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अवैध खनन की पड़ताल:खनन माफिया ने 3 माइंस से 42 करोड़ का पत्थर निकाला; सरकारी रिकॉर्ड में यहां सिर्फ 9.31 करोड़ का खनन ही दर्ज


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अवैध खनन की पड़ताल:खनन माफिया ने 3 माइंस से 42 करोड़ का पत्थर निकाला; सरकारी रिकॉर्ड में यहां सिर्फ 9.31 करोड़ का खनन ही दर्ज

अवैध खनन की पड़ताल:खनन माफिया ने 3 माइंस से 42 करोड़ का पत्थर निकाला; सरकारी रिकॉर्ड में यहां सिर्फ 9.31 करोड़ का खनन ही दर्ज

सीकर : सीकर-नीमकाथाना में अवैध खनन थम नहीं रहा है। चाैंकाने वाली बात ये है कि खनन विभाग ने आखें मूंद रखी हैं और उसके अधिकारी सरकारी रिकाॅर्ड में गलत आंकड़े दर्ज कर रहे हैं। सीकर और नीमकाथाना में ऐसी दर्जनों लीज हैं, जहां खनन माफिया ने तय सीमा से लाखों टन ज्यादा पत्थर निकाल लिया है। इन लीज के सरकारी रिकाॅर्ड में आधी राशि के रवन्ने भी नहीं बने हैं।

हमने विशेषज्ञाें की मदद से सीकर और नीमकाथाना में चेजा पत्थरों के अवैध खनन की पड़ताल की। टीम ने माइंस की सेटेलाइट इमेजरी, एरियल फोटाेग्राफी और विभाग के आंकड़ों का अध्ययन किया। इसमें वैध और अवैध खनन की गहराई साफ दिखती है।

पड़ताल में सामने आया कि कई माइंस से तय सीमा से ज्यादा पत्थर निकाला गया है, जबकि रिकाॅर्ड में उससे काफी कम आंकड़ा दर्ज किया गया है। टोडा इलाके की एक खान से करीब 10 लाख टन से ज्यादा पत्थर निकाला जा चुका है। सरकारी कागजों में महज 3.95 लाख टन का खनन बताया गया है। काेटड़ी लुहारवास की खान से भी 8 लाख टन पत्थर निकाला गया है, जबकि सरकारी आंकड़ों में इस खान से आज तक 1.80 लाख टन पत्थर निकालना बताया गया है।

मीणा की नांगल की खान से रिकाॅर्ड के अनुसार महज 40 हजार टन का खनन बताया गया है, जबकि मौके पर 9 से 10 लाख टन पत्थर निकालकर बेचा जा चुका है। पाटन के रेला इलाके में भी खनन माफिया ने रवन्ने से कई गुना पत्थर खोद लिया। रेला की खानों में विभाग ने अवैध खनन पर करीब 23 करोड़ की राशि का पंचनामा भी बनाया था, लेकिन उनसे वसूली नहीं हो सकी। विशेषज्ञाें के अनुसार माफिया ने करीब 42.55 कराेड़ का पत्थर अवैध रूप से निकाला है, जबकि सरकारी रिकाॅर्ड में महज 9.31 कराेड़ का खनन बताया जा रहा है।

150 फीट तक खुदाई, 8 लाख टन से ज्यादा पत्थर निकाला

कोटड़ी लुहारवास में खनन पट्टा संख्या 1011/2008 में रवन्ना से पांच गुना खनिज निकाला गया है। रिकॉर्ड के मुताबिक इस खान से आज तक 1.80 लाख टन पत्थर निकाला गया है, जबकि खान करीब 150 फीट से ज्यादा खुदी हुई है। गहराई से खनन की गणना की जाए, तो आंकड़ा सरकारी रिकॉर्ड से पांच गुना तक पहुंच जाता है। हमारे मीडिया कर्मी  ने सरकारी आंकड़े खंगाले तो सामने आया कि इस खान से 2020-21 में मात्र 1653 टन पत्थर निकाला गया।

सीकर व नीमकाथाना में कई माइंस पर गए रिपोर्टर व विशेषज्ञ

रिकॉर्ड में 3.95 लाख टन बताया, हकीकत में 10 लाख टन से ज्यादा पत्थर निकाला

सरकारी रिकाॅर्ड के अनुसार नीमकाथाना के टोडा क्षेत्र की खान 418/2010 से जनवरी 2024 तक 3.95 लाख टन चेजा पत्थर निकाला गया है। हमारे मीडिया कर्मी ने मौके पर जाकर पिट की गहराई, लंबाई और चौड़ाई देखी। विशेषज्ञाें के अनुसार यहां से 10 लाख टन से ज्यादा पत्थर निकाला गया है।

गहराई तक खनन, फिर भी रिकाॅर्ड के अनुसार 38 हजार टन का ही खनन

मीणा की नांगल की इस खान से सरकारी रिकॉर्ड में सिर्फ 38 हजार टन पत्थर निकालना बताया गया है। इसके पिट की जांच करने पर स्पष्ट दिखा कि 9 लाख टन से ज्यादा पत्थर निकाला गया है। विभाग ने ग्रामीणों की शिकायत के बाद खान संचालक पर जुर्माना लगाया था। यह खान काफी गहराई तक खोदी गई है, जिसमें भरे पानी में डूबने से एक युवक की मौत हो गई थी।

डिस्पैच व खनन पिट की तुलना से स्पष्ट होता है अवैध खनन

माइनिंग प्लान में खनन पट्‌टे का खनिज घनत्व दर्शाया जाता है। खान से निकले माल और डिस्पैच का सालाना एसेसमेंट रिकॉर्ड खनन विभाग में पेश होता है। रवन्ने ऑनलाइन होने के बाद प्रतिदिन के डिस्पैच के आंकड़े भी सरकार के पास उपलब्ध हैं। इन डिस्पैच के आंकड़ों और खनन पिट के माप की तुलना की जाए तो अवैध खनन का हिसाब सामने आ जाता है।

दांतारामगढ़ इलाके में चेजा पत्थरों की ऐसी कई खान हैं, जहां अवैध तरीके से पत्थर निकाला जा रहा है। क्षेत्र में रवन्नों की जगह पर्चियों का खेल चल रहा है। जहां ट्रैक्टरों में पत्थर भरकर रवन्ना की जगह पर्चियां दी जाती हैं। उसी पर्ची से रॉयल्टी वसूलते हैं। इसी तरह नीमकाथाना के पाटन रेला, भूदोली खाेरा, टाेडा और मीणा की नांगल में भी अवैध तरीके से पत्थर निकाला जा रहा है।

“अवैध तरीके से पत्थर निकाल रहे हैं, तो कार्रवाई की जाएगी। विभाग वाहनाें पर कार्रवाई कर भी रहा है। दो दिन पहले ही पत्थरों का अवैध परिवहन करते वाहन जब्त किए। 1.22 लाख का जुर्माना वसूला गया। समय-समय पर लीज की जांच भी करवाते हैं।” -अशोक कुमार वर्मा, एएमई नीमकाथाना

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