1 जुलाई से 3 नए कानून लागू होंगे:जीरो एफआईआर की मिलेगी सुविधा, संज्ञेय अपराध में अब किसी भी थाने में दर्ज करवा सकेंगे शिकायत
1 जुलाई से 3 नए कानून लागू होंगे:जीरो एफआईआर की मिलेगी सुविधा, संज्ञेय अपराध में अब किसी भी थाने में दर्ज करवा सकेंगे शिकायत

जयपुर : एक जुलाई से तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू होंगे। इसके साथ ही जीरो एफआईआर की शुरुआत हो जाएगी। संज्ञेय अपराध के मामले में पीड़ित किसी भी थाना क्षेत्र में शिकायत दर्ज करवा सकेगा। इसके बाद जांच के लिए संबंधित थाना में एफआइआर काे स्थानांतरित कर दिया जाएगा। इसका उद्देश्य है कि अपराधाें में महिलाओं व बच्चाें काे एक पुलिस स्टेशन से दूसरे पुलिस स्टेशन जाए बिना थाने में जल्दी रिपाेर्ट दर्ज हाेने का लाभ मिलेगा। जीराे एफआईआर की प्रति शिकायतकर्ता काे दी जाएगी।
साथ ही संबंधित पुलिस थाने के क्षेत्राधिकार काे बताया जाएगा। यह तथ्य राेजनामचा में दर्ज कर सूचना एसपी कार्यालय काे भेजी जाएगी। यदि जीराे एफआईआर ऐसे अपराध से संबंधित है, जिसमें 3 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान हाे ताे फॉरेंसिक टीम से साक्ष्यों की जांच करवानी हाेगी। इसके लिए वृत्ताधिकारी से सहायता लेनी हाेगी।
अधिनियम 1989 में बिना जांच के दर्ज हाेगी रिपाेर्ट
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989. कानूनी रूप से इस प्रावधान के अंतर्गत नहीं आता है। इसलिए, एफआईआर किसी भी प्रारंभिक जांच के बिना दर्ज करनी हाेगी।
इलेक्ट्राॅनिक सूचना भी मान्य
धारा 173- संज्ञेय मामलों में एफआईआर किसी भी थाने में दर्ज करवाई जा सकती है। एफआईआर इलेक्ट्राॅनिक सूचना द्वारा भी दी जा सकती है, लेकिन सूचनाकर्ता काे तीन दिन के भीतर हस्ताक्षरित करनी जरूरी हाेगी।
अपराध में धाराएं दर्ज करने में विफल अधिकारी काे भी सजा का प्रावधान
बीएनएस की धारा 199 (सी) में धाराएं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएएस) 2023 की धारा 173 (3) में सजा का प्रावधान 3 से 7 साल है। इन अपराधों के लिए प्रारंभिक जांच का विकल्प उपलब्ध नहीं है। कोई भी अधिकारी जो भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 173 (1) के तहत दी गई जानकारी को दर्ज करने में विफल रहता है। धारा 64, धारा 65, धारा 66, धारा 67, धारा 68, धारा 70, धारा 71, धारा 74, धारा 76, धारा 77, धारा 79, धारा 124, धारा 143 या धारा 144 के अंतर्गत संज्ञेय अपराध के संबंध में दंडनीय है। 2 छह माह से 2 साल तक कठोर कारावास और जुर्माना लगाया जा सकता है।