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राजस्थान दिवस पर विशेष : 5 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है राजस्थान का इतिहास


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राजस्थान दिवस पर विशेष : 5 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है राजस्थान का इतिहास

राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। भारत में साल 1949 में इसे राज्य के तौर पर शामिल किया गया था। इस राज्य को राजाओं की भूमि और रजवाड़ों की धरती कहा जाता है। राजस्थान भव्य राजमहल वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने हैं। यह राज्य पर्यटकों को हमेशा से अपनी तरफ आकर्षित करता रहा है। राजपूताना शासन के दौरान राजस्थान में काफी विकास हुआ। राजस्थान बाप्पा रावल, राणा कुंभा, राणा सांगा और राणा प्रताप जैसे प्रतापी राजाओं की जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है। इस राज्य का इतिहास करीब 5 हजार साल पुराना है। इसको तीन भागों में विभाजित किया गया है। जिसमें से पहला प्राचीन काल, दूसरा मध्यकालीन और तीसरा आधुनिक काल है। बता दें कि जार्ज थॉमस ने राजपूताना शब्द का प्रयोग सबसे पहली बार किया था। राजस्थान की यह भूमि प्राचीन सभ्यताओं की जन्मस्थली है। राजस्थान में पाषाणकालीन और सिंधुकालीन सभ्यताओं का विकास हुआ है।

राजस्थान दिवस : राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। भारत में साल 1949 में इसे राज्य के तौर पर शामिल किया गया था। इस राज्य को राजाओं की भूमि और रजवाड़ों की धरती कहा जाता है। राजस्थान भव्य राजमहल वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने हैं। यह राज्य पर्यटकों को हमेशा से अपनी तरफ आकर्षित करता रहा है। राजपूताना शासन के दौरान राजस्थान में काफी विकास हुआ। राजस्थान बाप्पा रावल, राणा कुंभा, राणा सांगा और राणा प्रताप जैसे प्रतापी राजाओं की जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है। इस राज्य का इतिहास करीब 5 हजार साल पुराना है। इसको तीन भागों में विभाजित किया गया है। जिसमें से पहला प्राचीन काल, दूसरा मध्यकालीन और तीसरा आधुनिक काल है। बता दें कि जार्ज थॉमस ने राजपूताना शब्द का प्रयोग सबसे पहली बार किया था। राजस्थान की यह भूमि प्राचीन सभ्यताओं की जन्मस्थली है। राजस्थान में पाषाणकालीन और सिंधुकालीन सभ्यताओं का विकास हुआ है।

राजस्थान का इतिहास – प्राचीन काल में राजस्थान के कुछ हिस्से वैदिक और कुछ सिंधु घाटी सभ्यता से मिलते हैं। यहां पर बूंदी और भीलवाड़ा निलों में पाषाण युग के सामान भी मिले हैं। वैदिक सभ्यता का मलय साम्राज्य वर्तमान का जयपुर शहर है। पहले मलय साम्राज्य की राजधानी विराटनगर हुआ करती थी। विराटनगर का नाम इसके संस्थापक राजा विराट पर रखा गया था। वहीं प्राचीन काल में भरतपुर, धौलपुर और करौली सूरसेन जनपद के अंतगर्त आते थे। इनकी राजधानी मथुरा हुआ करती थी। राजस्थान के अधिकांश हिस्सों पर 700 ईस्वी के दौरा गुर्जरों का कब्जा हो गया। गुर्जरों की राजधानी कौन थी। तकरीबन 11 वीं शताब्दी तक गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य ने आरब आक्रमणकारियों से राजस्थान की रक्षा की। परंपरागत तौर पर राजस्थान में मौर्य शासन, गुप्त शासन, यवन सुंग, कुषाण, हूण, ब्राह्मण, राजपूत, जाट, मीणा, यादव और वर्धन साम्राज्य का शासन रहा।

राजपूतों का शासन – राजस्थान के कुछ इलाकों पर 1000 इस्वी में राजपूतों ने शासन किया। साल 1991 में तराइन के प्रथम बुद्ध के दौरान पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी को हराया। लेकिन साल 1192 में तराइन के दूसरे बुद्ध में मुहम्मद गौरी की जीत हुई। मुहम्मद गौरी की जीत के साथ ही राजस्थान का एक हिस्सा मुगलों के अधीन हो गया। वहीं 13वीं शताब्दी के आते-आते भारत पर मुगलों ने कब्जा कर लिया और ज्यादातर राजपूत शासक दिल्ली में स्थापित मुगल सल्तनत के के लिए काम करने लगे। 15वीं शताब्दी में अलवर के हेम चंद्र विक्रमादित्य ने अफगान शासकों को बुद्ध में 22 बार हराया। इसमें मुगल शासक अकबर का नाम भी शामिल था। साल 1556 में पानीपत की दूसरी लड़ाई में मुगलों खिलाफ लड़ते हुए हेम चंद्र मारा गया। जिसके बाद कई राजपूत शासकों ने अकबर के शासन में मुगल साम्राज्य को स्वीकार कर लिया। 17वीं शताब्दी के आसापस जब मुगल साम्राज्य अपनी पतन की ओर बढ़ने लगा, तब राजपूताना मराठे प्रभाव में आए। हालांकि वह ज्यादा समय तक सत्ता में नहीं रह सके। हो

आजादी के बाद राजस्थान की स्थिति – देश की आजादी के करीब 2 साल बाद राजस्थान राज्य का गठन हुआ था। हालांकि राजस्थान का गठन 7 चरणों में संभव हो पाआ। मार्च 1948 में अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली नामक देशी रियासतों का एक साथ विलय कर मलय संभ बनाया गया। फिर 5 मार्च 1948 में डूंगरपुर, झालावाड़, किशनगढ़, कोटा, प्रतापगढ़, बोरवाड़ा, बुंदी, शाहपुर और टॉक को राजस्थान संघ में शामिल किया गया। इसके बाद तीसरे चरण अप्रैल 1948 में उदयपुर को राजस्थान में शामिल किया गया। महाराणा प्रताप को राजप्रमुख बनाया गया। इसके बाद चौथे चरण मार्च 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर को राजस्थान संघ में जोड़ा गया। मई साल 1949 में पांचवे चरण में मलय संघ का विलय राजस्थान में किया गया।। 16वें चरण में सिरोही रियासत का विलय किया गया। फिर सातवें और आखिरी चरण में 1 नवंबर साल 1956 में हुआ इस दौरान आबू देलवाड़ा का विलय किया गया।

राजस्थान की भौगोलिक स्थिति – देश के उत्तरी-पश्चिमी भाग में राजस्थान स्थित है। इसके दक्षिणी भाग बांसवाडा और डूंगरपुर को कर्क रेखा स्पर्श करती है। गर्मी के मौसम में राजस्थान का सामान्य तापमान 23 से 46 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच होता है। वहीं राज्य के क्षेत्रफल की बात करें तो गह 3,42,349 वर्ग किलोमीटर है। राजस्थान को चार भौगोलिक प्रदेशों में बांटा गया है।

  1. पश्चिम का थार मरुस्थल
  2. अरावली पर्वतमाला
  3. पूर्व का मैदान और
  4. दक्षिण पूर्व हाड़ौती का पतार

राजस्थान की सीमाएं दक्षिण पश्चिम में गुजरात, दक्षिण- पूर्व में मध्य प्रदेश, पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर में पंजाब, उत्तर-पूर्व में उत्तर प्रदेश और हरियाणा से सटा हुआ है। राजस्थान में कुल 33 जिले हैं। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक राजस्थान की जनसंख्या 6.89 करोड़ है। राजस्थान में महिलाओं की संख्या तकरीबन 3.5 करोड़ और पुरुषों की संख्या 3.2 करोड़ है।

राजस्थान के अन्य रोचक फैक्ट

  • 30 मार्च साल 1949 की राजस्थान अपने अस्तित्व में आया था। इसलिए हर साल राजस्थान स्थापना दिवस 30 मार्च को मनाया जाता है।
  • राजा जय सिंह द्वितीय ने राजस्थान की राजधानी जयपुर की स्थापना की थी।
  • राजस्थान के थार रेगिस्तान से भारत की एक मात्र खारे पानी वाली नदी लूनी गुजरती है।
  • राज्य के पहले मनोनीत मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री और पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल थे।
  • राज्य के पहले राज्यपाल सरदार गुरुप्मुख निहाल सिंह थे। सरदार गुरुमुख निहाल सिंह ने रियासतों के पुनर्गठन के बाद 1 नवंबर साल 1956 की पदभार ग्रहण किया था।
  • इस राज्य की कर्नल जेम्स टॉड ने रायथान कहा था।

कैसे पड़ा राजस्थान नाम

15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ, तब अलग-अलग राज्यों के गठन का काम शुरू हुआ। मध्य पश्चिमी भारत में कई राजाओं की रियासतें थी। इन रियासतों का एकीकरण करके वृहत राजस्थान संघ की स्थापना की गई जिसे राजपुताना नाम से भी जाना जाता था। पहले अलवर भरतपुर, धौलपुर और करौली की रियासतों को एक किया गया। बाद में जयपुर, जोधपुर जैसलमेल और बीकानेर की रियासतों का भी विलय गिया गया। कुल 7 चरणों में राजस्थान का एकीकरण हुआ, जिसे 30 मार्च 1949 को अंतिम रूप दिया गया। राजस्थान के एकीकरण में सरदार वल्लभ भाई पटेल का विशेष योगदान रहा। हर वर्ष 30 मार्च को राजस्थान का स्थापना दिवस मनाया जाता है।

राजस्थान नाम क्यों रखा गया – अलग-अलग प्रदेशों के गठन और नामकरण के पीछे कोई न कोई कहानी जरूर होती है। राजस्थान के नामकरण के पीछे भी एक बड़ा कारण है। आनादी से पहले यहां अलग-अलग रियासतें बी, जिनमें अलग-अलग राजा शासन करते थे। राजपरिवार में परम्पराएं होती थी कि उनका शासन वंशानुगत चलता था। आजादी के बाद जब देश में लोकतंत्र लागू हुआ ती राजाओं का शासन चला गया और शासन जनता के जरिए तय किया जाने लगा। चूंकि यह स्थान पहले राजाओं का स्थान रहा है। इसी कारण इस प्रदेश का नाम भी राजस्थान रख दिया गया।

राजस्थान किलों और महलों के कारण विशेष प्रसिद्धि – राजाओं की रियासतों के कारण राजस्थान में कई किले हैं। प्रमुख किलों की संख्या 13 हैं, जिनमें जयपुर का आमेर और जयगढ़ किला, जोधपुर का मेहरानगढ़ किला, राजसमंद का कुम्भलगढ़ किला, सवाई माधोपुर का रणथम्भौर किला, बीकानेर का जूनागढ़ किला, भरतपुर का लोहागढ़ किला विश्वभर में अपनी विशेष पहचान रखते हैं। अन्य किली और महलों में गागरौन किला, जैसलमेर, सिरोही का अचलगढ़, नागौर का अहितागढ़, जालौर दुर्ग, सिरोही का खिमसर किला, अवलर का निमराणा किला, सिटी पैलेस आदि भी प्रसिद्ध हैं। अभेद किलों के साथ रानियों के कहने के लिए आलीशान महल भी बने हुए हैं।

देश का दसवां भूभाग है राजस्थान – राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 3 लाख 42 हजार 239 वर्ग किलोमीटर है। यह देश का 1/10 भूभाग है। राजस्थान में अभी तक 7 संभाग और 33 जिले थे, लेकिन हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दो जिलों का विलय करते हुए 19 नए जिलों और 3 नए संभागों की घोषणा की है। ऐसे में अब राजस्थान में कुल 10 संभाग और 50 जिले ही गए है। नए जिलों और संभागों के नोटिफिकेशन जारी करने और प्रशासनिक कार्य शुरू होने में कुछ महीनों का समय लगेगा।

शौर्य गाथाओं के कारण विशेष पहचान – राजस्थान की शौर्य गाथाओं के कारण राजस्थान देश में अपनी विशेष पह‌चान रखता है। महाराणा प्रताप, चंद्र सेन राव और महाराजा सूरजमल की शौर्य गाथाएं विश्वभर में प्रसिद्ध है। इतिहारकार कर्नल जेम्स टॉड ने राजस्थान को यूरोप के थर्मापोली की संज्ञा दी थी। थर्मापोली में पग पग पर वीरता की कहानियां हैं। उसी तरह राजस्थान में बहुत वीर चौद्धा हुए हैं, जिनके कारण इसे धर्मापोली कड़ा गया। राजस्थान का बड़ा भू-भाग रेगिस्तान है। वहां भारत की सबसे पुरानी पर्वतमाला अरावली भी मौजूद है।

पर्यटन के रूप में भी खास है राजस्थान – पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान दुनिया में अपनी विशेष पहचान रखता है। यहां दर्जनों ऐसे पर्यटन स्थल है, जहां रोजाना हजारों की संख्या में देशी विदेशी पर्यटक भ्रमण के लिए आते हैं। साथ ही को भरती जैसलमेर की भी अपनी विशेष पहचान है, जहां हिचकौले खाते पर्यटक डांटों की सवारी का आनन्द लेते देखे जा सकते हैं। झोलों की नगरी उदयपुर हो या पिंक सिटी जयपुर, पर्यटन की दृष्टि से यहां कई दर्शनीय स्थान है।

राजस्थान के बाशिंदों को अपनी भाषा का इंतजार – राजस्थान संपूर्ण विश्व में अपने अदम्य साहस, पराक्रम, शौर्य, वीरता और बलिदान के लिए विख्यात है। इंग्लैंड के प्रसिद्ध कवि रुडयार्ड किपलिंग के शब्दों में दुनिया में अगर कोई ऐसा स्थान है, जहाँ वीरों की हड्डियों मार्ग की भूल बनी है तो यह राजस्थान कहा जा सकता है। यहाँ के कितने ही बोरों और वीरांगनाओं ने अपनी भक्ति और शक्ति का परिचय देकर इस भूमि की शोभा बढ़ाई है। जिनमें पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, मीराबाई, पदिानी, हाड़ी रानी, कर्मवती का नाम अग्रणी है। कर्नल टॉड की निगाह से देखें तो राजस्थान अपनी सांस्कृतिक समृद्धि अद्भुत पराक्रम, शौर्य एवं अनूती परम्पराओं के कारण इतिहास के आकाश में एक तज्वल नक्षत्र की तरह देदीप्यमान है। गौरतलब है कि 30 मार्च, 1949 को राजपूताना की रियासतों का विलय करके राजस्थान की स्थापना की गई थी। इसमें अजमेर मेरबाडा को छोड़कर सभी रियासतों को देशी राजा चलाते थे। हालाँकि, राजस्थान के एकीकरण को पूर्ण प्रक्रिया 1956 में पूरी हुई थी। दरअसल, कुल 22 रियासतों को मिलाकर सात चरणों में राजस्थान का गठन हुआ था। हीरा लाल शास्नी राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री थे। वर्तमान में क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान 33 जिलों व 7 संभागों के साथ देश का सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान में मौजूद चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, रणथंभौर, गगरांव, आमेर और जैसलमेर का किला यूनेस्को वार्तृड हेरिटेज साइट घोषित किया जा चुका है।

राजस्थान दिवस : राजपूताना कहे जाने वाले राजस्थान का इतिहास गौरवशाली

राजस्थान दिवस प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को मनाया जाता है। 30 मार्च, 1949 को जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलम होकर वृहत्तर राजस्थान संघ बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है। राजस्थान अपनी आन, बान, शान शीवं, साहस, कुर्बानी, त्याग और बलिदान तथा बीरता के लिए सम्पूर्ण विश्व में ख्यात है। इसीलिए इंग्लैण्ड के विख्यात कवि किप्लिंग ने लिखा था, दुनिया में अगर कोई ऐसा स्थान है, जहां वीरों की हड्डियों मार्ग की धूल बनी हैं तो वह राजस्थान है। राजस्थान अपनी शानदार संस्कृति व गौरवमयी इतिहास के लिए जाना जाता है। राजस्थान के लोगों की उनके साहस और त्याग के लिए हमेशा याद किया जाता रहा है।

राजस्थान के लोग अपनी कड़ी मेहनत के लिए जाने जाते हैं। भौगोलिक विषमताओं और प्राकृतिक चुनौतियों के बावजूद यहां के नागरिकों की दृढ़ इच्छा शक्ति और आपसी सहयोग से प्रदेश का चहुंमुखी विकास ही मका है। राजस्थान में गरीब लोगों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति में सुधार, संसाधनों में वृद्धि और राजनीति, व्यवसाय आदि सभी क्षेत्रों में विकास, हमारी खुशहाली के प्रतीक हैं। राजपूताना कहे जाने वाले राजस्थान का इतिहास गौरवशाली रहा है जिस पर हर प्रदेशवासी की गर्व है। मातृ भूमि की रक्षा एवं परम्पराओं तथा संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये रखने में यहां के लोगों ने सदैव पहल को है। राजस्थान को कला, साहित्य और सांस्कृक्तिक पृष्ठ भूमि विश्व में अपनी अलग पहचान रखती है। काला संस्कृति, पर्यटन, व्यापार, खेल और खेती सभी क्षेत्रों में सबसे आगे हैं राजस्थानी। 30 मार्च 1949 को राजपूताने के गठन की प्रक्रिया के साथ ही एक नवम्बर 1956 को राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई। 30 मार्च को प्रदेशवासी राजस्थान दिवस के रूप में मनाते हैं और अतीत के साथ साथ अपने वर्तमान को याद करते हैं। इस अवधि में राजस्थान में हुई प्रगति, विकास और उद्देवखनीय उपलब्धियों का गुणगान करते हैं। राज्य सरकार कई प्रकार के आयोजन कर राजस्थान की चीरता, त्याग और विकास के परिदृश्य की प्रदेशवासियों को जानकारी देती है।

राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है। राज्य का क्षेत्रफल 3.42 लाख कि०मी० है। यह देश के कुल क्षेत्रफल का 10.41 प्रतिशत है। राजस्थान की जनसंख्या 6.85 करोड़ है और साक्षरता की दर 66.1 प्रतिशत है। राजस्थान रेतीला, बंजर, पर्वतीय और उपजाऊ कच्चक्षारी मिले से मिलकर बना है। वर्तमान में राजस्थान में सात सम्भाग, 33 जिले, 295 पंचायत समितियां, 9 हजार 994 ग्राम पंचायतें, 43 हजार 264 आबाद गांव, 184 शहरी निकाय और नगरीय क्षेत्र हैं। वहां विधान सभा की 200 और लोक सभा के 25 सीटें हैं। वर्तमान में श्रीमती वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में भाजपा सरकार गठित है। राज्य की अर्थ व्यवस्था कृषि एवं ग्रामीण आधारित है। कृषि और पशु पालन यहां के निवासियों के मुख्य रोजगार है। आजादी के बाद इस प्रदेश ने निश्चय ही प्रगति और विकास की ऊंचाईयों को हुआ है। वर्षा की अनियमितता के कारण यह प्रदेश अनेकों बार सूखे और अकाल का शिकार हुआ। मगर प्रदेश वासियों ने विपरीत स्थितियों में भी जीना सीखा और अपने बुलन्द हौसले को बनाये रखा। अराज हम राजस्थान के गठन के बाद अब तक क की प्रगति की चर्चा करना चाहेंगे तो हमें प्रदेश का परिदृश्य काफी कुछ बदला-बदला सा लगेगा।

आजादी के दौरान यहां रोजगार के साधनों का नितान्त अभाव था। बताया जाता है कि यहां के लोगों ने धोती और लौटे के साथ पलायन किया और देश के विभिन्न भागों में जाकर अपने बुद्धि कौशल का लोहा मनवाया। प्रवासी होकर राजस्थानवासियों ने देश भर में उद्योग धंधे स्थापित किये और अपने लाखों प्रदेशवासियों को रोजगार उपलब्ध कराया। यह सही है कि हमने हर क्षेत्र में प्रगति हासिल की है। स्कूलों की संख्या बढ़ी है। छात्रों का नामांकन भी दुगुना-चौगुना हुआ है। राशन सस्ता हुआ है। विद्युत के क्षेत्र में भी हम आगे बढ़े हैं। विद्युत क्षमता में भी बढ़ोतरी हुई है। गांव-गांव और घर-घर बिजली की रोशनी प्रज्जवलित हुई है। सड़कों का जाल भी चहुंओर देखने को मिल रहा है। गांवों को मुख्य सड़कों से जोड़ा गया है। पेयजल के क्षेत्र में अच्छी खासी प्रगति हुई है। गांव-गांव और शहर-शहर में पानी पहुंचाया गया है। दूर दराज के क्षेत्रों में पानी पहुंच रहा है। जो गांव पेयजल के लिए सिर्फ वर्षा पर आधारित थे वहाँ जल विभाग की योजनाओं के जरिये पानी पहुंचाया जा रहा है। स्वास्थ्य के क्षेत्रों में बड़ी कामयाबी हासिल की गई है। गांव-गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाया गया है। आज लगभग सभी ग्रामों में स्वास्थ्य की सुविधा पहुंचाने का दावा किया जा रहा है। मेट्रो सिटी में बड़े अस्पताल बनाये गये हैं और जटिल से जटिल रोगों का इलाज किया जा रहा है।

औद्योगिक विकास की दृष्टि से भी हम आगे बढ़े हैं। रेगिस्तानी क्षेत्र राजस्थान में पहले लोग उद्योग धंधे स्थापित करने से डरते थे। आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने और लालफीताशाही के कारण उद्योगपति राजस्थान आने से डरते थे। यहाँ तक कि प्रवासी उद्योगपति भी अपने क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने में हिचकिचाते थे। मगर आज आधारभूत सुविधाएँ सुलभ होने के कारण राजस्थान में बड़ी तेजी से बड़े और वृहद् उद्योग स्थापित हुए हैं। औद्योगिक विकास के क्षेत्र में राजस्थान का काया कल्प हुआ है। हमारे लाखों नौजवानों को रोजगार मिला है। राजस्थान पर्यटन के क्षेत्र में काफी समृद्धशाली राज्य है। यहाँ के किले, हवेलियाँ, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर मेले, महल, झीलें, पर्यटकों को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। राजस्थान का पर्यटन के क्षेत्र में विश्व में प्रमुख स्थान है। पर्यटन राज्य के रूप में प्रदेश ने विश्व मानचित्र में अपनी अनूठी पहचान बनाई है।

पर्यटन को रोजगार से जोड़कर प्रदेश के विकास के मार्ग को तेजी से प्रशस्त किया जा रहा है। आजादी के बाद निश्चय ही देश ने प्रगति और विकास के नये सोपान तय किये हैं। पोस्टकार्ड का स्थान ई-मेल ने ले लिया है। इन्टरनेट से दुनिया नजदीक आ गई है। प्रगति और विकास की ऊंचाइयों को छूने के बाद भी आज आम आदमी खुश नहीं है। मगर आपसी सद्भाव, भाईचारा, प्रेम, सच्चाई से हम कोसों दूर चले गये हैं। समाज में बुराई ने जैसे मजबूती से अपने पैर जमा लिये हैं। लोक कल्याण की बातें गौण हो गई हैं। सत्यमेव जयते से हमने किनारा कर लिया है। अच्छाई का स्थान बुराई ने ले लिया है और नैतिकता पर अनैतिकता प्रतिस्थापित हो गई है। ईमानदारी केवल कागजों में सिमट गई है और भ्रष्ट आचरण से पूरा समाज आच्छादित हो गया है। देश और समाज अंधे कुएं की ओर बढ़ रहा है, जिसमें गिरने के बाद मौत के सिवाय कुछ हासिल होने वाला नहीं है। शासन-प्रशासन की प्रणाली पंगु हो गई है। भ्रष्टाचार ने शिष्टाचार के रूप में प्रतिस्थापित कर लिया है। बाढ़ खेत को खाने लगी है। सेवा के लिए आने वाले लोग रावण और कुंभकरण से दिखाई देने लगे हैं। सफेद कुर्ते और पाजामे को देखकर डर लगने लगा है। जिस गली और चौराहे पर ये पोशाकें दिखने लगती हैं, उन्हें देखकर लोग सहम जाते हैं। अनियमितता, भ्रष्टाचार और लाल फीताशाही हमारे सिस्टम का एक अंग बन गई है। देश के नेताओं और कर्णधारों ने भ्रष्टाचार को पनपाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। राजस्थान में हुई प्रगति को अनदेखा करना अनुचित होगा। मगर प्रगति के साथ साथ लालफीताशाही, भ्रष्टाचार और कुशासन के क्षेत्र में भी हम पीछे नहीं रहे। राजस्थान की प्रगति को भ्रष्टाचार और अकर्मण्यता ने लील लिया। इस सवाल पर सरकारें तक बदल गईं मगर प्रदेशवासी आज तक भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन का बेसब्री से इन्तजार कर रहे हैं।

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