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हरीश चौधरी की कविता सुनकर विधानसभा में हंगामा, सभा से बाहर निकालने पर अड़े भाजपा विधायक


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हरीश चौधरी की कविता सुनकर विधानसभा में हंगामा, सभा से बाहर निकालने पर अड़े भाजपा विधायक

विधानसभा में अनुदान मांगों पर बहस के दौरान कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने बजट की तुलना ठाकुर का कुआं कविता से की। हरीश चौधरी ने कहा क्रांतिकारी कवि ओमप्रकाश वाल्मीकि ने ठाकुर का कवि कविता के जरिए भेदभाव का दर्द बयां किया था।

जयपुर : कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने गुरुवार को विधानसभा में अनुदान मांगों पर बोलते हुए ओम प्रकाश वाल्मीकि की यह कविता पढ़ी तो सदन में हंगामा हो गया।

इस कविता को पढ़ने के बाद मचा हंगामा…

चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का।

भूख रोटी की, रोटी बाजरे की, बाजरा खेत का, खेत ठाकुर का।

बैल ठाकुर का, हल ठाकुर का, हल की मूठ पर हथेली अपनी।

फसल ठाकुर की, कुआं ठाकुर का, खेत-खलिहान ठाकुर के।

गली-मुहल्ले ठाकुर के,  फिर अपना क्या? गांव? शहर? देश?

हमारा क्या, हमारा कुछ नहीं, सब कुछ ठाकुर का।

 

कविता पढ़ने के बाद कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने कहा क्रांतिकारी कवि ओमप्रकाश वाल्मीकि ने ‘ठाकुर का कुआं’ कविता के जरिए भेदभाव का दर्द बयां किया था। वही दर्द इस बजट को पढ़कर दिखेगा। मैं कम पढ़ा जरूर हूं, केवल पोस्ट ग्रेजुएट हूं। इस पर BJP विधायकों ने आपत्ति जताते हुए सदन की कार्यवाही से निकालने की मांग की।

भाजपा विधायकों ने हरीश चौधरी पर जातिवाद फैलाने और एक वर्ग को आहत करने का आरोप लगाया। संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि आप किसी को आहत नहीं कर सकते, कार्यवाही से निकालें।

पटेल ने कहा किसी जाति वर्ग के लिए कमेंट करने पर कोई आहत होता है तो उसको कार्यवाही से निकालना चाहिए। हम सब एक हैं, आहत करने वाली टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। इस पर सभापति संदीप शर्मा ने कहा कि जो सदन के अनुकूल नहीं होगा उसको कार्यवाही से निकाल दिया जाएगा।

हरीश चौधरी ने कहा हम आरक्षण के नाम पर दर्द बयां करते हैं तो हंसी उड़ाई जाती है। 80 फीसदी संसाधन ऊंची जातियों के पास हैं। हम पिछड़ों के पास क्या है। हम लोग जो ओबीसी में पिछड़े आते हैं उनका क्या है। केवल 17 परसेंट मिला। नौकरियों में रोस्टर के नाम पर खेल किया जाता है। ओबीसी वोट के समय ही याद आते हैं।

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