ग्राम सेवा सहकारी समिति घोटाला:एमडी और कलेक्टर के हस्ताक्षर बिना जारी नहीं होता फसल बीमा क्लेम, भोमाराम फर्जी आवेदकों के नाम करते रहे करोड़ों रुपए पास
ग्राम सेवा सहकारी समिति घोटाला:एमडी और कलेक्टर के हस्ताक्षर बिना जारी नहीं होता फसल बीमा क्लेम, भोमाराम फर्जी आवेदकों के नाम करते रहे करोड़ों रुपए पास

जयपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पीएम फसल बीमा योजना के क्लेम बांटने को लेकर राजस्थान में महाघोटाला हो गया। पहले भरतपुर में हुआ, लेकिन कार्रवाई हो गई। जालोर में हुआ उस पर भी कार्रवाई हुई। लेकिन जैसलमेर में खुद भोमाराम 2021, 2022 में सेंट्रल को-आपरेटिव बैंक के एमडी थे और घोटाला हुआ। जिले के कलेक्टर और एमडी के हस्ताक्षर बिना जिले की ग्राम सेवा सहकारी समितियों के क्लेम पास ही नहीं होते।
भोमाराम ने समितियों के भेजे सारे फर्जी क्लेम बिना जांच के पास कर दिए। घोटाला नीचे से ऊपर तक मिलीभगत से दबाया जाता रहा। 2 दिन पहले एसीबी की राडार पर आए राजस्थान स्टेट को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड जयपुर (अपैक्स बैंक) के एमडी भोमाराम को हटा तो दिया, लेकिन भोमाराम के हस्ताक्षर से पीएम फसल बीमा के हजारों क्लेम फर्जी तरीके से पास हो गए। एसडीएम भणियाणा की जांच में फर्जी बंटाईदारों को क्लेम देने का घोटाला खुला। सामने आया कि बंटाईदार कभी किसान के खेत में गए ही नहीं। किसान उनको जानते ही नहीं।
क्लेम आवेदन और धन जारी करने का सारा खेल कागजों में हुआ। ऑनलाइन किया गया। जैसलमेर जिले की 10 ग्राम सेवा सहकारी समितियों के 40 से अधिक गांवों के 4800 बंटाइदारों को केवल भू रिकार्ड और रकबों के आधार पर फर्जी क्लेम खातों में ट्रांसफर कर दिए। 300 करोड़ रुपए फर्जी बंटाईदार डकार गए। केंद्र में सहकारिता मंत्रालय अमित शाह के पास है। शाह तक शिकायतें पहुंची। 1200 से अधिक किसानों ने शाह और सीएम कार्यालय भी किसानों ने पत्र और मेल भेजे। लेकिन मामले को दबाते रहे।
समितियों द्वारा बनाए 4800 फर्जी बंटाइदारों को यह भी नहीं पता कि उनको किस किसान के खेत पर क्लेम मिला?
सीएमओ ने प्रकरण तलब किया : मीडिया द्वारा पीएम फसल बीमा क्लेम घोटाला उजागर करने पर सीएम कार्यालय की तरफ से सहकारिता विभाग ने प्रकरण तलब किया है। विभाग के अफसर भोमाराम को हटाए जाने के बाद प्रकरण की जानकारी भेज रहे हैं।
नाबार्ड बैंक ने कार्रवाई नहीं की : पीएम फसल बीमा योजना की राशि केंद्र से जारी होने के बाद नाबार्ड बैंक द्वारा राज्यों को ट्रांसफर होती है। नाबार्ड बैंक के अफसरों के ध्यान में योजना का घोटाला लाया गया। लेकिन वे भी कार्रवाई से बचते रहे। सख्त कार्रवाई नहीं की। जयपुर स्थित नाबार्ड कार्यालय में किसानों ने शिकायतें की थी।
हमें तो यह भी नहीं पता कि हमारे खेत पर क्लेम उठाने वाले फर्जी बंटाईदार का नाम क्या है? हमारे खेत पर कभी कोई बंटाईदार नहीं आया। न कभी किसी दूसरे ने हमारे खेत पर खेती की। फिर क्लेम कैसे पास हो गया?
-किसान डूंगरसिंह जोधा, मानासर
मेरे खेतों पर 16 लाख रुपए फर्जी बंटाइदारों ने उठा लिए। ग्राम सेवा सहकारी समितियों के खिलाफ थाने में एफआईआर तक नहीं ले रहे। हम गरीबों को न्याय कौन देगा?
– किसान पत्ता राम जोगी, स्वामीजी की ढाणी
हमने और पूरे गांव ने कभी सभी खेतों में मूंग बोए ही नहीं। समितियों ने फर्जी कागज तैयार कर हमारे खेतों में मूंग जले दिखाकर क्लेम किसको दे दिया, हमें कोई जानकारी नहीं।
-किसान भीख सिंह उर्फ रेवंतसिंह फुलासर
मेरे खेत में फर्जी बंटाईदार डाल कर क्लेम के लाखों रुपए उठाए गए। बंटाइदारों के नाम पता चले तो अब कहते हैं, आपके खेत को हम नहीं जानते। अब किससे पूछें कि घोटाला किसने किया?
-मोहन मेघवाल, हीरा की ढाणी किसान