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आनंदपाल एनकाउंटर मामला: CBI की क्लोजर रिपोर्ट खारिज, 5 पुलिसकर्मियों पर चलेगा केस; परिजनों ने बताया था फर्जी


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आनंदपाल एनकाउंटर मामला: CBI की क्लोजर रिपोर्ट खारिज, 5 पुलिसकर्मियों पर चलेगा केस; परिजनों ने बताया था फर्जी

Rajasthan: आनंदपाल सिंह एनकाउंटर केस में अब नया मोड़ सामने आया है। इस मामले में अब ACJM सीबीआई कोर्ट ने पुलिस के खिलाफ ही प्रसंज्ञान लिया है। यह वह पुलिसकर्मी हैं जो आनंदपाल सिंह एनकाउंटर में शामिल थे।

Gangster Anandpal Encounter: गैंगस्टर आनंदपाल एनकाउंटर में जोधपुर कोर्ट का बुधवार को बड़ा फैसला आया है। सीबीआई कोर्ट ने मामले में जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए 5 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या की धाराओं में मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। गैंगस्टर की पत्नी ने मामले में पुलिसकर्मियों पर हत्या करने का आरोप लगाया था। जबकि जांच एजेंसी ने इस बात को नकार दिया था।

यह है पूरा मामला

जानकारी के अनुसार 24 जून साल 2017 को गैंगस्टर आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ था। पुलिस की इस कार्रवाई को गैंगस्टर की पत्नी व अन्य परिजनों ने फर्जी करार दिया था। इतना ही नहीं इन आरोपों का हवाला देते हुए परिजनों ने जोधपुर कोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका में एनकाउंटर करने वाले पुलिसर्मियों तत्कालीन चुरु एसपी राहुल बारहट, तत्कालीन एडिशनल एसपी विद्या प्रकाश चौधरी, डीएसपी सूर्यवीर सिंह राठौड़, आरएसी हेड कांस्टेबल कैलाश समेत अन्य के खिलाफ जांच करने और हत्या की धाराओं में मुकदमा चलाने का आग्रह किया था।

पुलिस ने बताई थी एनकाउंटर की ये स्टोरी

कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस ने बताया था कि सूचना मिली थी कि गैंगस्टर सालासर में छिपा हुआ है। सूचना के आधार पर पुलिस टीम वहां पहुंची। लेकिन इससे पहले की पुलिस आनंदपाल को पकड़ पाती उसने घर की छत से पुलिसकर्मियों पर फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस का आरोप था कि गैंगस्टर के साथ उसके कुछ साथी भी मौजूद थे। पुलिस का कहना था कि जबाबी कार्रवाई में पुलिस टीम ने भी फायरिंग की, जिसमें आनंदपाल को 6 गोलियां लगीं थीं और उसने दमतोड़ दिया।

8 करोड़ हुए थे एनकाउंटर पर खर्च

बता दें मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एनकाउंटर पर पुलिस टीम ने 8 करोड़ रुपए से अधिक खर्च आने की बात कही थी। उधर, परिजनों का आरोप था कि पुलिस ने ये झूठी कहानी बनाई है। परिजनों का आरोप था कि आनंदपाल के शरीर पर चोट के कई निशान थे। पुलिस ने उसका एनकाउंटर नहीं किया, ये पुलिस टीम की सोची-समझी साजिश थी।

गैंगस्टर आनंदपाल एनकाउंटर के 7 साल बाद उसमें शामिल पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया है। दोषी ठहराए गए 5 पुलिसकर्मियों के खिलाफ जोधपुर कोर्ट ने हत्या की धारा 302 के महत मामला चलाने और जांच करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद एक बार फिर राजस्थान, हरियाणा और आसपास के अन्य राज्यों में आतंक का दूसरा नाम आनंदपाल की चर्चा है। वैसे तो उसके कई आपराधिक किस्से हैं लेकिन इनमें से एक है साल 2015 में उसके फरार होने का।

पेशी के बाद अजमेर जेल लौट रहा था आनंदपाल

बात 3 सितंबर 2015 की है, हत्या, लूटपाट समेत अन्य संगीन मामलों में आरोपी आनंदपाल पुलिस की गिरफ्त में था। उसे कोर्ट की पेशी से पुलिस वैन में अजमेर जेल लेकर जा रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस दौरान उस समय ड्यूटी पर तैनात पुलिस टीम में उसका एक राजदार शामिल था। रास्ते में आनंदपाल ने मिठाई खाने की इच्छा जाहिर की। उसने ऐसा जताया कि वह खुश है और वह अब कुछ दिन में जमानत पर बाहर निकल जाएगा।

लड्डूओं में था नशीला पदार्थ

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आनंदपाल ने पुलिस वैन में मौजूद सभी पुलिसकर्मियों को जो लड्डू खिलाए थे उसमें नशीला पदार्थ था और उसे खाकर सब बदहवास हो गए थे। जो कथित पुलिसकर्मी उसके साथ मिला हुआ था उसने आनंदपाल की हथकड़ी खोल दी, इसी बीच फिल्मी स्टाइल में उसके भाई और अन्य लोगों ने पुलिस वैन को घेरा और फायरिंग करते हुए आनंदपाल को छुडाकर वहां से फरार हो गए।

2 साल चला था चूहे-बिल्ली का खेल

आनंदपाल के फरार होने के बाद पुलिस की काफी बदनामी हुई। तेज-तर्रार पुलिस अधिकारी गैंगस्टर की धरपकड़ के लिए लगाए गए। बताते हैं 2 साल चूहे-बिल्ली का खेल चला। फिर 24 जून 2017 को आनंद पाल का एनकाउंटर हुआ। लेकिन इस एनकाउंटर पर कई सवाल उठे। आरोप था कि एके 47 से पुलिस टीम पर गोलीबारी करने वाले आनंदपाल के शरीर में छह गोलियां कैसे लगी? वहीं, गैंगस्टर के परिजनों ने एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर अब फैसला आया है।

इन पर चलेगा केस
कोर्ट ने एनकाउंटर में शामिल तत्कालीन चुरु एसपी राहुल बारहट, तत्कालीन एडिशनल एसपी विद्या प्रकाश चौधरी, डीएसपी सूर्यवीर सिंह राठौड़, आरएसी हेड कांस्टेबल कैलाश के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।

एडवोकेट ने बताई कहानी
राजकंवर के वकील भंवर सिंह तंबाडिया और त्रिभुवन सिंह राठौड़ ने बताया कि यह एनकाउंटर नहीं था और छत पर आनंदपाल को नजदीक से एक के बाद एक गोली मारी गई। गोली बहुत नजदीक से थी, इसकी पुष्टि डॉक्टर ने भी की है। कोर्ट में कई गवाहों को पेश किया गया। उनके आधार पर एसीजेएम कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया है। कोर्ट ने राजकंवर की ओर से गवाहों की सूची भी 16 अक्टूबर से पहले पेश करने के आदेश दिए हैं।

परिवार वालों ने एनकाउंटर पर उठाए थे सवाल
गैंगस्टर के एनकाउंटर के बाद उसके परिजनों ने इसे फर्जी एनकाउंटर बताते हुए कोर्ट में केस किया था। वहीं, CBI ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट को दी थी। इस रिपोर्ट में फर्जी एनकाउंटर की बात को नकारा गया था। आनंदपाल की पत्नी के वकील ने तर्क दिया कि आनंद पाल की शरीर पर चोट के निशान थे। उन्होंने कहा कि अन्य सबूत भी साबित करते है कि ये फर्जी एनकाउंटर था।

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