3 दलीलों से साबित की भंवरी देवी की मौत:हत्या के 17 आरोपी जेल गए, फिर डेथ सर्टिफिकेट देने से इनकार क्यों
3 दलीलों से साबित की भंवरी देवी की मौत:हत्या के 17 आरोपी जेल गए, फिर डेथ सर्टिफिकेट देने से इनकार क्यों
जोधपुर : हाल ही में देश का चर्चित भंवरी देवी हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में आया। हाईकोर्ट ने आदेश जारी करते हुए भंवरी देवी के बच्चों को उसकी पेंशन और रिटायरमेंट समेत सरकारी सेवा से जुड़े सभी लाभ देने के आदेश दिए। भंवरी देवी की बेटियों ने छह साल पहले पेंशन के लिए आवेदन किया तो जिला प्रशासन ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने से मना कर दिया। क्योंकि भंवरी देवी की हत्या के बाद उसकी न तो बॉडी मिली न ही अंतिम संस्कार हुआ। बिना मृत्यु प्रमाण पत्र के पेंशन नहीं मिल पा रही थी।
दूसरी बड़ी चुनौती भंवरी देवी की नौकरी में थी। क्योंकि मौत के बाद नॉमिनी उसका पति ही था, लेकिन वो खुद उसकी हत्या में शामिल था। इस पर बेटी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। कोर्ट में वकील ने 3 दलीलें दी, जिसके आधार पर छह साल चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला भंवरी देवी के बच्चों के पक्ष में सुनाया।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
सीबीआई का दावा : लाश जलाकर राख नहर में बहाई
एक सितंबर 2011 को जोधपुर जिले के बिलाड़ा थाने में एएनएम भंवरी देवी के पति अमरचंद ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी पत्नी लापता है। उसने पत्नी के अपहरण की आशंका जताते हुए राज्य सरकार में तत्कालीन मंत्री महिपाल मदेरणा सहित दो-तीन लोगों पर शक जाहिर किया। इसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया। मामले की जांच कुछ आगे बढ़ती, इस बीच राज्य सरकार ने विरोध को ध्यान में रखकर जांच सीबीआई को सौंप दी।
सीबीआई ने तीन दिसम्बर 2011 को महिपाल मदेरणा से पूछताछ की और गिरफ्तार कर लिया। बाद में इस मामले में कांग्रेस विधायक मलखान सिंह विश्नोई का भी नाम आया। उसे भी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा इस मामले में 15 अन्य गिरफ्तारियां भी हुईं। भंवरी देवी की हत्या में उसकी पति अमरचंद भी शामिल था। सीबीआई का दावा है कि भंवरी देवी का अपहरण कर उसकी हत्या की गई। बाद में शव जला कर उसकी राख को राजीव गांधी लिफ्ट नहर में बहा दिया गया।
दो बेटियां और वृद्ध मां सालों से पेंशन के इंतजार में
जोधपुर के बोरुंदा में रहने वाली भंवरी देवी चिकित्सा विभाग में एएनएमथी। भंवरी देवी का पति अमरचंद उसकी कार का ड्राइवर बनकर उसके साथ ही रहता था। भंवरी देवी के परिवार में उसकी वृद्ध मां पुनी देवी (75), बेटा साहिल (29), अश्विनी (27), कुमारी सुहानी (18) है। भंवरी देवी की हत्या के आरोप में पति अमरचंद को सीबीआई ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। सरकार ने भंवरी की जगह उसके बेटे साहिल को अनुकंपा पर नौकरी दी थी। भंवरी देवी की बेटी अश्विनी, सुहानी और उसकी मां को भंवरी देवी की पेंशन और अन्य लाभ नहीं मिल पा रहे थे। जब उन्होंने पेंशन के लिए आवेदन किया तो विभाग ने भंवरी देवी के मृत्यु प्रमाण पत्र के बिना पेंशन और दूसरे लाभ देने से मना कर दिया।
बेटियों ने मृत्यु प्रमाण के लिए जिला कलेक्टर को आवेदन किया
भंवरी देवी की बेटियों ने उनकी नानी पुनी देवी के नाम से 16 जनवरी 2014 को पेंशन के लिए जिला कलेक्टर के पास भंवरी देवी का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया। भंवरी देवी हत्या से पहले बिलाड़ा के जालीवाड़ा हेल्थ सब सेंटर में एनएम पद पर कार्यरत थी। उस समय बिलाड़ा की तहसील पीपाड़ सिटी थी और भंवरी देवी का निवास बोरूदा गांव था। ऐसे में दोनों की तहसील पीपाड़ सिटी होने के कारण भंवरी देवी के मृत्यु प्रमाण का केस भी पीपाड़ तहसील कार्यालय के अंतर्गत आता था।
जोधपुर कलेक्टर ने भंवरी देवी के मृत्यु प्रमाण के आवेदन को जांच के लिए बिलाड़ा विकास अधिकारी के पास भिजवाया। वहां से रिजेक्ट होने के बाद आवेदन पर पीपाड़ तहसीलदार ने जांच की थी। इसके बाद दोनों अधिकारियों ने अपनी जांच रिपोर्ट जोधपुर कलेक्टर को भिजवा दी। दोनों जांच रिपोर्ट के आधार पर जोधपुर कलेक्टर ने भंवरी देवी का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने से मना कर दिया।
जिसकी हत्या के आरोप में 17 जेल गए, उसका मृत्यु प्रमाण पत्र क्यों नहीं?
भंवरी देवी की हत्या के आरोप में पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा, विधायक मलखान विश्नोई, उनकी बहन इंद्रा विश्नोई, भंवरी देवी का पति अमरचंद समेत 17 आरोपी जेल गए थे। इसके बावजूद बिलाड़ा विकास अधिकारी और पीपाड़ तहसीलदार ने मृत्यु प्रमाण पत्र
जारी नहीं किया। दोनों जांच रिपोर्ट में मृत्यु प्रमाण नहीं बनाने के कारण भी बताए गए। बिलाड़ा विकास अधिकारी ने बताया कि किसी शख्स की हत्या या मौत के एक साल बाद तक मृत्यु प्रमाण पत्र बना सकते हैं, जबकि भंवरी देवी के केस में मौत के तीन साल बाद 16 जनवरी 2014 को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया।
मौत के 1 साल बाद का मृत्यु प्रमाण तहसील कार्यालय द्वारा बनाया जाता है। ऐसे में बिलाड़ा विकास अधिकारी ने आवेदन को पीपाड़ तहसील कार्यालय में भिजवा दिया। पीपाड़ तहसीलदार ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि भंवरी की न डेड बॉडी मिली, न ही अंतिम संस्कार हुआ। मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए डेड बॉडी का किसी श्मशान घाट में अंतिम संस्कार और वहां उसकी एंट्री होने जरूरी है।
इस पीपाड़ तहसीलदार ने भंवरी देवी की मौत और उसके शव का अंतिम संस्कार उनके क्षेत्रााधिकार में नहीं होने के कारण भंवरी देवी का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने से मना कर दिया। पीपाड़ तहसीलदार की जांच रिपोर्ट के आधार पर जोधपुर जिला कलेक्टर ने भी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के आवेदन को खारिज कर दिया था।
भंवरी देवी का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण अब सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार- भंवरी देवी की हत्या की तारीख 1 सितंबर 2011 ही मानी जाती है। इसी दिन भंवरी कार खरीदने घर से निकली और वापस नहीं लौटी।
लाश को जला कर नहर में बहा दिया था आरोपियों ने
सीबीआई ने जब भंवरी देवी मामले की जांच की तो सामने आया कि आरोपियों ने भंवरी देवी का अपहरण करने के बाद उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी थी। उसके शव को जालोड़ा में 30 फीट गहरा गड्ढा खोदकर जला दिया था। शव को जलाने के बाद पास से ही निकल रही राजीव गांधी लिफ्ट नहर में जले हुए अवशेष बहा दिए थे। सीबीआई ने बाद में इस नहर से भंवरी देवी की घड़ी, उसके दांत और जली हुई हडि्डयों के कुछ अवशेष बरामद करके डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल अमेरिका भेजे थे।
प्रशासन ने मृत्यु प्रमाण नहीं दिया तो बच्चों ने कोर्ट में याचिका लगाई
जिला प्रशासन ने जब भंवरी देवी का मृत्यु प्रमाण नहीं दिया तो भंवरी देवी के तीनों बच्चों ने हाईकोर्ट में 6 फरवरी 2018 को याचिका दाखिल की। उनका केस एडवोकेट यशपाल खिलेरी और विनिता ने लड़ा। कोर्ट में करीब 6 साल तक केस की सुनवाई चलती रही। आखिर में हाई कोर्ट जज अरूण मोंगा ने फैसला भंवरी देवी के बच्चों के पक्ष में दिया। एडवोकेट यशपाल खिलेरी ने कोर्ट में तीन मुख्य दलील पेश की थी, जिसे फैसला उनके पक्ष में आया।
दलील 1 : अगर मौत नहीं तो सीबीआई ने चार्जशीट कैसे पेश की
एडवोकेट खिलेरी ने दलील दी कि भंवरी देवी को जिला प्रशासन मृत नहीं मान रहा तो सीबीआई ने उसकी ही हत्या के मामले में चार्जशीट पेश कैसे कर दी? सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में भंवरी देवी की 1 सितंबर 2011 को हत्या होना बताया है। अगर भंवरी देवी की मौत या हत्या नहीं हुई है तो सीबीआई ने चार्जशीट कैसे पेश की?
दलील 2 : बेटे को अनुकंपा पर नौकरी कैसे दी
भंवरी देवी की हत्या के बाद सीबीआई की जांच रिपोर्ट के आधार पर भंवरी देवी के बेटे साहिल को सरकार ने 28 फरवरी 2012 को एलडीसी पद पर अनुकंपा नौकरी दी थी। अगर जिला प्रशासन भंवरी देवी को मृत नहीं मानता तो फिर बेटे को अनुकंपा पर नौकरी किस आधार पर दी।
दलील 3 : आवेदन पति नहीं, बेटियों ने किया है
कोर्ट में सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य विभाग की ओर से सरकारी वकील ने दलील दी कि भंवरी देवी ने अपना नॉमिनी पति अमरचंद का नाम लिखवा रखा था। जांच में सामने आया था कि अमरचंद ने ही अपनी पत्नी भंवरी देवी की हत्या में शामिल था। नियम अनुसार नॉमिनी ही हत्या में शामिल हो तो पेंशन व अन्य सेवानिवृत्ति परिलाभ नहीं दिए जा सकते। इस पर एडवोकेट खिलेरी ने दलील दी कि अमरचंद नहीं भंवरी देवी की बेटियों ने पेंशन व अन्य सेवानिवृति परिलाभ लेने के लिए आवेदन किया है। वहीं अमरचंद भी भंवरी देवी के बच्चों को पेंशन व सेवानिवृति परिलाभ देने के लिए अपनी सहमति दे चुका है।
कोर्ट ने चार महीने में बच्चों को पेंशन और सेवानिवृति देने का आदेश दिया
6 साल तक सुनवाई चलने के बाद हाईकोर्ट जज अरूण मोंगा ने 12 जनवरी 2024 को फैसला सुनाते हुए भंवरी देवी के बच्चों को पेंशन और रिटायरमेंट के सभी लाभ देने का आदेश जारी किया। इसमें चिकित्सा विभाग को भंवरी देवी के 1 सितंबर 2011 से बकाया सेवा परिलाभ और नियमित पेंशन व सेवानिवृत्ति परिलाभ की गणना कर समस्त परिलाभ चार महीने में ब्याज के साथ देने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही ये आदेश भी दिया कि भंवरी के पति अमरचंद का हिस्सा डिपार्टमेंट के पास रहेगा। अगर केस में पति अमरचंद बेगुनाह साबित होता है तो उसे उसका हिस्सा दिया जाएगा।
किसे मिलेगा पेंशन और सेवानिवृति परिलाभ
नियम के अनुसार अगर कर्मचारी की मौत या हत्या में उसकी नॉमिनी शामिल हो तो परिलाभ नॉमिनी को नहीं मिलते हैं। बच्चों को 25 वर्ष तक की आयु तक लाभ मिलते हैं। शादी होने के बाद यह लाभ नहीं मिलते हैं। अगर आश्रित की आय प्रतिमाह 6 हजार से ज्यादा से तो लाभ नहीं मिलता है। इन नियमों के आधार पर भंवरी देवी के पति और बेटे साहिल (29) को यह लाभ नहीं मिल सकता था। बेटे को उसकी जगह अनुकंपा नौकरी मिली थी।वहीं पति नॉमिनी था और उसकी हत्या में शामिल था। भंवरी देवी की बेटी कुमारी अश्विनी (27), कुमारी सुहानी (18) और वृद्ध मां पुनी देवी (75) को इन सेवाओं का लाभ मिल पाएगा।
इस तरह बड़े लोगों के संपर्क में आई भंवरी देवी
36 वर्षीय भंवरी देवी जोधपुर के पास एक सरकारी अस्पताल में नर्स थी। साथ ही राजस्थानी गीतों के एलबम में काम भी करती थी। इसी दौरान वह मलखान के संपर्क में आई और दोनों की दोस्ती हो गई। इस दोस्ती ने भंवरी में भी राजनीति में एंट्री की इच्छा पैदा कर दी। मलखान, भंवरी को राजनीति में एंट्री दिलाने में विफल रहा। भंवरी मलखान पर दबाव बनाने लगी और उसकी संपत्ति में हिस्सेदारी मांगनी शुरू कर दी।
भंवरी के साथ समझौता करने को मलखान की बहन इंद्रा की एंट्री हुई। इंद्रा सहित अन्य परिजनों ने भंवरी के साथ कुछ ले देकर सम्मानजनक समझौता कर उससे पीछा छुड़ाने का प्रयास किया। भंवरी ने धमकी दी कि वह खेजड़ली शहीदी मेले में विश्नोई समाज के सामने मलखान और अपने प्रेम संबंधों का खुलासा कर देगी। इसे लेकर उसकी इंद्रा के साथ काफी लंबी तकरार भी हुई। इसके कुछ दिन बाद भंवरी गायब हो गई।
सीबीआई ने की मामले की जांच
1 सितंबर 2011 को जोधपुर जिले के बिलाड़ा थाने में भंवरी देवी के पति अमरचंद ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी पत्नी एएनएम भंवरी देवी लापता है। उसने पत्नी के अपहरण की आशंका जताते हुए राज्य सरकार में तत्कालीन मंत्री महिपाल मदेरणा सहित दो-तीन लोगों पर शक जाहिर किया। इसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया।
मामले की जांच कुछ आगे बढ़ती, इस बीच राज्य सरकार ने विरोध को ध्यान में रखकर जांच CBI को सौंप दी। CBI ने तीन दिसम्बर 2011 को महिपाल मदेरणा से पूछताछ की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। बाद में इस मामले में कांग्रेस विधायक मलखान सिंह विश्नोई को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा इस मामले में 15 अन्य गिरफ्तारियां भी हुईं।
सीडी से मचा बवाल
भंवरी ने दावा किया था कि उसके पास महिपाल और मलखान के साथ सीडी है। इसी सीडी के दम पर भंवरी देवी महिपाल मदेरणा और मलखान विश्नोई को ब्लैकमेल कर रही थी। सीडी बरामद करने के उद्देश्य से ही भंवरी का अपहरण हुआ, लेकिन बीच रास्ते मामला बिगड़ गया। भंवरी को काबू करने के प्रयास में उसका दम टूट गया।
भंवरी देवी की हत्या के बाद आरोपियों ने उसके शव को जालोड़ा में एक 30 फीट गहरे गड्डे में जला दिया। जलने के बाद शव के बच्चे अवशेष को पास ही स्थित राजीव गांधी लिफ्ट नहर में बहा दिया।
एफबीआई ने डीएनए टेस्ट
सीबीआई ने जब नहर से भंवरी देवी की हडि्डयों अवशेष बरामद किए तो उन्हें डीएनए टेस्ट के लिए अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई को भेजा गया था। बाद में एफबीआई ने डीएनए की जांच कर पुष्टि की थी कि वो भंवरी देवी के ही थे। लेकिन कोर्ट में एफबीआई अधिकारी गवाही के लिए पेश नहीं हो सके तो यह साबित नहीं हो पाया।