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झुंझुनूं से पचेरी तक 72 किमी में बनेगा नेशनल हाइवे, पुरानी सड़क को छोड़ गांवों के नजदीक से ही गुजरेगा


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झुंझुनूं से पचेरी तक 72 किमी में बनेगा नेशनल हाइवे, पुरानी सड़क को छोड़ गांवों के नजदीक से ही गुजरेगा

बदल गया नेशनल हाइवे का रूट; अब बीड़ से 5 किमी दूर उत्तर दिशा से गुजरेगा, क्योंकि वन विभाग ने बीड़ में से नहीं दी मंजूरी

झुंझुनूं : रेवाड़ी-बीकानेर नेशनल हाइवे नंबर 11 का झुंझुनूं जिले में रूट बदला गया है। अब यह झुंझुनूं-चिड़ावा व सिंघाना की पुरानी रोड की बजाय नए रूट पर बनाया जाएगा। क्योंकि वन विभाग ने झुंझुनूं बीड़ में से फोरलेन सड़क बनाने की अनुमति नहीं दी। इसलिए इसे बीड़ से पांच किमी दूर उतर दिशा की तरफ से बनाया जाएगा।

कन्जर्वेशन घोषित बीड़ में वन्यजीवों की सुरक्षा के चलते करना पड़ा बदलाव

दरअसल एनएचएआई की ओर से 2013 में रेवाड़ी से नारनौल, झुंझुनूं होकर बीकानेर तक नेशनल हाइवे 11 न्यू मंजूर किया गया था। रेवाड़ी से पचेरी तक और झुंझुनूं से बीकानेर तक इसका काम हो गया। लेकिन झुंझुनूं शहर से पचेरी तक यह अधूरा है। पहले इसे पुराने स्टेट हाइवे पर ही फोरलेन बनाने का प्रस्ताव था। पुराना हाइवे झुंझुनूं बीढ़ में से होकर गुजर रहा है। बोड़ कंजर्वेशन रिजर्व घोषित है। यहां मृग अभयारण्य भी है। इसलिए वन विभाग ने बीड़ में से फोरलेन हाइवे बनाने की बजाय एलिवेटेड रोड बनाने को कहा। इसके साथ ही इसमें बगड़, खुडाना, बख्तावरपुरा, चिड़ावा, सिंघाना व पचेरी जैसे कस्बे भी आ रहे थे। यहां पर एलिवेटेड रोड बनानी पड़ती। ऐसे में नेशनल हाइ‌वे अथॉरिटी ने इसका रूट ही बदल दिया। अब यह झुंझुनूं से शुरू होकर गांवों से होते हुए सिंघाना-पचेरी मार्ग पर गुजरवास में मिल जाएगा। झुंझुनूं से पचेरी तक 72 किमी लंबे फोरलेन हाइवे की डीपीआर बन चुकी है।

बीड में 5 किमी एलिवेटेड रोड बनानी पड़ती, तब लगते 2500 करोड़, नए रूट पर 1400 करोड़ ही लगेंगे

नेशनल हाइवे अथर्थोरिटी पुरानी रोड को ही फोरलेन बनाना चाहता था। जो झुंझुनूं के बीड़ में से गुजर रही है। वन विभाग ने वन्य जीवों की सुरक्षा को देखते हुए इसकी अनुमति नहीं दी। वन विभाग ने बीड़ में एलिवेटेड रोड बनाने को कहा। करीब पांच किमी दूरी में एलिवेटेड हाइ‌वे बनाने की लागत अधिक आने के कारण नेशनल हाइवे ने बीड़ को छोड़कर इसका नया रूट बनाया। डीपीआर बनाकर मंजूरी के लिए अब सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भेजा गया है। नए रूट से एनएचएआई को फायदा होगा। दूरी में कोई विशेष बदलाव नहीं होगा। पहले यह 73 किमी थी। अब 72 किमी रहेगी। प्रमुख कस्बों के नजदीक से गुजरने के कारण कई मकान, दुकान व प्रतिष्ठान इसकी जद में आते। इनके टूटने से प्रभावित लोगों को मुआवजा अधिक देना पड़ता। अब यह कस्बों व गांवों से दूर खेतों के अंदर से गुजरेगा। इस कारण मुआवजा राशि भी कम देनी पड़ेगी। लोगों के पक्के निर्माण कम तोड़ने पड़ेंगे। इसलिए नुकसान कम होगा।

17 मीटर चौड़ा होगा फोरलेन हाइवे, 500 मीटर दूरी पर केटल अंडरपास बनेंगे

  • पुराने रूट पर 2500 करोड़ से अधिक की लागत आती, नए पर 1400 करोड़ रुपए ही खर्च होंगे
  • बीड़ में करीब पांच किमी एलिवेटेड फोरलेन बनाने पर करीब 250-300 करोड़ रुपए की लागत आती।
  • पांच कस्बों से बाइपास बनाने पर 300 करोड़ रुपए खर्च होते।
  • 68 किमी शेष फोरलेन पर 1360 करोड़ रुपए खर्च होते।
  • जमीन से ऊंची रहेगी फोरलेन रोड: यह सड़क जमीन से 3 मीटर ऊंचाई पर बगेगी। इसकी चौड़ाई 17 मीटर होगी। जिसमें बीच में डिवाइडर होगा। 2.5-2.5 मीटर बर्म गिट्टी बिछाई जाएगी।
  • चार स्थानों पर एग्जिट पॉइंट होंगे: नेशनल हाइवे पर जिले में चार स्थानों पर एग्जिट पॉइंट होंगे। प्रमुख कस्बों के नजदीक होंगे। प्रत्येक 500 मीटर की दूरी पर अंडरपास बनेंगे। ताकि पशु व राहगीर इनमें से गुजर सकेंगे।
  • 60 मीटर जमीन अधिग्रहित की जाएगी: एनएचएआई इसके लिए 60 मीटर चौड़ी जमीन अधिग्रहण करेगा। इसकी कवायद शुरू कर दी है। जमीन अधिग्रहण के लिए झुंझुनूं, चिड़ावा व सूरजगढ़ एसडीएम को अधिकृत किया गया है।
  • झुंझुनूं व पचेरी में बनेंगे इंटरचेंज जंक्शन झुंझुनूं में यह फोरलेन नेशनल हाइवे के बाईपास में मिलेगा। यहां मोडा पहाड़ के नजदीक इसका इंटर जंक्शन बनेगा। इसी तरह पचेरी में भी जहां यह हाइवे शुरू होगा। वहां भी इंटरजंक्शन बनेगा।
  • भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अगले साल तक इसका निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इस पर करीब 1400 करोड़ खर्च होंगे।

खेतों में से बनेगा, इसलिए ना बाइपास होंगे और न ओवरब्रिज

यह झुंझुनूं में मंड्रेला रोड से स्टार्ट होगा और बुडाना, मालीगांव, अलीपुर, पटेल नगर, पृथ्वीराजपुरा, ब्राह्मणों की ढाणी, तोलासेही, सांवलोद, गुजरवास होते हुए सिंघाना-पचेरी हाइवे में मिल जाएगा। इस पूरे रूट पर गांवों के रास्तों में एक दर्जन से अधिक व्हीकल अंडरपास बनाए जाएंगे। कहीं पर भी बाइपास व ओवरब्रिज नहीं बनाना पड़ेगा। पहले यह हाइवे झुंझुनूं बीड़, बगड़, चिड़ावा और सिंघाना होते हुए बनना था।

फायदा: गांवों से गुजरेगा, किसानों की जमीन की कीमत कई गुणा बढ़ेगी

बगड़, बख्तावरपुरा, चिड़ावा, सिंघाना, पचेरी में बाइपास बनाए जाने थे, अब नए रूट से बाइपास नहीं बनाने पड़ेंगे। इस हाइवे पर गांवों की मुख्य सड़कों पर एक दर्जन से अधिक व्हीकल अंडरपास बनाए जाएंगे। अभी तक झुंझुनूं मंडावा और फतेहपुर में बाइपास के लिए 26 किमी सड़क बनाने पर एनएचआईए 156 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। मंडावा में काम हो चुका है। झुंझुनूं में 13 किमी में से 10 किमी बाइपास बनाई जा चुकी है। अब नए रूट में यह गांवों के बाहर खेतों के अंदर से गुजरेगा। इसलिए पक्का निर्माण नहीं टूटेगा, खेतों की डीएलसी रेट कम होने से मुआवजा भी कम देना पड़ेगा। बाइपास बनाने की जरूरत नहीं रहने से इसका खर्चा बचेगा। दूरी भी कम होगी। इससे भी लागत कम हुई है। यानी नए प्रोजेक्ट पर 1400 करोड़ रुपए की लागत आएगी। यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए मंत्रालय को भेजा गया है। नए साल में काम शुरू होगा।

वर्तमान में बीड़ में 20 फीट का रास्ता ही कटान में है। नेशनल हाइवे को 60 मीटर जमीन चाहिए थी। यह बीड़ कंजर्वेशन एरिया है। इसके लिए वन विभाग व वन्य जीव अभ्यारण्य कमेटी से मंजूरी लेनी थी। नेशनल हाइवे ऑथॉरिटी ने बाद में उसे विड्रो कर लिया। – बीएल नेहरा, डीएफओ

प्रस्तावित एनएच 11 के पचेरी से झुंझुनूं के हिस्से के लिए नई डीपीआर बनाई गई है। यह बीड़ में झुंझुनूं-चिड़ावा सड़क से करीब पांच किमी उत्तर की दिशा में होकर ग्रीन अलाईमेंट एरिया में बनेगा। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। – विकास गोयल, एईएन एनएचएआई

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