अमराराम ने विधानसभा में फाड़ दिया था राज्यपाल का अभिभाषण:गिरफ्तार करने लगाए थे 400 पुलिसकर्मी और रेसर; किसानों के लिए 4 दिन जेल में रहे
अमराराम ने विधानसभा में फाड़ दिया था राज्यपाल का अभिभाषण:गिरफ्तार करने लगाए थे 400 पुलिसकर्मी और रेसर; किसानों के लिए 4 दिन जेल में रहे

सीकर : सीकर लोकसभा सीट CPI(M) के अमराराम को ‘I.N.D.I.’ गठबंधन से उम्मीदवार बनाए जाने से चर्चा में है। उनका मुकाबला भाजपा सांसद सुमेधानंद सरस्वती से है। अमराराम इससे पहले भी कई बार राजस्थान की राजनीति में चर्चा में रहे हैं। उन्होंने 1993 में किसानों की बिजली को लेकर राज्यपाल का अभिभाषण फाड़ दिया था। यही नहीं, किसान आंदोलन में वह 4 साल जेल रहे। 1987 उन्हें पकड़ने के पुलिस के 400 जवान और स्पेशल रेसर बुलाए गए थे। फिर भी वे हाथ न आ सके।

अमराराम मूल रूप से सीकर के मुंडवाड़ा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1979 में सीकर के एसके कॉलेज में प्रेसिडेंट का चुनाव जीतकर की। 1983 में अपनी ग्राम पंचायत के सरपंच रहे। 1993, 1998 और 2003 में धोद विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। 2023 में सीकर की दांतारामगढ़ सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें केवल 20 हजार वोट मिल पाए। अमराराम किसानों और जनता से जुड़े मुद्दों के आंदोलन में हमेशा सक्रिय रहे। आज भी अमराराम आम आदमी की तरह बस में सफर करते हैं।

राज्यपाल का अभिभाषण फाड़ा था
जब 1993 में अमराराम पहली बार विधायक चुने गए, उस वक्त किसानों को 10 घंटे की बजाय केवल चार घंटे ही बिजली सप्लाई की जाती थी। विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले अमराराम ने कहा कि बिजली सप्लाई के समय को बढ़ाया जाए, नहीं तो विधानसभा नहीं चलेगी। जब विधानसभा शुरू हुई तो अमराराम ने तत्कालीन राज्यपाल बलिराम भगत का अभिभाषण फाड़ दिया। ऐसे में विधानसभा नहीं चली। इसके बाद अमराराम, जगदीप धनखड़, ओपी गुर्जर और जुबेर खान को विधानसभा से साढ़े तीन महीने के लिए सस्पेंड किया गया।

400 पुलिस वालों ने गांव को घेरा, पकड़ने के लिए रेसर भी बुलाए
अमराराम ने बताया- 22 अप्रैल 1987 के दिन सीकर के किसान छात्रावास में फायरिंग हुई। उस दौरान मैं अपने गांव मुंडवाड़ा में था। लेकिन, जो मुकदमा बना, उसमें मेरा नाम भी शामिल था। उस वक्त परिवार में कोई शादी थी। सरकार का आदेश था कि अमराराम जिंदा हो या मुर्दा, हाथ आना चाहिए। इसके बाद 400 पुलिस वालों ने मेरे गांव को घेर लिया। इतना ही नहीं, पुलिस ने मुझे पकड़ने के लिए स्पेशल रेसर भी बुलाए। लेकिन, मैं चकमा देकर गांव से निकल गया। जैसे ही मैं नजदीकी गांव बाडलवास पहुंचने वाला था। तभी एक रेसर ने मुझे भागते हुए देख लिया और चोर-चोर चिल्लाने लगा। खुद को चोर सुनकर मैं भाग जाने की बजाय रेसर के पीछे दौड़ पड़ा। ऐसे में, उस रेसर को उलटे पांव भागना पड़ा। इसके बाद मैं ऊंट लेकर वहां से निकल गया।

चार दिन जेल में रहे
अमराराम ने बताया कि मैं किसान आंदोलन में 13 महीने तक दिल्ली बॉर्डर पर डटा रहा। इसके अलावा सीकर में ई-रवन्ना के विरोध में भी 33 दिनों तक माइनिंग डिपार्टमेंट के ऑफिस के बाहर आंदोलन किया। अंत में जिला प्रशासन ने बात मानी और आंदोलन समाप्त हुआ।
अमराराम ने कहा कि 2017 में जब देश की बड़ी कंपनियों का कर्ज माफ किया गया तो किसानों की कर्ज माफी के लिए 1 से 13 सितंबर तक जयपुर में धरने पर बैठा रहा। इसके बाद मौजूदा सरकार के पांच मंत्रियों ने 50 हजार रुपए तक कर्ज माफ करने का लिखित आश्वासन दिया, लेकिन नहीं किया। 2018 में 22 फरवरी को जयपुर कूच का कार्यक्रम था। मैं अपने साथियों के साथ 20 फरवरी को जयपुर के लिए रवाना हुआ तो जयपुर पहुंचने के पहले ही मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। चार दिन तक जयपुर की सेंट्रल जेल में बंद रखा।

भाजपा ने वादों के विपरीत किया काम
अमराराम ने कहा कि पिछले 10 साल से देश में भारतीय जनता पार्टी का शासन है। भाजपा ने सत्ता में आने से पहले जो वादे किए थे, उनमें से एक भी वादा पूरा करने की बजाय विपरीत काम ही किए हैं। देश के संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को खत्म करने का काम, विरोध की आवाज को कुचलने का काम किया जा रहा है। देश के 75 साल के इतिहास में पहली बार दो मुख्यमंत्री को जेल में डालने का काम किया गया है। देश को बचाने के लिए ही ‘I.N.D.I.’ गठबंधन बना है।
