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हरियाणा का चुनाव जाट और गैर जाट की राजनीति में उलझा


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हरियाणा का चुनाव जाट और गैर जाट की राजनीति में उलझा

हरियाणा का चुनाव जाट और गैर जाट की राजनीति में उलझा

हरियाणा में आगामी 5 अक्टूबर को सभी 90 सीटों पर मतदान होना है । 8 अक्टूबर को चुनावी परिणाम आयेंगे । 8 अक्टूबर को ही पता चल पाएगा कि भाजपा हरियाणा में तीसरी बार सता पर काबिज होती है या कांग्रेस सता के सूखे को मिटाने मे कामयाब होती है । भाजपा ने चुनावी प्रचार में अपनी पूरी ताकत झौंक रखी है । भाजपा राम मन्दिर व 370 को खत्म करना चुनावी मुद्दा बना रही है लेकिन इसमें भाजपा को कोई खास फायदा होने वाला नहीं लगता । इन दोनों मुद्दों का हरियाणा में कोई प्रभाव नजर नहीं आ रहा है । विधानसभा चुनावी परिणाम भी लोकसभा के परिणामों की तरह आने वाले हैं ऐसे संकेत नजर आ रहे हैं । राजनीतिक विश्लेषको का मानना है कि हरियाणा का चुनाव जाट और गैर जाट की राजनीति में उलझ कर रह गया है । पिछले दो चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की थी और मनोहर लाल खट्टर और उसके बाद नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया । हरियाणा की राजनीति में जाट समुदाय का दबदबा रहा है । इन चुनावों में जाट समुदाय को लगने लगा कि भाजपा ने उसका उपयोग ही किया है । उनको लगता है कि यदि भाजपा को बहुमत मिल भी जाता है तो भाजपा आलाकमान जाट नेता को मुख्यमंत्री की कुर्सी नही देने वाली । हरियाणा में जाट सता परिवर्तन का मादा रखते हैं । इन चुनावों में जाटों का झुकाव कांग्रेस की तरफ नजर आ रहा है । इससे विचलित भाजपा की नजर गैर जाट जैसे ओबीसी और दलित वोटरों पर है । दलित वोटरो की संख्या ज्यादा है इसी कारण भाजपा कांग्रेस की सांसद कुमारी शैलजा जो कांग्रेस से नाराज़ चल रही है उसकी शान मे कशीदे पढ़ने शुरू कर दिए हैं । भाजपा कुमारी शैलजा को उपेक्षित नेता बताकर दलितों को अपनी तरफ खींचने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं । लेकिन भाजपा अपनी करनी को भूल जाती है कि राजस्थान की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे, गुलाब चंद कटारिया व ओम माथुर के साथ क्या किया था ।

इस बीच कांग्रेस के जाट नेता हुड्डा ने मुख्यमंत्री पद का फैसला आलाकमान पर छोड़कर कुमारी शैलजा को ढांढस बंधाने का काम किया है । इसके साथ ही किसान आंदोलन व महिला खिलाडियों के साथ हुए दुर्व्यवहार का मुद्दा भी हरियाणा में भाजपा का पीछा नहीं छोड़ रहा है । हरियाणा की राजनीति में जाट समुदाय की खाप पंचायतों का खासा प्रभाव है । यही कारण है कि हरियाणा के चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दे गोण हो गये है । राम मंदिर व 370 दो घोड़ों पर सवार होकर भाजपा तीसरी बार सता हासिल करने की जुगत में थी उन घोड़ों को जातीय समीकरण ने पछाड़ दिया है । भाजपा 370 और राम मंदिर को लेकर बहुत उत्साहित हैं लेकिन लोकसभा चुनावों में राम की भूमि में भाजपा की हार व काश्मीर में भाजपा अपने उम्मीदवार न उतार कर यह संकेत दे दिया कि अब जनता को ज्यादा बरगलाया नहीं जा सकता है । हरियाणा के चुनाव परिणाम 8 तारीख को आयेंगे लेकिन इन चुनावों में भाजपा ने अनगिनत सांसद, विधायक, केन्द्रीय नेता, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह , भाजपा शासित मुख्यमंत्रीयो की फौज को चुनावी प्रचार में झौंकने के बावजूद भाजपा की राह आसान नजर नहीं आ रही ।

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

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