कई कलक्टर व सभापति बदले, लेकिन नहीं बदली अधूरे ऑडिटोरियम व ऑफिसर्स क्लब की सूरत
8 दिसम्बर 2011 को हुआ था ऑडिटोरियम का शिलान्यास: अब सुध लें तो दोनों बनें शहर की शान

झुंझुनूं. कई सरकार बदली, कई कलक्टर व सभापति बदल गए, लेकिन पिछले कई साल में अगर नहीं बदली तो वह है नगर परिषद में बने ऑडिटोरियम व माननगर में बने सरकारी ऑफिसर्स क्लब की सूरत। दोनों ही शहर की शानदार लोकेशन पर है। बनने पर दोनों ही काफी उपयोगी हो सकते हैं। शहर की शान बन सकते हैं, लेकिन वर्तमान में दोनों ही दुर्दशा के शिकार हैं। एक में चमगादड़ों का बसेरा है तो दूसरे में पड़ौसियों ने कचरागाह बना रखा है। ऑडिटोरियम का शिलान्यास आठ दिसम्बर 2011 को हुआ था। तब दावा किया था कि इसकी लागत करीब तीन करोड़ रुप ए आएगी। यह दो साल में बन जाएगा।
झुंझुनूं के मान नगर में ऑफिसर्स क्लब। इस पर कहीं भी नहीं लिखा कि यह ऑफिसर्स क्लब है।
स्ट्रक्चर खड़ा कर भूल गए, अब चमगादड़ों का घर
नगर परिषद, राणी सती मंदिर ट्रस्ट व जिला प्रशासन के सहयोग से करीब बारह साल पहले नगर परिषद में ऑडिटोरियम का निर्माण शुरू करवाया गया था। इसमें लगभग एक हजार से ज्यादा दर्शक बैठ सकते हैं। ऊपर बॉलकनी बनी हुई है। मंच पर आने वालों के लिए अलग गेट है। कलाकारों के सजने संवरने के लिए स्टेज के निकट ही अलग से कक्ष बनवाए गए हैं। पूरा साउंट प्रूफ है, यानि इसकी डिजाइन इस प्रकार की है कि आवाज गूंजेगी नहीं, बल्कि साफ सुनाई देगी। वीआईपी दर्शक दीर्घा बनी हुई है। लेकिन स्ट्रक्चर बनने के बाद से यह कार्य अधूरा पड़ा है। अब यह चमगादड़ों, कबूतरों का घर बन गया है। अंदर जाने पर सड़ांध मारता है।
कहीं नहीं लिखा यह ऑफिसर्स क्लब है, दीवार के निकट कचरे के ढेर
शहर के मान नगर में ऑफिसर्स क्लब बना हुआ है। यह सरकारी भवन है, लेकिन कहीं भी बाहर की तरफ यह नहीं लिखा कि यह ऑफिसर्स क्लब है। बाहर से आमजन यह पता ही नहीं कर सकते कि यह भवन व जमीन किस की है। यहां तत्कालीन जिला कलक्टर रवि जैन ने जरूर टेनिस कोर्ट बनवाया था। लाइट लगवाई थी, लेकिन अब इसकी दीवारों के सहारे कचरे के ढेर लगे हुए हैं। दीवार की ऊंचाई कम होने के कारण पड़ौसी अपना कचरा इसी क्लब में डालते हैं। इसमें बैडमिंटन का इंडौर हॉल है। एक्सपर्टं का कहना है इसे पीपीपी मोड पर देकर या सदस्य व सदस्यता शुल्क बढाकर इसे जयपुर व दिल्ली के क्लबाें जैसा बना सकते हैं।
एक भी दिन काम नहीं रुका था

जब मैं सभापति था, तब तत्कालीन जिला कलक्टर जोगाराम की सोच पर राणी सती मंदिर ट्रस्ट के देवेन्द्र झुंझुनूं वाला के आर्थिक सहयोग से इसकी रूपरेखा बनाई गई थी। यह एमओयू हुआ था कि ऑडिटोरियम का स्ट्रक्चर राणी सती मंदिर ट्रस्ट बनाकर देगा। मंदिर वालों ने अपना काम पूरा कर दिया। अब उसकी सुध लेनी चाहिए। यह तो हर वर्ग के लिए काम आने वाली शानदार जगह है। इसका नक्शा बनाने के लिए कोलकाता से विशेषज्ञ आर्किटेक्ट आए थे। मेरे कार्यकाल में इसका कार्य एक दिन भी नहीं रुकने दिया।~~~-खालिद हुसैन, तत्कालीन सभापति, नगर परिषद, झुंझुनूं