कर्मचारी संगठनों का आरोप:पहले जलदाय विभाग से बना जल निगम, अब ड्रिलिंग विंग होगा भूजल विभाग में ट्रांसफर
कर्मचारी संगठनों का आरोप:पहले जलदाय विभाग से बना जल निगम, अब ड्रिलिंग विंग होगा भूजल विभाग में ट्रांसफर

जयपुर : जलदाय विभाग की ड्रिलिंग विंग के कर्मचारी व मशीनरी अब भूजल विभाग को डेपुटेशन या ट्रांसफर किए जाएंगे। विभाग के सचिव डॉ. समित शर्मा ने डिलिंग डिविजन की सभी कार्यशील ड्रिलिंग मशीन को भूजल को ट्रांसफर करने और यहां पर लगे तकनीकी स्टाफ को भूजल विभाग में डेपुटेशन पर भेजने का आदेश दिया है। जलदाय विभाग की पेयजल स्कीम व प्रोजेक्ट और स्टाफ को राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉर्पोरेशन (जल निगम) को ट्रांसफर करने के बाद सरकार का यह सबसे बड़ा फैसला है।
बताया जा रहा है कि जलदाय विभाग के निजीकरण की शुरुआत हो चुकी है। इसके बाद भूजल विभाग व जल निगम के अधिकांश काम प्राइवेट कंपनियों को दिया जाएगा। इसके साथ ही पानी महंगा होने की प्रक्रिया शुरु होगी। विभाग में 15 हजार कर्मचारियों व अधिकारियों के पद खाली, लेकिन इन पर भर्ती प्रक्रिया शुरु नहीं की गई है। कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि बडी प्राइवेट कंपनियों व ठेकेदारों के दबाव में जलदाय विभाग को खत्म करने की शुरुआत हो गई है। संगठनों के पदाधिकारियों में फूट डालकर तोड़ा जा रहा है। वहीं एडिशनल चीफ इंजीनियर जगत तिवाड़ी का कहना है कि हमे को कोआर्डिनेशन का आदेश दिया है।
प्रमोशन की आड़ में विरोध धीमा
विभाग के इंजीनियरों व कर्मचारी संगठनों ने जल निगम का विरोध किया, लेकिन विभाग के आला अधिकारियों ने उन्हें प्रमोशन का प्रलोभन देकर समझौता करवा लिया। इसके बाद संयुक्त संघर्ष समिति ने जल निगम का विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया। केवल एक संगठन राजस्थान वाटर वर्कर्स कर्मचारी संघ ही विरोध में है। कुछ संगठनों के कुछ पदाधिकारी व नेताओं के साथ ठेकेदारों के साथ पार्टनरशिप व रिश्तेदारों के नाम पर फर्में होने के कारण भी विरोध पर असर पड़ा है। विभाग ने उनके खिलाफ कार्यवाही करने की चेतावनी दी थी।
मशीनरी व मानव संसाधन का होगा सदुपयोग
विभाग के सचिव डा. समित शर्मा की दलील है कि ड्रिलिंग विंग को समाप्त नहीं किया जा रहा है। दोनों विभागों की मशीनरी तथा तकनीकी कर्मचारी व्यापक जनहित और विभाग के मानव संसाधन एवं मशीनों के सर्वोत्तम उपयोग हेतु जलदाय विभाग की मशीनरी एवं तकनीकी कर्मचारियों को भूजल विभाग में प्रतिनियुक्ति पर लगाया जा रहा है।
पहले ठेके पर काम, अब ट्रांसफर
प्रदेश में अच्छी क्वालिटी का ट्यूबवेल व हैंडपंप बनाने का काम पहले ड्रिलिंग विंग करती थी। इसके पास करोड़ों रुपए की मशीनरी है। लेकिन विभाग के अधिकारियों ने ट्यूबवेल व हैंडपंप बनाने का काम प्राइवेट कंपनियों को ठेके पर देने का काम शुरू कर दिया। विभाग का 90 फीसदी काम ठेके पर होता है।
सचिव ने यह दिया है आदेश
विभाग के सचिव डॉ. समित शर्मा ने आदेश दिया है कि समीक्षा बैठक के पाया गया कि दोनों विभागों की ड्रिलिंग मशीन व तकनीकी कर्मचारियों का पूर्ण उपयोग नहीं हो रहा है। ऐसे में ड्रिलिंग मशीन को भूजल के जिला व खंड कार्यालय को ट्रांसफर की जाए। सुपरवाइजर, ड्रिलर, सहायक वेधक, हेल्पर, वाहन चालक, वेल्डर, मेकेनिकल को भूजल विभाग में डेपुटेशन पर भेजा जाए। उनका वेतन भूजल विभाग से मिलेगा, लेकिन सेवानिवृति जलदाय विभाग से होगी।
आठ साल पहले भी हुई थी कोशिश
सरकार ने आठ साल पहले भी ड्रिलिंग डिविजन को भूजल विभाग में ट्रांसफर करने की कोशिश की थी, लेकिन ड्रिलिंग व हैंडपंप अभियांत्रिकी कर्मचारी संघ व ड्रिलिंग कर्मचारी संघ सहित अन्य संगठनों ने इसका विरोध किया था।