शिक्षा माफिया के मकड़जाल मे पिसता आम आदमी
शिक्षा माफिया के मकड़जाल मे पिसता आम आदमी

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला पिलानी, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक
देश की आजादी के सतर साल बाद भी सरकारों ने मूलभूत शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकता को नजर अंदाज किया । सरकारो ने शिक्षा का राजनिति करण करने के साथ ही यह देश का दुर्भाग्य है कि देश में एक जैसी समान शिक्षा निती लागू करने में असफल रही । भारतीय राजनीति पर पर आज शिक्षा माफिया इस कदर हावी हो चुका है कि सरकारें इस इसके सामने बेबस नजर आ रही है । निजी स्कूलों के मकड़जाल में आम आदमी इस कदर पिस रहा है कि उसकी व्यथा सुनने वाला कोई नहीं । भूतकाल में भामाशाह स्कूल , कालेज, अस्पताल खोलना जनसेवा मानते थे लेकिन आजकल शिक्षा का व्यवसायीकरण कर इसको व्यापार के तौर पर उधोगों का रुप दे दिया है ।
अनेक तरह के फंडों में भारी-भरकम फीस लेने के साथ ही स्कूल से ही कापी, किताब, ड्रेस जूते, टाई खरीदना अनिवार्य है । किताबें भी इतनी होती है जिनमे से कुछ का तो पूरे साल में उपयोग ही नहीं होता व इनका मूल्य हजारों में होता है । जो ड्रेस , जूते आदि सामग्री बाजार में आधे दामों पर उपलब्ध है उसके दुगुनी कीमत वसूली जाती है । स्कूलों में वाहन के नाम पर भी भारी भरकम पैसा वसूलने का काम हो रहा है और नौनिहालों को भेड़ बकरी की तरह इन स्कूल की वैन में ठूंस दिया जाता है । गृह जिले झुंझुनूं की बात करें तो प्रशासन ने इस तरह की वैनों के खिलाफ अभियान भी छेड़ा है जो अनियंत्रित रफ्तार से मौत लिये घूम रही है । राजस्थान सरकार ने राईट एज्यूकेशन के तहत हर स्कूल में कुछ बच्चों का दाखिला लेना अनिवार्य कर रखा है व उन बच्चों को फ्री शिक्षा देने का प्रावधान है लेकिन यह निजी शिक्षण संस्थान इस कानून की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं । इसको लेकर शिक्षा विभाग व सरकार इनके खिलाफ कार्यवाही करने में असमर्थ है क्योंकि यह स्कूल राजनीतिक संरक्षण प्राप्त रसूखदारो द्वारा संचालित है । स्कूलों में बड़े बड़े आयोजन कर बड़े नेताओं व मंत्रियों को बुलाने की होड़ में स्थानीय प्रशासन पर अपना प्रभाव जताने से बाज नहीं आते हैं । पैसों को लेकर इनकी भूख इतनी बढ़ गई है कि सूत्रों की मानें तो गृह जिले झुंझुनूं की एक स्कूल के संचालक पर एक पेट्रोल पंप मालिक ने स्कूल के वाहनों में डलवाए पेट्रोल डीजल के लाखों रुपये न देने का आरोप लगाया है ।
जहां सरकारी स्कूलों में नामाकन न होना व बहुत सी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से ज्यादा अध्यापकों का होना सरकार की मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़े करते हैं । इसके विपरीत जन प्रतिनिधि अपने क्षेत्र में सरकारी स्कूल खोलने का दबाव तो सरकार पर बनाते हैं लेकिन पढ़ाई के स्तर को लेकर एक शब्द भी बोलना नहीं चाहते हैं । अभी हाल ही में पूरक बजट मांगों पर राजनीतिक वर्चस्व के चलते किठाना गांव में सरकारी महाविद्यालय खोलने की घोषणा की गई लेकिन पिलानी स्थिति कस्बे की सबसे पुरानी निजी कालेज एमके साबू पीजी कॉलेज को प्रशासन ने बंद करने का निर्णय लिया लेकिन जन प्रतिनिधि इसको लेकर विधानसभा में आवाज उठाने से कतरा रहे हैं कि इस महाविद्यालय का सरकार अधिग्रहण क्यों नहीं करती जबकि इसमें हजारों बालिकाएं शिक्षा ग्रहण कर रही है व इसकी फीस आम आदमी की पकड़ में है ।
सरकार को चाहिए की आमजन की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस शिक्षा माफिया से निजात दिलाने की दिशा में ठोस कार्रवाई करने के साथ ही समान शिक्षा निती लागू करें ।
राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला पिलानी, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक