जयपुर : राजस्थान में लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के साथ ही सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने इंडिया गठबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं, दूसरी तरफ वैभव गहलोत की हार पर सचिन पायलट ने कहा- वैभव पिछली बार भी नहीं जीत पाए थे, इस बार भी नहीं जीत पाए। इधर राजस्थान में 11 सीटों पर भाजपा की हार के बाद वहां भी बयानबाजी शुरू हो गई है। मंत्री खर्रा ने गुरुवार को कहा कि हार के कई कारण हो सकते हैं।
मुझे मीटिंग में नहीं बुलाया, कहा- आप छोटे दल हैं- बेनीवाल
सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि इंडिया गठबंधन की 1 और 4 तारीख को दिल्ली में मीटिंग हुई थी, लेकिन मुझे नहीं बुलाया गया। जब मैंने इस बारे में पूछा तो कहा गया कि आप छोटे दल हैं, इसलिए नहीं बुलाया। यह मेरा अपमान है। प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष या दूसरे नेताओं ने यह तक नहीं कहा कि राजस्थान की कांग्रेस की जीत में हनुमान बेनीवाल का बड़ा योगदान है।
जबकि मैं ये लगातार कह रहा था कि मुझे जो 3 लाख वोट मिले हैं, वे कांग्रेस के साथ गठबंधन के कारण मिले हैं। सच यह भी है कि आरएलपी की वजह से कांग्रेस को 20 लाख से अधिक वोट मिले हैं। अगर गठबंधन पहले हो जाता। नेता रोड़े नहीं अटकाते तो कांग्रेस की सीटें और बढ़ सकती थीं। लेकिन इस सब के बावजूद में भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहूंगा।
वैभव गहलोत पिछली बार भी हार गए थे- पायलट
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट ने गुरुवार को कहा- टिकट कांग्रेस पार्टी देती है। सिफारिश जरूर एक नेता की होती है, लेकिन टिकट मिलने के बाद सभी ने मेहनत की और रिजल्ट अच्छा आया है। भाजपा के 370 व एनडीए गठबंधन को 400 पार देने के दावे किए थे। लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा नेताओं के दावों और अहंकार को हराकर इंडिया गठबंधन पर विश्वास जताया है।
उन्होंने पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत की हार पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमारे कुछ लोग हारे हैं। वैभव पिछली बार भी नहीं जीत पाए थे, इस बार भी नहीं जीत पाए। हम और मेहनत करेंगे और अगली बार किसी और सीट से वैभव गहलोत जीतेंगे।
प्रदेश में नहीं होगा नेतृत्व परिवर्तन – UDH मंत्री
UDH मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा- भाजपा की 11 सीटों पर हार की जिम्मेदारी सबकी है। समस्त भाजपा कार्यकर्ता हार की जिम्मेदारी लेते हैं। हार की जिम्मेदारी किसी एक ही नहीं होती है। उन्होंने कहा कि हार के कई कारण हैं। गलत टिकट वितरण का भी असर रहा। किसान आंदोलन से भी फर्क पड़ा। ऐसे कई कारण हैं। 400 पार के नारे को लेकर कांग्रेस ने जो भ्रम फैलाया था। उसे हम दूर नहीं कर पाए। इस पर मंथन का समय है। गलतियां सुधारेंगे और आगे फैसले लेंगे।
उन्होंने कहा कि डॉ. किरोड़ी लाल मीणा पर यह बोले कि कार्यकर्ताओं और केंद्र की भावनाओं को देखते हुए उन्हें मंत्री पद पर बने रहना चाहिए। उन्होंने सरकार में नेतृत्व परिवर्तन पर कहा कि मुझे नहीं लगता कि फिलहाल कोई परिवर्तन होगा।
अलग भील प्रदेश बनाए सरकार – रोत
बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल करने वाले सांसद राजकुमार रोत ने कहा- ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का काम ठप सा है। विकास थमा हुआ है। इसका समाधान सिर्फ भील प्रदेश है। उन्होंने कहा कि मैं और मेरी पार्टी भील प्रदेश की डिमांड लंबे समय से करते आ रहे हैं। अब मैं भील प्रदेश की डिमांड को संसद में उठाऊंगा। सबको विश्वास और सबको साथ में लेकर भील प्रदेश बनाएंगे।
उन्होंने कहा- पूर्व की पार्टियां इस क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं नहीं दे पाईं। आरक्षण की पॉलिसी, संविधान के प्रावधान, शिक्षा, स्वास्थ्य, इन क्षेत्र में किसी प्रकार का काम नहीं किया। सिर्फ आदिवासी जनता को बेवकूफ बनाने का काम किया गया। रोजगार के लिए लोग गुजरात पलायन करते हैं, उसे भी रोकने का काम करेंगे।