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डेयरी नाइस ब्रांड का 3480 लीटर घी सीज; एमआरपी 595 रु. लीटर, लेकिन थोक में 320 रुपए में बिक रहा


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डेयरी नाइस ब्रांड का 3480 लीटर घी सीज; एमआरपी 595 रु. लीटर, लेकिन थोक में 320 रुपए में बिक रहा

डेयरी नाइस ब्रांड का 3480 लीटर घी सीज; एमआरपी 595 रु. लीटर, लेकिन थोक में 320 रुपए में बिक रहा

सीकर : स्वास्थ्यि विभाग व फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की टीम ने शनिवार को पलसाना में डेयरी नाइस ब्रांड के घी का स्टॉक नकली होने की आशंका पर सीज किया है। खाद्य सुरक्षा व औषधि नियंत्रण विभाग, जयपुर के जॉइंट कमिश्नर डॉ. एसएन धौलपुरिया के निर्देशन में ये कार्रवाई की गई।

टीम ने पलसाना स्थित एमएस ट्रेडर्स नाम की फर्म के गोदाम पर छापा मारा। ये फर्म मनोज कुमार के नाम से रजिस्टर्ड है जो इस ब्रांड का डीलर है। गोदाम में डेयरी नाइस ब्रांड का 3480 लीटर घी का स्टॉक मिला। टीम ने सैंपलिंग कर मौके पर ही घी के स्टॉक को सील करवा दिया। टीम ने जयपुर भेजने के लिए भी सैंपल लिए। जांच में सामने आया कि डेयरी नाइस ब्रांड का ये नकली घी दिल्ली के भादरगढ़ स्थित डीसीएम फूड प्रोडक्ट्स नाम की कंपनी सप्लाई करती है।

डेयरी नाइस ब्रांड के एक लीटर घी की एमआरपी 595 रुपए लीटर है। ये सरस घी से भी 47 रुपए ज्यादा है। लेकिन डीलर द्वारा थोक विक्रेताओं को ये घी महज 320 रुपए लीटर में बेचा जा रहा है। थोक विक्रेता अपना मार्जिन लेकर सस्ते दामों में ही इस घी को खुदरा व्यापारियों को बेचते हैं। ज्यादा मार्जिन मिलने के कारण ही लोकल ब्रांड के घी की डिमांड भी बढ़ती जा रही है। क्योंकि सरस घी का थोक मूल्य 510 रु. लीटर है। इसमें कारोबारियों को महज 38 रुपए का फायदा होता है।

सरस डेयरी चेयरमैन जीता राम ने बताया कि एक साल में सरस घी की डिमांड में काफी कम हो गई। सीकर के सरस विक्रेता राकेश ने बताया कि लोकल ब्रांड के घी में ज्यादा मार्जिन की वजह से दुकानदार इन्हें एमआरपी से कुछ कम दाम में भी बेच देते हैं। जबकि सरस-अमूल जैसे सरकारी व अन्य ओरिजिनल ब्रांड में मार्जिन कम रहता है। पूछताछ में मनोज कुमार ने बताया कि ये घी सीकर, नीमकाथाना, झुंझुनूं व जयपुर तक सप्लाई किया जाता है। इसके लिए उसने पलसाना, सीकर, नवलगढ़, चिड़ावा, उदयपुरवाटी व रींगस सहित चारों जिलों में एक दर्जन से ज्यादा सब डीलर भी नियुक्त किए हैं। कारोबारी के अनुसार वो पिछले एक साल से इस ब्रांड का घी सप्लाई कर रहा है। एक माह में वो करीब चार हजार लीटर घी सप्लाई करता है।

यानी पिछले एक साल में चारों जिलों को 48 हजार ​लीटर घी की सप्लाई हो चुकी है। जॉइंट कमिश्नर डॉ. एसएन धौलपुरिया के अनुसार दिल्ली की फर्म सीकर के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसकी सप्लाई कर सकती है। जांच के बाद स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट हो पाएगी। इसके साथ ही शनिवार को विभाग की टीम ने रींगस में श्री रिद्धि-सिद्धि किराना स्टोर पर 14 लीटर व नवलगढ़ के श्री लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी पर 66 लीटर घी का स्टॉक नकली होने की आशंका पर सीज किया है। ^विभाग को घटिया व अमानक घी के संबंध में शिकायत मिली थी। संदेश के आधार पलसाना में थोक विक्रेता के गोदाम की जांच की गई तो बड़े स्तर पर अमानक घी का स्टॉक पाया गया। इसे सीज किया गया है। लैब में सैंपल लिए भिजवाए हैं।

दोषी पाए जाने पर निर्माता फर्म व विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पंकज ओझा, अतिरिक्त आयुक्त, फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट जयपुर एसके मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर व फिजिशियन डा. दर्शन भार्गव बताते हैं कि शुद्ध घी में गुड फैट्स होते हैं, जो हमारे शरीर को ऊर्जा देते हैं। लेकिन मिलावटखोर ज्यादा फायदे के लिए घी में वनस्पति तेल, एनिमल फैट व हाइड्रोजनेटेड ऑयल भी मिलाने लगे हैं। ये घी सेहत के लिए घातक होता है। इससे शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने लगती है। जो धीरे-धीरे नसों के अंदरूनी हिस्सों में जाकर खून के बहाव को प्रभावित करता है। इसका मात्रा बढ़ने पर ये ध​मनियों में ब्लॉकेज भी करता है। इससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक व पैरालाइसिस हो सकता है। साथ ही लीवर पर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। स्थिति बिगड़ने पर इससे ​लीवर सिरोसिस भी हो सकता है।

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