NEET UG: नीट-यूजी केस में क्या-क्या हुआ और कहां तक पहुंची CBI जांच; कितने आरोपी पकड़े गए और उन पर क्या आरोप?
NEET-UG 2024 Row: 24 लाख से ज्यादा छात्रों वाली प्रवेश परीक्षा में अनियमितताओं की जांच सीबीआई कर रही है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। इन सबके बीच पटना एम्स के चार डॉक्टर गुरुवार को सीबीआई गिरफ्त लिए गए। इन पर सॉल्वर के तौर पर काम करने का आरोप है। आइये जानते हैं नीट यूजी मामले में अब तक क्या-क्या हुआ...

NEET-UG 2024 Row: मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी को लेकर इन दिनों काफी बवाल मचा हुआ है। 24 लाख से ज्यादा छात्रों वाली प्रवेश परीक्षा कई अनियमितताओं के आरोपों के कारण विवाद का केंद्र बन गई है। इस विवाद ने पूरे देश में विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक विवाद को भी जन्म दे दिया है। विवाद के बीच अनियमितताओं की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। पूरा मामला देश की सर्वोच्च अदालत तक भी पहुंच चुका है। अदालत लगातार इस मामले की सुनवाई कर रही है।
आइये जानते हैं कि नीट-यूजी मामले में अब तक क्या हुआ है? कथित अनियमितताएं क्या हैं? छात्रों को कृपांक (ग्रेस मार्क्स) क्यों दिए गए? सीबीआई जांच कहां तक पहुंची? अनियमितता के आरोपों पर एनटीए का रुख क्या है? मामले में सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?
नीट-यूजी का पूरा विवाद क्या है?
दरअसल, 5 मई को देशभर के 571 शहरों में स्थित 4,750 केंद्रों पर नीट यूजी 2024 का आयोजन किया गया था। इसमें भारत के बाहर के 14 शहर भी शामिल हैं जहां 5 मई (रविवार) को दोपहर 02:00 बजे से शाम 05:20 बजे (IST) तक आयोजित की गई थी।
परीक्षा कराने के साथ ही इसमें धांधली के आरोप लगने शुरू हो गए। नीट-यूजी में अंकों को बढ़ा-चढ़ाकर बताने के आरोप लगे हैं, जिसके चलते 67 छात्रों ने पूरे 720 अंक के साथ पहली रैंक पाई है। पिछले साल दो छात्रों ने संयुक्त रूप से पहली रैंक हासिल की थी। छात्रों का आरोप है कि कई छात्रों के अंकों को मनमाने ढंग से घटाया या बढ़ाया गया है, जिसका असर उनकी रैंक पर हुआ है।
नीट-यूजी 2024 में कुल 67 छात्रों ने 720 अंक हासिल किए थे, जो NTA के इतिहास में पहली बार है। परफेक्ट स्कोर करने वालों में छह छात्र हरियाणा के एक ही केंद्र से हैं। इससे छात्रों ने परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप लगाया। यह भी आरोप लगाया गया है कि ग्रेस मार्क्स के कारण 67 छात्रों ने शीर्ष रैंक साझा की। 1,500 से ज्यादा छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं और यह भी जांच के दायरे में हैं। कहा गया कि छह केंद्रों पर परीक्षा में देरी के कारण हुई समय की बर्बादी की भरपाई के लिए ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। परीक्षा में पेपर लीक के आरोप भी लगे हैं, जिसकी जांच सीबीआई कर रही है और कई हलकों ने फिर से परीक्षा की मांग की है।
छात्रों को ग्रेस मार्क्स क्यों दिए गए?
दरअसल, मेघालय, हरियाणा, छत्तीसगढ़, सूरत और चंडीगढ़ के कम से कम छह केंद्रों के छात्रों ने परीक्षा के दौरान समय की बर्बादी की शिकायत की थी। इन स्थानों पर परीक्षा लिखने के लिए पूरे 3 घंटे और 20 मिनट नहीं मिले। कारण बताए गए कि छात्रों को गलत प्रश्नपत्र के वितरण किया गया, फटी हुई ओएमआर शीट मिली या ओएमआर शीट बांटने में देरी सहित प्रशासनिक कारणों की भी बात सामने आई।
एनटीए द्वारा गठित एक समिति ने मामले की जांच की और छात्रों की समय की खराबी के मुद्दे को हल करने के लिए एक फार्मूला अपनाया। समय की खराबी का पता लगाया गया और ऐसे छात्रों को ग्रेस मार्क्स के साथ भरपाई की गई।