बहरोड़/अलवर : राजस्थान का जवान सिक्किम में शहीद हो गया। 3 अक्टूबर को सिक्किम में बादल फटने के बाद सेना का कैंप भी तबाह हो गया था। तीस्ता नदी में बाढ़ आ गई थी। इस आपदा में सेना के 23 जवान लापता हो गए थे। इसमें एक जवान राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ का भी था। 4 दिन रेस्क्यू के बाद उसकी पार्थिव देह मिली।
बहरोड़ के भवानी सिंह (30) की पार्थिव देह दोपहर एक बजे दिल्ली एयरपोर्ट लाई गई। वहां से सड़क मार्ग से पैतृक गांव बर्डोद (बहरोड़) लाया गया। शाम को अंतिम संस्कार किया जाएगा। पार्थिव शरीर बर्डोद में शहीद के घर से 4 किलोमीटर पहले रुदवाले हनुमान मंदिर के पास लाया गया। यहां सेना के वाहन को फूलों से सजाया गया। मंदिर से बर्डोद के लिए तिरंगा यात्रा के साथ बाइक रैली निकाली गई।
शाम 5 बजे के करीब शहीद की पार्थिव देह पैतृक गांव बर्डोद पहुंची। फूलों से सजे सैन्य वाहन के साथ बाइक रैली में सवार युवाओं ने पूरे 4 किलोमीटर के रास्ते भवानी सिंह अमर रहे के नारे लगाए।
बर्डोद में सुबह से ही बाजार बंद रहे और लोग तिरंगा यात्रा के रास्ते में सड़क के दोनों तरफ जुट गए। भवानी सिंह को अंतिम विदाई देने और शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए लोग बहरोड़-अलवर स्टेट हाईवे पर भी जुटे थे।
अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए बर्डोद में बड़ी संख्या में आस-पास के गावों के लोग जुटे हैं।
साथी बोले- हंसमुख थे भवानी सिंह
नायक भवानी सिंह की पार्थिव देह लेकर आए साथी नायक कुलदीप सिंह व नायक विक्की ने बताया- भवानी सिंह हमसे करीब 4 साल सीनियर थे। वे हंसमुख और मिलनसार थे। यूनिट में उनका व्यवहार सबसे अलग और दोस्ताना रहता था। उनके चेहरे पर कभी तनाव नहीं देखा।
कुलदीप सिंह ने बताया- 20 दिन पहले वे मुझसे मिले थे। तब कहा था कि मैंने बहरोड़ में फ्लैट लिया है। अब की बार छुट्टी पर जाऊंगा तो रजिस्ट्री करवानी है। नायक भवानी सिंह सेना में मोटर ट्रांसपोर्ट (MT) विभाग में थे। दस साल पहले 23 मार्च 2013 में उन्होंने आर्मी जॉइन की थी।
सूचना मिलते ही बाजार हुए बंद
भवानी सिंह की शहादत की सूचना मिलने के बाद बहरोड़ और बर्डोद में बाजार बंद हो गए। हालांकि भवानी सिंह की पत्नी अर्चना और मां नीलम को शहादत की सूचना नहीं दी गई है। परिवार के अन्य लोग अंतिम संस्कार की तैयारियां कर रहे हैं। अंतिम संस्कार बर्डोद में बाटखानी रोड पर उनके खेत में सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा। सूचना मिलने के बाद बर्डोद में सैनिक के घर के बाहर रिश्तेदारों, परिजनों, परिचितों व ग्रामीणों का जमावड़ा लग गया।
चार दिन से घर में नहीं जला चूल्हा
पिछले 4 दिनों से घर में चूल्हा नहीं जला है। 3 अक्टूबर को भवानी सिंह की अर्चना (पत्नी) से बात हुई थी। हादसे के बाद से पत्नी और माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। घर के बाहर मेडिकल टीम तैनात है। परिवार के लोगों को लगातार ग्लूकोज लगाया जा रहा है। घर के अंदर आंगन में महिलाएं शहीद की मां नीलम और पत्नी अर्चना को सांत्वना दे रही हैं। महिलाओं को उसके शहीद होने की भनक न लगे, इसके लिए घर के बाहर पेड़ों के नीचे रिश्तेदार, परिवार और गांव के लोग बैठे हैं।
15 फीट तक आया पानी, बह गए 41 वाहन
सेना से मिली जानकारी के अनुसार- तीस्ता नदी से लगे इलाके में आर्मी कैंप बाढ़ की चपेट में आ गया था। बाढ़ में कैंप के 41 वाहन बह गए थे। सिक्किम राज्य को देश से जोड़ने वाला नेशनल हाईवे NH-10 भी बह गया। इसकी वजह से आवागमन बंद हो गया। डिफेंस PRO के मुताबिक- ल्होनक झील के ऊपर मंगलवार 3 अक्टूबर की देर रात करीब 1.30 बजे बादल फटा। इसके बाद लाचेन घाटी में तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई। नदी का जलस्तर 15 से 20 फीट तक बढ़ गया। इसके बाद नदी से लगे आसपास के इलाकों में पानी भर गया। कई घरों में भी नदी का पानी घुस आया। लोग घर छोड़कर सुरक्षित इलाकों में चले गए।
डेढ़ महीने पहले छुट्टी बिताकर गया था जवान
परिजनों ने बताया- सोनू (भवानी सिंह) डेढ़ महीने पहले ही छुट्टी मनाकर गया था। वह 16 ग्रेनेडियर यूनिट में सिक्किम में तैनात था। करीब 7 साल पहले ही दौसा जिले के बसवा के पास अर्चना उर्फ अन्नू से उसकी शादी हुई थी। सोनू के 6 साल का बेटा है, जो सैनिक स्कूल में पढ़ता है। पत्नी अर्चना अलवर में रहकर बीएड की तैयारी कर रही है। जवान के पिता नरेश सिंह पेशे से ड्राइवर हैं।