी कर ट्रेनिंग दे रहे डॉक्टर्स


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सीकर के एसके मेडिकल कॉलेज में आर्थ्रोस्कॉपी री-लाइव सर्जरी:डेड बॉडी के घुटनों-लिगामेंट की सर्जरी कर ट्रेनिंग दे रहे डॉक्टर्स

सीकर के एसके मेडिकल कॉलेज में आर्थ्रोस्कॉपी री-लाइव सर्जरी:डेड बॉडी के घुटनों-लिगामेंट की सर्जरी कर ट्रेनिंग दे रहे डॉक्टर्स

सीकर : शेखावाटी ऑर्थोपेडिक सोसाइटी, सीकर की ओर से 6 वें शैक्षणिक कार्यक्रम का आयोजन सांवली रोड स्थित एसके मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी डिपार्टमेंट में किया जा रहा है। जिसमें देश के प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक डॉक्टर्स घुटना आर्थ्रोस्कॉपी कैडवेरिक और री-लाइव सर्जरी के माध्यम से प्रदेशभर से पहुंचे ऑर्थोपेडिक्स के डॉक्टर्स को ट्रेनिंग दे रहे हैं।

डॉक्टर्स की अनुभवी टीम ने ट्रेनिंग दी।
डॉक्टर्स की अनुभवी टीम ने ट्रेनिंग दी।

री-लाइव सर्जरी का आयोजन

शेखावाटी ऑर्थोपेडिक सोसाइटी के सेक्रेटरी डॉ. महेंद्र बुडानिया ने बताया- एसके मेडिकल कॉलेज के डिपार्मेंट ऑफ एनाटॉमी, डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स और रीजनल ऑर्थोपेडिक सोसायटी के सामूहिक प्रयासों से मेडिकल कॉलेज में आज एक ऐतिहासिक आर्थ्रोस्कॉपी कैडवेरिक और री-लाइव सर्जरी का आयोजन किया जा रहा है।

वर्कशॉप में अनुभवी डॉक्टर्स को नी-आर्थ्रोस्कॉपी के बारे में ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके लिए अहमदाबाद से प्रसिद्ध डॉ. प्रथमेश जैन, फॉर्टिस हॉस्पिटल जयपुर से डॉ. विक्रम शर्मा, एसएमएस मेडिकल कॉलेज से डॉ. रविन्द्र लमोरिया और उदयपुर से डॉ. राहुल खन्ना डॉक्टर्स को ट्रेनिंग दे रहे हैं। ट्रेनिंग में डेड बॉडी पर घुटने के अंदर आर्थ्रोस्कोपिक सर्जरी यानी दूरबीन विधि से होने वाली सर्जरी के बारे में पूरे दिन ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग देने के लिए राजस्थान और बाहर से डॉक्टर्स आए हैं। डॉक्टर्स की इस वर्कशॉप का लाभ आमजन को ट्रेनिंग के बाद मिलेगा।

री-लाइव सर्जरी में ट्रेनिंग लेते हुए डॉक्टर्स।
री-लाइव सर्जरी में ट्रेनिंग लेते हुए डॉक्टर्स।

हर साल आयोजित होती है वर्कशॉप

डॉ. बुडानिया ने बताया- शेखावाटी क्षेत्र शिक्षा के साथ-साथ खेलों में भी विशेष स्थान पूरे हिंदुस्तान में रखता है। इसलिए खिलाड़ियों को घुटने के लिगामेंट से सम्बंधित बीमारियां काफी अधिक होती है। खिलाड़ी घुटने में लिगामेंट की चोट के कारण से होने वाले दर्द को लंबे समय तक सहन करते हैं या इसके इलाज के लिए दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों में जाते हैं। जहां पर खर्च भी अधिक होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह कार्यशाला हर साल आयोजित होती है।

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