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झुंझुनूं : एयर क्वालिटी मशीन पांच महीने बाद भी शुरू नहीं:झुंझुनूं शहर की एयर क्वालिटी जांंचने के लिए मंंगाई थी 1 करोड़ की मशीन


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झुंझुनूं : एयर क्वालिटी मशीन पांच महीने बाद भी शुरू नहीं:झुंझुनूं शहर की एयर क्वालिटी जांंचने के लिए मंंगाई थी 1 करोड़ की मशीन

एयर क्वालिटी मशीन पांच महीने बाद भी शुरू नहीं:झुंझुनूं शहर की एयर क्वालिटी जांंचने के लिए मंंगाई थी 1 करोड़ की मशीन

शहर की हवा जांचने के लिए लगाई गई एयर क्वालिटी टेस्ट मशीन धूल फांक रही है। मशीन को लगाए हुए पांच महीने होने को आए, लेकिन अभी तक शुभारंभ नहीं किया गया है। मशीन चालू नहीं होने से शहर की हवा की शुद्धता पता नहीं चल पा रहा है।

ऐसे में शहर के लोगों को मशीन का फायदा नहीं मिल पा रहा है। राजस्थान प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से एक करोड़ की लागत से जून माह में इस मशीन को झुंझुनूं की राजकीय परमवीर पीरू सिंह स्कूल में स्थापित किया गया था।

हवा की क्वालिटी दिखाने वाली एक डिस्प्ले जेपी जानू स्कूल में मुख्य गेट पर लगाई गई है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार इस प्रोजेक्ट को जून में शुरू किया जाना था, लेकिन कार्य पूर्ण होने के बाद भी यह सिस्टम धूल फांक रहा है। ऐसे में जिले की हवा शुद्ध है या नहीं, इसकी जानकारी अभी तक लग नहीं पा रही है।

हवा की शुद्धता जांचने के लिए लगाई गई थी मशीन

मशीन पर लगभग 1 करोड़ रुपए खर्च कर शहर की हवा की शुद्धता को जांचने के लिए इसको लगाया गया था, जिससे आमजन की सेहत से जुड़ी कई परेशानियों का समय रहते पता लगा सके। तो वही प्रदूषण फैलने वाली इकाइयों पर समय पर कार्रवाई हो सके। फैक्ट्रियों से निकलने प्रदूषण की मात्रा पता चल सकेगी।

मुख्यालय के रीको में स्थित फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए पॉल्यूशन विभाग के पास ऑटोमेटिक मशीन नहीं है। ऐसे में फैक्ट्रियां से रोजाना हवा में कितना जहर घोल रही हैं इसका भी पता लगा पाना मुश्किल है। ऐसे में इन फैक्ट्रियों पर कार्रवाई भी नहीं होती है।

इसके अलावा मशीन के लगने से शहर में औद्योगिक और रिहायशी इलाकों का भी प्रदूषण स्तर जांचा जा सकेगा। जिन औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण बढ़ा हुआ मिलेगा। वहां पर इसके कारणों को जाना जाएगा और नियम विरुद्ध चल रही फैक्ट्रियों पर कार्रवाई करने में सहायता मिलेगी।

यह होगा फायदा

मशीन शुरू होने से कई फायदे होंगे, बार-बार खुदने वाली सड़कें, इनसे निकलने वाली मिट्टी व धूल आदि आम आदमी पर कितना असर डालते हैं इसका पता चल सकेगा। वाहनों व मेंटनेंस नहीं होने के कारण वाहनों से निकलने वाला अधजला धुआं और उससे होने वाले नुकसान की जानकारी मिल पाएगी।

तकनीकी खामियां की वजह से नहीं हो पाया शुरू

राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के साइंटिफिक ऑफिसर विक्रम सिंह ने बताया कि तकनीकी खामियों की वजह से सिस्टम शुरू नहीं हुआ पाया है। सीएए क्यूएमएस का सारा काम एनटीपीसी देख रही है। इसे जल्द शुरू करने के लिए हमने उनको लेटर लिखा है। उनकी टीम आएगी और तकनीकी खामियों की जांच करेगी। जल्द ही पूरे प्रदेश में मशीन शुरू होने की उम्मीद है।

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