विदेशियों ने गुलाल के साथ खेली होली:रंगोत्सव में शामिल होने देश-विदेश से आए लोग, 115 साल से चली आ रही परंपरा निभाई
विदेशियों ने गुलाल के साथ खेली होली:रंगोत्सव में शामिल होने देश-विदेश से आए लोग, 115 साल से चली आ रही परंपरा निभाई

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : सुभाष चन्द्र चौबदार
मंडावा : मंडावा कस्बे की होली सांप्रदायिक सौहार्द के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की एक अनूठी मिसाल है। यहां पर सूखे गुलाल से होली खेली गई। मंडावा कस्बे में सात समंदर पार से विदेशी गुलाल की होली खेलने पहुंचे है। शेखावाटी में मंडावा की होली काफी प्रसिद्ध है। मंडावा की गेर की परम्परा करीब 115 साल पुरानी है। इस दौरान विदेशियों ने एक- दूसरे के गुलाल लगाकर होली की परम्परा निभाई और उसके बाद जमकर डांस किया।
सभ्य और शालीन होली के लिए शुरू की परंपरा
श्रीसर्वहितैषी व्यायाम शाला संस्था मंडावा के अध्यक्ष बताते है कि करीब 115 साल पहले वैद्य लक्ष्मीधर शुक्ल ने श्री सर्वहितैषी व्यायामशाला संस्था के देखरेख में अखाड़ा बनाकर होली के कार्यक्रमों के लिए लोगों को जागरूक किया। शुक्ल का प्रयास रंग लाया और यहां की होली ने शालीन व सभ्य होली का रूप ले लिया। तब से आज तक उसी परंपरानुसार होली मनाते आ रहे हैं।
कॉलेज लेक्चरर साधना मिश्रा ने बताया कि विदेशी पर्यटक भी गैर में शामिल होते हैं। पर्यटन नगरी में गत तीन दशकों से विदेशी पर्यटकों के आने का सिलसिला शुरू हुआ। जब से विदेशी पर्यटक भी यहां की शालीनता व सभ्यता को देखकर होली महोत्सव व गेर में शामिल होने लगे हैं।
हवेलियों पर अंकित हैं होली के रंग
मंडावा कस्बे में 150 से 200 साल पुरानी हवेलियां होली पर्व के प्रति रहा लगाव व प्रेम की गाथा का सबूत पेश करती है। अनके हवेलियों में भित्ति चित्रों के रूप में देवी देवताओं के चित्रों सहित होली खेलते श्रीकृष्ण, चंग बजाती गोपियों सहित अनेक होली दृश्यों का चित्रांकन दिखाई देता है।