मां दुर्गा की मूर्ति बनाने बंगाल से मिट्टी लाए, इस बार 10 दिन सजेगा माता का दरबार
हर साल एक करोड़ से ज्यादा का होता कारोबार, बंगाली कारीगर 18-20 घंटे कर रहे काम

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नैना शेखावत
सीकर : सीकर में दुर्गा प्रतिमाओं को खरीदने की होड़ लगी हुई है। शहर में मिट्टी की मूर्तियां बनाने के लिए बंगाल से हर साल विशेष मूर्तिकार बुलाए जाते हैं। यह मूर्तिकार चार-पांच महीने पहले ही आ जाते है। ये कारीगर 18-20 घंटे काम कर रहे हैं। खास बात है कि प्रतिमाओं के निर्माण के लिए कारीगर अपने साथ बंगाल की मिट्टी भी लेकर आते हैं। मूर्तिकारों के मुताबिक प्रतिमा में फिनिशिंग सिर्फ बंगाल की मिट्टी से ही आती है। चिपचिपी होती है बंगाल की मिट्टी देवी दुर्गा की मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने में कई महीने का समय लगता है। इसके लिए सबसे पहले लकड़ी से ढांचा खड़ा किया जाता है। फिर ढांचें पर घास-फूंस, सुतली और लोकल मिट्टी से लेप किया जाता है। बाद में बंगाल की विशेष मिट्टी से इसे फाइनल फिनिशिंग दी जाती है। बंगाल की मिट्टी चिकनी और चिपचिपी होती है। प्रतिमा पर इसका लेप चढ़ाने के सूखने के बाद भी इसमें दरारें नहीं आती। मिट्टी सूखने के बाद इस पर कपड़ा चढ़ाया जाता है और वॉटर कलर से फिर इसे रंगते हैं। आखिरी के 8 दिनों में दिन-रात लगकर कारीगर मूर्तियों को गहनों से सजाते हैं।
कोलकाता के आभूषणों से होता है श्रृंगार शहरवासियों में प्रतिमाओं को आकर्षक और महंगे आभूषणों से सजाने का काफी क्रेज है। कई लोग मूर्ति से ज्यादा आभूषणों पर खर्च करते हैं। शहरवासी 20 हजार की मूर्ति को हजारों के गहनों से सजाने का ऑर्डर देते है। खास बात है कि मूर्ति को केवल कोलकाता से लाए गए आभूषण और कपड़े पहनाएं जाते हैं। मूर्ति के बाल, आभूषण, कपड़े, कलर व शस्त्र बंगाल से ही लाए जाते हैं।
एक करोड़ से ज्यादा मूर्तियों का कारोबार
शहर में कई जगह मूर्तियां बन रही हैं। इन मूर्तियों की कीमत 3 हजार से लेकर 31 हजार तक है। सीकर में नागौर, झुन्झुनूं, चुरु, फतेहपुर व आसपास के जिलों से भी लाखों की मूर्तियां बनाने के ऑर्डर आते हैं। ऐसे में सीकर में करीब एक करोड़ से अधिक मूर्तियों का कारोबार हर साल होता है। अशोक विहार में मूर्ति बना रहे मूर्तिकार राजूपाल का कहना है कि वह नवरात्री तक 15 लाख की मूर्तियां बनाकर बेच देंगे।
मूर्तिकार राजूपाल ने बताया कि इस बार 100 से अधिक मूर्तियां बनाने का टारगेट है। इसके लिए 11 मूर्तिकार बंगाल से आए हैं। मूर्तिकार राजूपाल ने बताया कि हमारे से कोई माता रानी की मूर्ति बनवाता है तो कुछ देवी के दरबार बनवाते हैं। ऐसी ही कई अलग-अलग रूपों की मूर्तियों के ऑर्डर एक साल पहले ही आने शुरू हो जाते हैं। सीकर में बंगाली मूर्तिकार पिछले 25 सालों से दुर्गा प्रतिमाएं बनाने बंगाल से आते हैं। खास बात ये है कि ये मूर्तिकार सिर्फ इको फ्रेंडली मिट्टी और घास-फूस की मूर्तियां बनाते है जो पानी में विसर्जन के बाद पानी में ही घुल जाती है और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती।