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टीचर बनना चाहती थी, मजबूरी में हरियाणवी डांसर बनी:अस्पताल में लगी आग में हुई पिता की मौत, बोलीं- हर साल इंडस्ट्री छोड़ना चाहती थी


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टीचर बनना चाहती थी, मजबूरी में हरियाणवी डांसर बनी:अस्पताल में लगी आग में हुई पिता की मौत, बोलीं- हर साल इंडस्ट्री छोड़ना चाहती थी

टीचर बनना चाहती थी, मजबूरी में हरियाणवी डांसर बनी:अस्पताल में लगी आग में हुई पिता की मौत, बोलीं- हर साल इंडस्ट्री छोड़ना चाहती थी

मैं टीचर बनना चाहती थी, मैं इस दिशा में आगे भी बढ़ रही थी। लेकिन अचानक जीवन और परिवार में कुछ ऐसी चीजें घटी कि मुझे अपने सपने को तोड़ना पड़ा। घर व खुद के लिए ऐसा करियर चुनना पड़ा, जिसमें मेरा मन बिल्कुल नहीं था। अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने के लिए मैंने एक्टिंग और डांस को चुना। हर साल इस इंडस्ट्री को छोड़ना चाहती थी, लेकिन हर बार गाना हिट होता गया। इसी के दम पर आज मैंने अपनी एमबीए की पढ़ाई भी पूरी की है। एक अलग पहचान भी बनाई है।

जयपुर : यह कहना है हरियाणवी गानों से अपनी पहचान बनाने वाली अंजलि राघव का। वह बॉलीवुड फिल्म तेवर में भी काम कर चुकी हैं। ‘कैरी-रिश्ता खट्टा मीठा’ नामक धारावाहिक में भी नजर आई हैं। उन्हें हाय रे मेरी मोटो गाने ने दुनियाभर में पहचान दिलाई। अंजलि ने कई रीजनल म्यूजिक वीडियोज भी किए हैं। हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, और दिल्ली में अंजलि के लाइव शोज होते हैं। अंजलि राघव और पवन गिल का गाना ‘मैडम नाचे नाचे रे तू तो’ का वीडियो लोगों ने खूब पसंद किया है।

जयपुर में अपनी पहली राजस्थानी फिल्म ‘भरखमा’ के पोस्टर और सॉन्ग लॉन्च इवेंट के लिए आई अंजलि ने अपनी लाइफ, करियर और प्रोजेक्ट पर हमारे मीडिया कर्मी के साथ बात की। आगे पढ़िए अंजलि का पूरा इंटरव्यू…

अंजली हरियाणवी संगीत इंडस्ट्री में अपने काम के लिए जानी जाती हैं।
अंजली हरियाणवी संगीत इंडस्ट्री में अपने काम के लिए जानी जाती हैं।

सवाल: आप राजस्थानी फिल्म कर रही है, किस तरह की फिल्म है, इसे करने का कोई खास कारण?

अंजलि: भरखमा मेरी पहली राजस्थानी मूवी है। मूवी क्या मेरा पहला राजस्थानी प्रोजेक्ट है। यह लव स्टोरी पर बनी फिल्म है। बहुत अलग तरह की फिल्म है। जब मैं डबिंग कर रही थी तो कुछ सीन पर मेरे आंसू भी आ गए। यह बहुत इमोशनल है। ड्रामा भी है। देखने के बाद लोग ज्यादा फील कर पाएंगे। इसमें प्यार को एक अलग तरह से दिखाया गया है। इसमें मेरे साथ राजस्थान के नामचीन कलाकार श्रवण सागर, राजवीर गुर्जर बस्सी, गरीमा पारीक सहित कई लोग करते नजर आएंगे।

अंजलि जयपुर में अपनी राजस्थानी फिल्म भरखमा के इवेंट के लिए आई हुई थी। इसमें श्रवण सागर भी मौजूद रहे।
अंजलि जयपुर में अपनी राजस्थानी फिल्म भरखमा के इवेंट के लिए आई हुई थी। इसमें श्रवण सागर भी मौजूद रहे।

सवाल: किस तरह आप इंडस्ट्री में आए, 10वीं क्लास में ही आपने जॉइन कर लिया था, इसके बारे में बताएं?

अंजलि: 8वीं और 9वीं में होस्टल में थी। 10वीं में ही मैं दिल्ली आई थी। मैं अपनी सिस्टर के शोज देखने जाया करती थी। मेरी दोनों बड़ी बहनें परफॉर्म करती थी। जब वे हरियाणा म्यूजिक वीडियो किया करती थी। मैं देखने जाया करती थी। लोग मुझे पीछे खड़ा कर देते थे। मैं बिना इंटरेस्ट के खड़ी हो जाती थी। इसमें मुझे बिल्कुल मजा नहीं आता था। 11वीं आते आते मैंने इसे छोड़ दिया। साइंस में एडमिशन ले लिया। उस दौरान शनिवार-रविवार को काम आ जाता था। कुछ पैसे भी मिल जाते थे। मैं पैसे के लिए कर लेती थी। टीचर बनना ड्रीम था, जो कर नहीं पाई। आर्टिस्ट के तौर पर करते- करते यहां तक पहुंची हूं।

वह बॉलीवुड फिल्म तेवर में भी काम कर चुकी हैं और कैरी-रिश्ता खट्टा मीठा नामक धारावाहिक में भी नजर आई हैं।
वह बॉलीवुड फिल्म तेवर में भी काम कर चुकी हैं और कैरी-रिश्ता खट्टा मीठा नामक धारावाहिक में भी नजर आई हैं।

सवाल: कहते हैं मजबूरियां बहुत कुछ करवा देती है, आप टीचर बनना चाहती थी और आर्टिस्ट बन गई, क्या कारण रहा?

अंजलि: हर जगह लाइफ चेंजिंग फेस आता है। मैं उस वक्त बहुत खुशी से जीवन जी रही थी। सपनों को पूरा करने वाली ही थी। 11वीं, 12वीं के दौरान ही पापा की दोनों किडनियां फैल हो गई थीं। वे डायलसिस पर आ गए थे। मंथली खर्चा बहुत हो जाता था। दोनों बहनें उस वक्त काम किया करती थी। मैं भी सोचती थी कि पापा की मदद नहीं कर सकती, लेकिन खुद के लिए तो कर ही सकती हूं। शनिवार-रविवार को शूट कर लिया करती थी। जो कमाई होती थी, उससे अपनी ट्यूशन फीस और स्कूल फीस को कवर कर लिया करती थी। इससे घर पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ता था। पापा के लिए बहनें किया करती थी। पांच साल पापा बेड रेस्ट पर रहे। मम्मी उस वक्त बिल्कुल ठीक थीं। हम यह सोच रहे थे कि पापा को कुछ होगा। मम्मी के लिए सोचने का मौका ही नहीं मिला।

पापा के गुजरने से छह महीने पहले मम्मी की डेथ हो गई। मैं कॉलेज गई हुई थी। फर्स्ट ईयर में थी। घर आई तो मम्मी नहीं बच पाई थी। उस समय ब्रेन हैमरेज बहुत ज्यादा हो रहा था। पापा भी ब्रेन हैमरेज से गए। वे किडनी पैशेंट थे। मां की मौत के छह महीने बाद चले गए। एक साल में दोनों की डेथ देख ली। पापा की डेथ को तो बयां भी नहीं कर पाती हूं। ब्रेन हैमरेज तो हमने किसी भी तरह बचा लिया था, ऑपरेशन भी सक्सेसफुल हो गया था। हॉस्पिटल में आग लग गई। इस दौरान उनकी मौत हो गई।

इसके बाद यह काम करना मेरी मजबूरी बन गई। हर साल मैं इसे छोड़ने का मन बना लेती थी, लेकिन उसी वक्त एक गाना हिट हो जाता था। लोगों की नजर में आने लग गई थी। हिट होने के बाद लालच आ जाता है। फिर भी मैं कई साल तक इसे छोड़ने का मन बनाए हुए थी। अब जाकर हरियाणवी का एक क्रेज हुआ है, लोग भी पसंद करते थे। उस समय तो हरियाणवी की इज्जत तक नहीं थी, न कोई देखना पसंद करता था।

मुझे कई लोग बोलते थे कि जो आज बड़े नाम है। कई बड़ी कंपनियां मुझे बोलती थी कि हरियाणवी छोड़ दो, आपको बड़ा काम देंगे। अच्छा किया कि मैंने उनकी बात नहीं मानी। मैं तो काम अपने लिए ही कर रही थी मैंने नहीं छोड़ा और आज वे ही लोग हरियाणवी कर रहे हैं। अब मजा आता है। कुछ साल से अच्छा लगता है, सोचती हूं अब कुछ और अच्छा कर पाउंगी।

उन्हें हाय रे मेरी मोटो गाने ने दुनियाभर में पहचान दिलाई हुई है।
उन्हें हाय रे मेरी मोटो गाने ने दुनियाभर में पहचान दिलाई हुई है।

सवाल: आप अपनी मेहनत के दम पर यहां तक पहुंची हैं, इस दौरान आप पर ताने कसे गए, मोहल्ले में बाते भी बनी, किस तरह का दौर था?

अंजलि: मम्मी-पापा की मौत हुई। हम तीन बहनें और मेरा छोटा भाई हैं। उस दौरान शूट के लिए रात को निकलना होता था, दूर जाना होता था। रात को दो बजे निकल रहे है, रात को ही आ रहे हैं। ऐसे में आस-पास के लोगों ने खूब बातें बनाई। उस वक्त सीडी का दौर था। दिल्ली में लोग हरियाणवी गाने खरीदते नहीं थे। उनको मेरे काम के बारे में पता भी नहीं था। लोग बोलते थे कि पता नहीं कहां जाती है, इतनी रात को क्या करती है। कोई छोड़ने आता था तो उस पर भी गलत बातें बनी। वह सोच के में टूट जाया करती थी।

हर बार सोचती रहती कि अब ये नहीं करूंगी। मजबूरी हर अगले दिन खड़ा कर दिया करती थी। सोचती थी कि लोग तो हर किसी काम के लिए बात बनाएंगे। इनके लिए क्या ही सोचना। मेरे घर की परेशानी पर कोई नहीं आएगा। मैं वापस अपने काम पर चले जाया करती थी।

आज सक्सेस के बाद स्थितियां दूसरी है। अब पड़ोसी अपने रिश्तेदारों को फोटो करने के लिए तक कहते हैं। घर आकर बैठ जाते हैं। गानों की तारीफ करते हैं। अपनी बेटियों तक को इस काम से जोड़ने के लिए कहते हैं। मैं आज भी उसी घर में रहती हूं, वहां से मेरा एक स्पेशल कनेक्शन है।

अंजलि का राजस्थानी प्रोजेक्ट पहला है, इसकी शूटिंग राजस्थान में ही हुई है।
अंजलि का राजस्थानी प्रोजेक्ट पहला है, इसकी शूटिंग राजस्थान में ही हुई है।

सवाल: इम्तियाज अली की तमाशा भी की, यह कैसे मिली, इसके बारे में बताएं?

अंजलि: मैं सॉन्ग किया करती थी। उन्हीं को देखकर शूट मिला करते थे। साड़ी से लेकर ज्वेलरी, सैलून के लोकल लेवल पर ऐड होते थे। तमाशा की टीम दिल्ली की लीला होटल में रुकी हुई थी। वे लोग टीवी पर चैनल चेंज कर रहे थे। तब मेरी ऐड को देख लिया। इम्तियाज सर ने वह ऐड देखी थी। उन्होंने बुलाया और कहा कि मैंने तुम्हारी ऐड देखी है। हमारी फिल्म के लिए किरदार है। मैंने तब सोचा कि मेरा स्थानीय काम करना कहीं तो काम आया। तब खुशी हुई।

सवाल: आप कभी मुंबई शिफ्ट नहीं हुई, अधिकांश काम दिल्ली में रहते हुए ही किए?

अंजलि: मुंबई में मैंने एक टीवी शो किया था। हमेशा अकेला फील करती थी। वहां दिन का शाम का कुछ पता ही नहीं चलता। सबको अपने आप से मतलब है। मेरा मन नहीं लगता था। उस वक्त मेरी ऐज भी बहुत कम थी। ऑडिशन देने गई थी, वहां मेरा सलेक्शन हो गया। मैं करना चाह नहीं रही थी। बहन ने कहा- अगर तू यह नहीं करके जाएगी और लोगों को कहेगी कि यह शो मुझे मिला था तो कोई नहीं मानेगा। तू यह करके ही यहां से जाना। मैंने वह किया। उसके करने के बाद मुझे दूसरा भी ऑफर हाे गया। मैंने उसको मना कर दिया

हमेशा से ही मुंबई की फिल्मी दुनिया की गलत इमेज दिखाई गई है। किसी ने भी इस इंडस्ट्री की पॉजिटिव साइड नहीं दिखाया। कैलेंडर गर्ल देखी, फैशन देखी। उसमें दिखाया गया कि यहां ग्लैमरर्स लाइफ होती है। यहां आकर लड़कियां बिगड़ जाती है। घरवालों से रिश्ते टूट जाते हैं। वहां जाकर उनके साथ गलत होता है। सिर्फ इसी तरह हमेशा से दिखाया गया है। दूसरी साइड तो दिखाई ही नहीं गई। मेरी यही गलती थी कि मैंने इन सब चीजों को देखने के बाद यही मन बना लिया कि यहां तो सिर्फ गलत ही होता है।

मैं अपने घर को छोड़कर स्ट्रगल करने क्यों जाऊं। यहां से जाऊंगी ताे आगे यहां काम मिलेगा या नहीं। डर से ही मैंने मुंबई इंडस्ट्री को छोड़ दिया। हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री, शो और यहां से मिलने वाले प्रोजेक्ट्स से ही जुड़ी रही। मैं इतना कहना चाहती हूं कि गर्ल्स ये नहीं सोचे कि मुंबई के लिए जो दिखाया जाता है, वह गलत है। यहां से लोगों ने अपनी पहचान बनाई है। यहां अपनी मेहनत के दम पर लोग सितारे बनते हैं। नेगेटिव हर साइड मिलेंगे, पॉजिटिव भी देखें और आगे बढ़ें।

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