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वास्तुकला में नवाचार कर डिजाइन हो रहे घर:क्वांटम आर्किटेक्चर के जरिए घर में रहने वालों के जीवनशैली के अनुसार करते है डेटा तैयार


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वास्तुकला में नवाचार कर डिजाइन हो रहे घर:क्वांटम आर्किटेक्चर के जरिए घर में रहने वालों के जीवनशैली के अनुसार करते है डेटा तैयार

वास्तुकला में नवाचार कर डिजाइन हो रहे घर:क्वांटम आर्किटेक्चर के जरिए घर में रहने वालों के जीवनशैली के अनुसार करते है डेटा तैयार

जयपुर : घर के नक्शे की डिजाइनिंग में वास्तुकला का अहम रोल होता है, लेकिन केवल जगह के अनुसार ही नहीं बल्कि उस घर में रहने वाले व्यक्ति के स्वभाव और जीवन शैली आधारित डिजाइन की भी डिमांड बढ़ी है। जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में आर्किटेक्ट अमित खंडेलवाल और उनकी टीम ने क्वांटम आर्किटेक्चर की अवधारणा पेश की। इस सोच का उद्देश्य केवल इमारतों को सुंदर बनाना नहीं, बल्कि ऐसी संरचना तैयार करना है। जो वहां रहने वाले लोगों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव लाएं। खंडेलवाल के अनुसार, इस कॉन्सेप्ट का फोकस घर और उसमें रहने वाले लोगों के बीच ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करना है।

इस नई सोच में रंगों, प्राकृतिक सामग्री और इंद्रियों के प्रभाव को विशेष महत्व दिया गया है। प्रत्येक रंग की ऊर्जा का उपयोग मानसिक और भावनात्मक संतुलन के लिए किया जाता है। इसके साथ ही, निर्माण में पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ सामग्री का उपयोग किया जाता है, जो मानसिक शांति को बढ़ावा देती है। डिजाइन इस तरह तैयार किया जाता है कि घर में सभी इंद्रियां- जैसे देखना, सुनना और महसूस करना- सकारात्मक रूप से प्रभावित हों।

डिजाइन को उनकी जरूरतों के अनुसार तैयार किया जाता है

खंडेलवाल और उनकी टीम ने इसके लिए होलिस्टिक वेलनेस रिपोर्ट भी तैयार की है, जिसमें भवन में रहने वाले लोगों की जीवनशैली का अध्ययन कर डिजाइन को उनकी जरूरतों के अनुसार तैयार किया जाता है। इस अवधारणा को आकार देने में खंडेलवाल और उनकी पत्नी पूनम जैन ने ध्यान और अध्यात्म से प्रेरणा ली है। हार्टफ़ुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट के संस्थापक कमलेश डी पटेल, जिन्हें दाजी के नाम से भी जाना जाता है, ने उनकी रचनात्मकता को नई दिशा दी है। खंडेलवाल ने अपने अनुभव पर ‘क्रेएटिविटी: गॉड्स गिफ्ट फॉर एक्सीलेंस’ नामक किताब भी लिखी है।

क्वांटम आर्किटेक्चर को भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली है। खंडेलवाल को कई प्रमुख मंचों पर इस विषय पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया है। उनका मानना है कि आने वाले समय में वास्तुकला का उद्देश्य केवल भौतिक संरचनाएं खड़ी करना नहीं होगा, बल्कि ऐसी इमारतें तैयार करना होगा जो लोगों के जीवन को बेहतर बनाए।

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