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झुंझुनूं : डेंगू हुआ बेकाबू:जिले में 161 से अधिक मरीज अस्पतालों में लगी लाइन, बदलता मौसम पहुंचा रहा है अस्पताल


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झुंझुनूं : डेंगू हुआ बेकाबू:जिले में 161 से अधिक मरीज अस्पतालों में लगी लाइन, बदलता मौसम पहुंचा रहा है अस्पताल

डेंगू हुआ बेकाबू:जिले में 161 से अधिक मरीज अस्पतालों में लगी लाइन, बदलता मौसम पहुंचा रहा है अस्पताल

झुंझुनूं : डेंगू का डंक जिले में बेकाबू होता जा रहा है। तेजी से बढ़ती रोगियों की संख्या के बीच बचाव के संसाधन हांफने लगे हैं। मच्छर का लार्वा नष्ट करने से लेकर सर्वे तक की कार्रवाई कागजी साबित हो रही है। इसका प्रमाण अस्पतालों में लगातार बढ़ती रोगियों की संख्या है। सरकारी और निजी अस्पतालों में हर दिन बुखार के सैकड़ों मरीज पहुंच रहे हैं। इन मरीजों के डेंगू के सैंपल भी नहीं हो पा रहे हैं। जांच के लिए जिला मुख्यालय स्थित राजकीय भगवानदास खेतान अस्पताल में लैब है। यहां पर वर्तमान में मरीजों की डेंगू की जांच की जा रही हैं। निजी अस्पतालों का आंकड़ा अलग है।

सीएमएचओ डा. राजकुमार डांगी ने बताया कि अब तक 161 रोगी डेंगू के मिले हैं। एंटी लार्वा एक्टिविटी कराई जा रही हैं। चिकित्सकों की टीमों को फिल्ड में लगा रखा है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है।

अस्पतालों में मरीजों की लाइन

गिरता तापमान, वातावरण में बढ़ती आद्रता आमजन के लिए घातक साबित हो रही है। इन दिनों मौसमी बीमारियों के प्रकोप के चलते, अस्पताल की ओपीडी में रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सर्दी की शुरुआत के बाद डेंगू के रोगी कम हो जाने चाहिए थे, लेकिन डेंगू रोगियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वहीं सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार, मलेरिया, उल्टी-दस्त के रोगियों की अस्पतालों में लंबी कतारें लग रही हैं।

जागरूकता जरुरी

डेंगू की रोकथाम के लिए जिले की जनता को भी जागरूक होना होगा। डेंगू बीमारी एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होती है। इस मच्छर का लार्वा पानी में जल्द पनपता है। ऐसे में घर की छत पर रखे बर्तन और कूलर में पानी नहीं एकत्र होने दें। अगर पानी है तो उसे तत्काल साफ कर लार्वा को नष्ट किया जाए। मच्छर को खत्म करने के उपाय अपनाने के साथ पूरी आस्तीन का शर्ट पहने।

चिकित्सा विभाग के दवें

डेंगू रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विभाग ने घर-घर सर्वे के साथ एंटी लार्वा गतिविधियां शुरू की, लेकिन डेंगू के डंक को काबू में नहीं किया जा सका है। इसकी बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि यहां फोगिंग करवाने के लिए भी पर्याप्त मशीनें नहीं है। इसके अलावा एमएलओ, टेमीफोस पाउडर का भी पर्याप्त उपयोग नहीं हो पा रहा है।

-हल्की सर्दी की शुरुआत

-बरसात से आद्रता में बढ़ोतरी डेंगू के साथ-साथ

-मच्छरों के पनपने एवं काटने के अनुकूल वातावरण

-एंटी लार्वा एक्टिविटी में कमी

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