गर्भावस्था हेल्प सिंड्रोम से ग्रसित मां व बच्ची को केक काटकर घर भेजा
गर्भावस्था हेल्प सिंड्रोम से ग्रसित मां व बच्ची को केक काटकर घर भेजा

झुंझुनूं : अति हाई रिस्क गर्भावस्था हेल्प सिंड्रोम से ग्रसित मां व बच्ची को डेढ़ महीने आईसीयू में आरजीएचएस के तहत निशुल्क उपचार के बाद केक काटकर घर भेजा। डॉ. अर्सा ने बताया कि हेल्प सिंड्रोम में मां का बीपी इतना अधिक होता है कि लीवर व खून में प्लेटलेट नष्ट होने लगती है और गर्भ में ऑक्सीजन की कमी से बच्चे की मृत्यु हो जाती है।
उन्होंने बताया कि ये इतनी जटिल स्थिति होती है कि हेल्प सिंड्रोम की 50 प्रतिशत महिलाओं में मां या बच्चे की जान नहीं बच पाती है, लेकिन अस्पताल की टीम की कुशलता और लगन से जिला स्तर पर ही मेडिकल कॉलेज वाला इलाज कर दोनों की जान बचा पाए। बीपी 200/210 होने के कारणा बच्चे को 7वीं महीने में ही जन्माना पड़ा और जन्म के समय वजन 1.100 ग्राम थाा। फेफड़े, आंखें व आंत आदि भी विकसित नहीं थे, लेकिन अब ठीक है और वजन 1.6 किलोग्राम हो गया है। इस दौरान डॉ. अशोक, डॉ. दीपक, ज्योति, संदीप, वरिष्ठ शिक्षक सांवरमल टोड़ीवाले, अमीलाल जाखड़ नीम की ढाणी बामलास आदि ने केक काटकर खुशी मनाई।