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शिव बारात में मासूम इतना जला कि पहचान नहीं सके:जन्मदिन पर साइकिल मिलने वाली थी; पिता बोले- बेटे की चिता के साथ जल गए अरमान


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शिव बारात में मासूम इतना जला कि पहचान नहीं सके:जन्मदिन पर साइकिल मिलने वाली थी; पिता बोले- बेटे की चिता के साथ जल गए अरमान

शिव बारात में मासूम इतना जला कि पहचान नहीं सके:जन्मदिन पर साइकिल मिलने वाली थी; पिता बोले- बेटे की चिता के साथ जल गए अरमान

कोटा : 13 साल का शगुन अगले महीने की 17 तारीख या 17 अप्रैल को 14 साल का होने वाला था। घरवाले गिफ्ट में साइकिल देने वाले थे। क्योंकि शगुन ने बोला था- इस बार बर्थ-डे पर मुझे साइकिल ही चाहिए। सातवीं क्लास में पढ़ने वाला शगुन आर्मी अफसर बनना चाहता था। स्कूल से घर आते ही मम्मी-पापा को सैल्यूट करता था। बोलता था- मम्मी-पापा ! देखना, मैं बड़ा होकर आर्मी अफसर बनूंगा।

…लेकिन 8 मार्च काे कोटा के कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र के सकतपुरा में शिव बारात के दौरान हुए हादसे ने हर सपने को जला दिया। इस हादसे में 18 लोग झुलस गए थे, जिनमें शगुन समेत 16 बच्चे शामिल थे। करंट से शगुन इतना झुलस गया कि उसकी नानी उसे पहचान ही नहीं पाई, सैंडल देख पहचान की। दो दिन जिंदगी के संघर्ष के बाद रविवार को जयपुर में इलाज के दौरान शगुन ने दम तोड़ दिया था। पिता अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाए।

पढ़िए परिवार का दर्द…

ये हादसे वाली जगह है, जहां 16 बच्चे करंट की चपेट में आ गए थे।
ये हादसे वाली जगह है, जहां 16 बच्चे करंट की चपेट में आ गए थे।

शगुन का घर मंदिर के सामने वाली गली में ही है। हमारी मीडिया की टीम जब शगुन के घर पहुंची तो घर के आंगन में मां घूंघट निकाले गुमसुम बैठी थीं। पिता एक कमरे में बिस्तर पर लेटे थे। नानी अपनी बेटी को बार-बार चुप करवा रही थी।

टीम ने जैसे ही इस हादसे के बारे में पूछा तो आंगन में बैठे कुछ रिश्तेदार भी वहां आ गए। पिता से जब शगुन के बारे में पूछा तो नानी आई और कहने लगी- इन लोगों ने हमारा बच्चा छीन लिया। थोड़ी देर रुकने के बाद वह दोबारा अपनी बेटी (शगुन की मां) के पास चली गई। शगुन के पिता का पैर फ्रैक्चर है, कुछ रिश्तेदार उन्हें उठाकर बाहर कमरे तक लाए।

मैं अपने बेटे का चेहरा तक नहीं देख सका, इससे ज्यादा क्या बुरा होगा

पिता मांगीलाल ने बताया कि वह मजदूरी करते हैं। यहां किराए पर रहता हूं। कई साल पहले लोडिंग टेंपो चलाता था। छह साल पहले मेरा एक्सीडेंट हुआ था तो मेरे पैर में फ्रैक्चर हो गया था। इस हादसे के बाद मैंने मजदूरी शुरू की। 19 फरवरी को घर में टीन शेड चढ़ाते समय वह मुझे पर गिर गया था और पैर फ्रैक्चर हो गया।

महाशिवरात्रि पर शिव बारात और कलश यात्रा को लेकर घर में सुना था। मैं तो उस दिन कमरे में आराम कर रहा था। मंदिर वाले घर आकर बच्चों और महिलाओं को ले गए थे।

शगुन अपने भाई और नानी के साथ गया था। मां घर पर काम कर रही थी। कुछ ही देर में पता चला कि बेटा करंट से झुलस गया।

मेरी तो यह स्थिति थी कि अपने बच्चे को अस्पताल नहीं पहुंचा सका। इससे बुरा क्या होगा कि मेरा बेटा तड़प रहा था और मैं उसके पास नहीं था। मोहल्ले के लोग ही उसे हॉस्पिटल ले गए थे।

फोटो महाशिवरात्रि का है। सबसे पहले शगुन करंट की चपेट में आया था और इसी के बाद एक-एक कर 16 बच्चे झुलस गए थे।
फोटो महाशिवरात्रि का है। सबसे पहले शगुन करंट की चपेट में आया था और इसी के बाद एक-एक कर 16 बच्चे झुलस गए थे।

हमेशा कहता था, पापा-आर्मी अफसर बनूंगा

मेरे दो लड़के और एक लड़की है। शगुन दूसरे नंबर पर था और सातवीं क्लास में पढ़ता था। पता नहीं उसे कहां से देश सेवा का जज्बा लगा। जब भी स्कूल से घर आता तो कहता- मम्मी-पापा देखना मैं बड़ा होकर आर्मी अफसर बनूंगा। आतंकियों को सरहद पार नहीं करने दूंगा, देखना एक दिन देश की सेवा करूंगा।

आर्मी में जाने का जुनून ऐसा लगा कि कई बार जब मैं शाम को घर आता तो मुझे आर्मी अफसर की तरह सैल्यूट करता था। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है। लेकिन बेटे का जुनून देखकर गर्व होता था। मैंने पत्नी को भी कहा था- मुझे कुछ भी करना पड़े, लेकिन बेटे को आर्मी अफसर बनाऊंगा। लेकिन अब तो केवल उसकी बातें रह गई हैं, शगुन और हमारे अरमान चिता में जल गए।

शगुन का परिवार आयोजकों पर लापरवाही का आरोप लगा रहा है। अगले महीने शगुन का जन्मदिन भी था।
शगुन का परिवार आयोजकों पर लापरवाही का आरोप लगा रहा है। अगले महीने शगुन का जन्मदिन भी था।

जमीन पर बच्चे तड़प रहे थे, सैंडल से अपने दोहिते को पहचाना

नानी कैलाश बाई ने कहा- हम तो उस दिन घर में पूजा की तैयारी कर रहे थे। मंदिर वाले बुलाने आए तो हम भी वहां चले गए। महिलाएं डीजे के पीछे चल रही थीं। कुछ महिलाओं के सिर पर कलश थे और बच्चों के हाथ में झंडा पकड़वा दिया था।

मंदिर से रवाना होकर हम औघड़ वाले बाबा के स्थान के पास पहुंचे थे कि जोरदार धमाका हुआ। मुझे तो कुछ समझ नहीं आया और चीख पुकार मचने लगी। मैं दौड़कर पीछे की तरफ गई, जहां बच्चे झंडा लेकर चल रहे थे। मैंने देखा- सड़क पर बच्चे तड़प रहे थे। कुछ बच्चे जले हुए थे। मैं अपने दोहिते को ढूंढ़ रही थी।

जो पहचान में आ रहे थे, उनमें मेरा शगुन नहीं था। मुझे एक जला हुआ बच्चा दिखाई दिया, चेहरा पहचान में नहीं आ रहा था। लेकिन जैसे ही मैंने उसके सैंडल देखे, दिल बैठ गया। सैंडल से मैंने पहचाना था कि ये मेरा दोहिता है। उसकी सांसें चल रही थी। मोहल्ले के लोग ऑटो में डालकर उसे अस्पताल लेकर पहुंचे। इतना बोलते ही नानी चुप हो गई।

शगुन के फूफा पप्पूलाल नायक ने बताया कि- शगुन के अंदर नसें तक डैमेज हो गई थी। अस्पताल में केवल ग्लूकोज ही चढ़ी हुई थी। डॉक्टरों ने तो कोशिश की, लेकिन बचा नहीं सके।

अगले महीने था जन्मदिन, साइकिल गिफ्ट मांगी थी

फूफा पप्पू नायक ने बताया- शगुन पढ़ने में होशियार था, घर के कामों में हाथ भी बंटाता था। आस-पास के बच्चों और लोगों से भी उसका व्यवहार अच्छा था। चंचल बच्चा था। अगले महीने 17 अप्रैल को उसका जन्मदिन भी था। वह घर पर कहता था कि मुझे जन्मदिन पर साइकिल चाहिए। शगुन की बात करते हुए परिवार रूआंसा हो गया।

छोटी बहन जिस भाई को प्यार से राखी बांधा करती थी, वह अब उसके साथ नहीं है। बड़ा भाई प्रिंस जिस छोटे भाई पर हक जमाता था, वह उसके पास नहीं है।

इसी मंदिर से कलश यात्रा और शिव बारात निकाली गई थी। अभी यहां पुलिस तैनात है।
इसी मंदिर से कलश यात्रा और शिव बारात निकाली गई थी। अभी यहां पुलिस तैनात है।

चार बच्चों में से सबसे बड़ा झंडा शुगन के पास था

यात्रा में साथ में गए शगुन के 14 साल के बडे़ भाई प्रिंस ने बताया- मंदिर पर जब यात्रा शुरू हुई तो आगे बच्चे ही थे। जो यात्रा के साथ झंडे लेकर चल रहे थे, उनमें सबसे बड़ा झंडा शगुन का ही था। शगुन को करीब बीस फीट लंबा स्टील का झंडा दिया था।

वहां मौजूद लोगों ने कहा भी था कि पाइप को काटकर छोटा कर दो या दूसरा दे दो, लेकिन शिव बारात निकालने वालों ने मना कर दिया था। दूसरे बच्चों के पास 15 फीट का झंडा था। शगुन सबसे आगे चल रहा था। सबसे पहले उसे ही करंट लगा था।

मैं भी मेरे भाई के पीछे ही चल रहा था, लेकिन थर्मल चौराहे पर नाश्ता करने चला गया था। इतने में ही तेज धमाके की आवाज सुनी थी। शगुन के हाथ में जो झंडा था, वह हाईटेंशन लाइन से टच हुआ था। लाइन से शगुन को अपनी तरफ खींचा और तेज धमाका हुआ, इसके बाद वह नीचे गिरा था। चिंगारिया उठी और दूसरे बच्चे भी उसकी चपेट में आ गए थे। करंट भी फैल गया और बच्चे झुलस कर बेहोश हो गए थे। शगुन के शरीर में आग लग गई थी और वह बुरी तरह से झुलस गया था।

शगुन का ये घर मंदिर के सामने वाली गली में है। परिवार यहां किराया पर रहता है।
शगुन का ये घर मंदिर के सामने वाली गली में है। परिवार यहां किराया पर रहता है।

कई बार कहा- प्लास्टिक के डंडे में झंडा लगाओ

शगुन के फूफा पप्पू लाल ने बताया कि मंदिर पर उस दिन बाहर से कथावाचक आए थे। उन्होंने भी आयोजकों से कहा था कि यह स्टील के डंडों की बजाय बच्चों को प्लास्टिक के पाइप में झंडा दो। यही नहीं आयोजक बाबूलाल के भतीजे तक ने कहा था कि डंडे बडे़ है, लेकिन आयोजक नहीं माने।

बीच में घरेलू लाइनों के तार से भी झंडे टच हुए थे, तब शामिल महिलाओं ने कहा था कि झंडे बडे़ हैं, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया और यह हादसा हो गया। हादसे में शगुन के पड़ोस में रहने वाला ऋषि(10) भी झुलसा था, उसे रविवार को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। उसकी नानी के साथ वह यात्रा में गया था।

घर से जब बेटे की अर्थी निकलने लगी तो मां-बाप दोनों बेसुध हो गए थे।
घर से जब बेटे की अर्थी निकलने लगी तो मां-बाप दोनों बेसुध हो गए थे।

थर्मल प्लांट के पास बस्ती, गुजर रही हाईटेंशन

दरअसल, काली बस्ती थर्मल पावर प्लांट के पास बस्ती बसी हुई है। थर्मल में बिजली का उत्पादन होता है और हाईटेंशन लाइनों से उसे ग्रिड पर भेजा जाता है। ऐसे में प्रसारण निगम की लाइनें थर्मल से काली बस्ती के बीच से होती हुई गुजर रही है। इस मामले में पुलिस ने आयोजक बाबूलाल, बद्रीलाल और गोपाल के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में भी लिया है। हालांकि अभी गिरफ्तारी नहीं हुई है। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।

ये आयोजक बद्रीलाल बैरवा है। घटना के बाद हॉस्पिटल में मौजूद लोगों ने पिटाई भी कर दी थी।
ये आयोजक बद्रीलाल बैरवा है। घटना के बाद हॉस्पिटल में मौजूद लोगों ने पिटाई भी कर दी थी।

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