कांग्रेस कि कद्दावर नेता डॉ कमला का किया सामान्य नागरिक की तरह अंतिम संस्कार
कांग्रेस कि कद्दावर नेता डॉ कमला का किया सामान्य नागरिक की तरह अंतिम संस्कार

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : अनिल शर्मा
शिमला : गुजरात कि पूर्व राज्यपाल और राजस्थान कि पूर्व उप मुख्यमंत्री रहीं राजस्थान की वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. कमला बेनीवाल का गुरुवार 16 मई को जयपुर में अंतिम संस्कार हुआ। बुधवार 15 मई को 97 वर्ष कि आयु में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया था। अंतिम संस्कार शहर के लालकोठी श्मशान घाट पर हुआ। शव यात्रा से पहले उपस्थित लोगों और परिवारजनों ने श्रद्धांजलि दी। इसके बाद कमला बेनीवाल के पुत्र आलोक बेनीवाल ने मुखाग्नि दी। भावुक उपस्थित लोगों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। अंतिम संस्कार में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व मंत्री और भाजपा नेता लालचंद कटारिया, आमेर विधायक प्रशांत शर्मा, कांग्रेस जिला अध्यक्ष आरआर तिवारी, इंद्रराज गुर्जर, पूर्व विधायक महादेव सिंह खंडेला सहित अन्य जनप्रतिनिधि और शहर के गणमान्य नागरिक शामिल हुए।
इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा ने कहां की कमला जी राजस्थान की कांग्रेस के सबसे सीनियर लीडर थी तथा उन्होंने लगभग पांच दशक तक कांग्रेस पार्टी में रहकर कार्य किया था तथा वो अनेक बार कैबिनेट मंत्री रही तीन-तीन राज्य की राज्यपाल रही उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान से किया जाना चाहिए था लेकिन राजस्थान में भाजपा की सरकार होने के कारण उनका सम्मान राजकीय सम्मान की तरह नहीं किया गया जबकि इतने बड़े कद्दावर नेता का राजकीय सम्मान से संस्कार होना चाहिए था ।इसके लिए उन्होंने दुख प्रकट किया उन्होंने कहा कि अगर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार होती तो कमला जी का दाह संस्कार राजकीय सम्मान से होता। उन्होंने भाजपा सरकार पर राजकीय सम्मान नहीं देने का आरोप लगाया।चूंकि कमला जी ने ग्यारह साल की आयु मे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था एवं राज्यपाल रही थी अतः अन्तेष्ठी राजकीय सम्मान से किया जाना चाहिए था ।
स्वतंत्रता सेनानी होने के बावजूद नहीं मिला राजकीय सम्मान
97 वर्षीय डॉ कमला बेनीवाल का गुरुवार (16मई) को जयपुर के लाल कोठी श्मशानघाट में अंतिम संस्कार किया गया. उनकी पार्थिव देह को मालवीय नगर के उनके आवास पर दर्शनों के लिए रखा गया था. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और PCC चीफ़ गोविंद सिंह टोडासरा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए । लेकिन श्मशानघाट में पूर्व राज्यपाल और पूर्व स्वतंत्रता सेनानी को नियमों के अनुसार प्रोटोकोल नहीं देने से ये पूरा विवाद छिड़ गया है।
अंतिम संस्कार के दौरान किसी तरीक़े से राजकीय सम्मान की व्यवस्था नहीं थी. सामान्य तरीक़े से अंतिम संस्कार किया गया था. हालाँ कि प्रोटोकोल के मुताबिक़ ये राज्य सरकार की मंशा पर निर्भर करता है कि पूर्व राज्यपाल को राजकीय सम्मान दिया जाए या नहीं. लेकिन कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वे स्वतंत्रता सेनानी भी रही थीं. भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया था और देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें ताम्रपत्र भी दिया था यही वजह है कि कांग्रेस उनकी राजकीय सम्मान को लेकर मुखर नज़र आ रही है. हालांकि कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि गुजरात के राज्यपाल रहने के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ कमला बेनीवाल ने स्टैंड लिया था इसी वजह से राज्य सरकार ने राजकीय सम्मान में रुचि नहीं दिखाई है।