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1729 में बना था ऐेतिहासिक भवन:सूरजपोल गेट के पास नजूल की संपत्ति के फर्जी दस्तावेज बनाकर 30-30 वर्गगज के भूखंड बेचे


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1729 में बना था ऐेतिहासिक भवन:सूरजपोल गेट के पास नजूल की संपत्ति के फर्जी दस्तावेज बनाकर 30-30 वर्गगज के भूखंड बेचे

1729 में बना था ऐेतिहासिक भवन:सूरजपोल गेट के पास नजूल की संपत्ति के फर्जी दस्तावेज बनाकर 30-30 वर्गगज के भूखंड बेचे

जयपुर : चारदीवारी क्षेत्र के सूरजपोल गेट के पास 300 वर्ष पुरानी नजूल की संपत्तियां और भूखंड फर्जी दस्तावेज बनाकर बेचने का मामला सामने आया है। कोठे के नाम से पहचाने जाने वाली इस 3 हजार वर्गगज जमीन पर 30-30 गज के भूखंड बेचे जा रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि रास्ते को भी नहीं छाेड़ा गया। 10-10 फीट चौड़ी गलियाें में 4-4 मंजिला मकान बना दिए गए हैं। इनकी कीमत 20 करोड़ रुपए बताई जा रही है।

संपदा विभाग और रामगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने वाले सूरजपोल निवासी सेवानिवृत्त उपशासन सचिव मोहनलाल मीणा का कहना है कि आसपास 200 वर्ष पुराने कई मकान हैं। उन पर भी दबाव बनाकर मकान बिकवाए जा रहे हैं। बहुसंख्यक आबादी होने के बावजूद समुदाय विशेष के लोगों को बसाने से सद्भावना का माहौल बिगड़ रहा है। इनका आरोप है कि ऐतिहासिक इमारतों पर भी कब्जा कर तोड़फोड़ की जा रही है।

कई संपत्तियों के नाम भी स्थानांतरित करवा लिए, 7 लोगों पर केस दर्ज
रामगंज थाने में किशनलाल, आशिब, हरिकिशन, मोईन, महेंद्र शास्त्री, मो. तौफिक व मो. तौसिक के खिलाफ मामले दर्ज हैं। आरोप है कि नजूल संपत्तियों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर व ऐतिहासिक संपत्तियों में तोड़फोड़ कर कॉलोनी बसा रहे हैं। कई संपत्तियों के नाम स्थानांतरित भी करा चुके हैं, जबकि संपदा अधिकारी की अनुमति के बिना नाम स्थानांतरित कर नाम परिवर्तित नहीं किए जा सकते।

300 साल पुराना भवन, कोठे है नाम
मोहनलाल मीणा का कहना है कि सूरजपोल बाजार के सामने स्थित नजूल संपत्तियों को कोठे कहा जाता है। 1729 में बने इन भवनों का ऐेतिहासिक महत्व है। संपदा विभाग से सरकारी स्टेटस भी मिला हुआ है। यह हेरिटेज निगम मुख्यालय चौकड़ी तोपखाना हजूरी वार्ड-54 के खसरा नंबर 1639, 1641, 1642, 1643 1661, 1771 और 1997 में आता है। लोगों ने निगम अधिकारियों के सामने विरोध भी दर्ज करवाया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

1857 से आजादी तक जब्त संपत्तियां नजूल कहलाती हैं
1857 से आजादी के समय तक विद्रोह करने वाले राजा-महाराजाओं की जो संपत्तियां अंग्रेजाें ने जब्त की थी, उनको नजूल संपत्ति कहा जाता है। इनकी देखरेख का जिम्मा सरकार का है।

प्रदेश में 7 हजार कराेड़ की 3500 संपत्तियां
प्रदेश में 3500 नजूल संपत्तियां हैं। कीमत 7 हजार कराेड़ रुपए से अधिक है। इनमें 500 भूखंड हैं। कब्जे के चलते सरकार न तो संपत्तियों को बेच पा रही है और ना किराया वसूल पा रही है। ऐसी काेई योजना भी नहीं है, जिससे संपत्तियों का निस्तारण किया जा सके। शहर में नजूल की 10 और ग्रामीण में 31 संपत्तियां हैं। अजमेर में 207 हैं।

गौतम ने कहा- नजूल की बेची गई संपत्तियों की रजिस्ट्रियां निरस्त करवाएंगे
संपदा विभाग की अधिकारी रंजिता गौतम का कहना है कि सूरजपोल में नजूल की संपत्तियों को बेचने की शिकायत आई हैं। जो संपत्तियां बेची गई हैं, उनकी रजिस्ट्री निरस्त करवाएंगे। यहां की और रजिस्ट्रियां न हाे, इसके लिए रजिस्ट्रार विभाग को पत्र लिखेंगे।

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