जनमानस शेखावाटी सवंददाता : रविंद्र पारीक
नवलगढ़ : राजस्थान के झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ नगरपालिका में चेयरमैन शोएब खत्री, वाइस चेयरमैन कैलाश चोटिया और वार्ड नंबर 10 की पार्षद उर्मिला चोटिया के निलंबन के बाद क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। स्वायत्त शासन विभाग ने यह कार्रवाई नगरपालिका में सुमोटो 90क के तहत हुई कथित अनियमितताओं और पद के दुरुपयोग के मामले में की है।
पद का दुरुपयोग करने का आरोप, 22 नवंबर को जारी किए गए थे नोटिस
स्वायत शासन विभाग की ओर से 22 नवंबर 2024 को पालिकाध्यक्ष शोयब खत्री, उपाध्यक्ष कैलाश चोटिया व पार्षद उर्मिला चोटिया को भ्रष्टाचार व नियमों की अवहेलना के गंभीर आरोपों से संबंधित नोटिस जारी किए गए थे। नोटिस तामील होने के बाद 7 दिवस में जवाब मांगा गया था। पालिकाध्यक्ष शोयब खत्री, उपाध्यक्ष कैलाश चोटिया व पार्षद उर्मिला चोटिया से मोहब्बतसर स्थित जमीन की नगरपालिका के आदेशों व राजस्व रिकॉर्ड का उल्लंघन करते हुए सुमोटो 90 क की नियम विरूद्ध कार्यवाही करने के आरोपों को लेकर जवाब मांगा गया था। साथ ही पालिकाध्यक्ष शोयब खत्री पर अन्य जमीनों के भी नियम विरुद्ध पट्टे जारी करने में पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगा था। जयपुर के स्थानीय निकाय उपनिदेशक की रिपोर्ट में तीनों जनप्रतिनिधियों के खिलाफ अनियमितताएं और पद के दुरुपयोग के आरोप प्रथम दृष्टया सत्य पाए गए।
जांच रिपोर्ट और आरोप पत्रों के आधार पर चेयरमैन, वाइस चेयरमैन और पार्षद को स्पष्टीकरण देने का नोटिस भेजा गया। विभाग के अनुसार, नोटिस का जवाब समय पर प्राप्त नहीं हुआ, जिसके चलते न्यायिक जांच की सिफारिश की गई। विभाग ने न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित होने से बचाने के लिए तीनों को निलंबित कर दिया।
निलंबन पर पक्ष-विपक्ष की प्रतिक्रिया
“डीएलबी की ओर से मिले नोटिस का मैंने जवाब निर्धारित समयावधि में प्रस्तुत करके प्राप्ति रसीद ली थी। फिर भी स्वायत शासन विभाग द्वारा जारी किए गए निलंबन आदेश में लिखा गया है कि मैंने निर्धारित समयावधि में जवाब प्रस्तुत नहीं किया इसलिए आपको निलंबित किया जाता है। मेरे ऊपर लगे सभी आरोप राजनैतिक द्वेषतापूर्ण व निराधार हैं और राजनैतिक द्वेष के चलते ही मुझे, पालिका उपाध्यक्ष कैलाश चोटिया व पार्षद उर्मिला चोटिया को निलंबित किया गया है। न्यायालय में हमारी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। जनता और न्याय पर मुझे पूरा भरोसा है।” – शोएब खत्री, चेयरमैन
“मुझे व मेरी पत्नी को डीएलबी द्वारा मिले नोटिस का जवाब हमने 6 दिन में प्रस्तुत कर दिया था। फिर भी नोटिस का जवाब नहीं देने के आधार पर निलंबन किया गया। मैंने मेरे पद का कभी भी दुरुपयोग नहीं किया, ना ही नगरपालिका के किसी भी आदेशवकागज पर मेरे हस्ताक्षर हैं तथा ना ही मैंने नगरपालिका में मेरी जमीन पर सुमोटो की कार्यवाही पर आवेदन किया था। नगरपालिका प्रशासन ने प्रशासन शहरों के संग अभियान के अंतर्गत नियमानुसार सुमोटो की कार्यवाही की है। मैंने आज तक एक रुपए का भी भ्रष्टाचार नहीं किया। फिर भी राजनैतिक द्वेष के चलते जिसने भी मुझे झूठे इल्जाम में फंसाने का प्रयास किया है उसे ईश्वर सजा देंगे। जनता और भगवान ही सही फैसला करेंगे।” – कैलाश चोटिया, वाइस चेयरमैन
“नवलगढ़ नगरपालिका में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल हुआ है। सभी दोषियों को जेल जाना होगा। यह निलंबन सिर्फ शुरुआत है।” – जयप्रकाश शर्मा, शिकायतकर्ता व पार्षद
“चेयरमैन के कार्यकाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। 4 करोड़ 18 लाख रुपए के टेंडर में भी घोटाले हुए हैं। अन्य घोटाले भी जल्द सामने आएंगे।” – विष्णु कुमावत, शिकायतकर्ता व पार्षद
अध्यक्ष के निलंबित की करवाई सही है जमकर भ्रष्टाचार हुआ है । अभी जांचें और होगी – सुरेंद्र फूलवाला
“भ्रष्टाचार करने वालों को निलंबन ही नहीं, भविष्य में जेल भी जाना होगा। यह कार्रवाई जनता की जीत है।” –विक्रम सिंह जाखल, विधायक, नवलगढ़
“यह निलंबन राजनीतिक द्वेष का परिणाम है। लोकतंत्र में वोट से चुने गए जनप्रतिनिधियों को इस तरह बदले की भावना से हटाना अलोकतांत्रिक है। यह भाजपा सरकार की संविधान विरोधी नीति को उजागर करता है।” – डॉ. राजकुमार शर्मा, पूर्व विधायक
दिनेश सुंडा, प्रधान पंचायत समिति नवलगढ़
“लोकतंत्र में वोट देकर चुने हुए जनप्रतिनिधियों का राजनीतिक द्वेषतापूर्वक निलंबन करना भाजपा की संविधान विरोधी नीति का प्रमाण है। नवलगढ़ नगरपालिका चेयरमैन शोएब खत्री और वाइस चेयरमैन कैलाश चोटिया व उनकी पत्नी उर्मिला चोटिया को निलंबित करके प्रदेश सरकार ने बदले की भावना से काम किया है। द्वेषतापूर्ण कार्रवाई करना प्रदेश सरकार की ओछी मानसिकता की परिचायक है।” – दिनेश सुंडा, प्रधान पंचायत समिति नवलगढ़
क्या है आगे?
स्वायत्त शासन विभाग ने निलंबन के साथ ही मामले की न्यायिक जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विपक्ष ने इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताया है, जबकि शिकायतकर्ताओं और सत्तारूढ़ दल ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाया गया सही कदम करार दिया है।
नवलगढ़ की जनता की राय
इस पूरे प्रकरण से नवलगढ़ के नागरिकों में भी असमंजस और नाराजगी है। एक ओर कुछ लोग इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई मान रहे हैं, तो दूसरी ओर जनता का एक वर्ग इसे राजनीतिक द्वेष का नतीजा बता रहा है।
नवलगढ़ नगरपालिका का यह विवाद आने वाले समय में क्या मोड़ लेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।