10 साल बाद सेना से मिला शहीद का दर्जा:200 फीट गहरी खाई में गिर गए थे नीमकाथाना के ओमप्रकाश; BSF अधिकारी प्रमाण-पत्र देने आए
10 साल बाद सेना से मिला शहीद का दर्जा:200 फीट गहरी खाई में गिर गए थे नीमकाथाना के ओमप्रकाश; BSF अधिकारी प्रमाण-पत्र देने आए

नीमकाथाना : नीमकाथाना जिले के जवान ओमप्रकाश को 10 साल बाद सेना की तरफ से शहीद का दर्जा दिया गया है। शनिवार को बीएसएफ अधिकारी शहीद ओमप्रकाश के घर अवारसिंह कली पुरानाबास में पहुंचे। उन्होंने परिजनों को ‘ऑपरेशन केज्यूल्टी प्रमाण-पत्र’ दिया है।
इसके साथ परिवार को शहीद के परिजनों को दिए जाने वाली आर्थिक सहायता और अन्य सुविधाएं देने का आश्वासन दिया। इस मौके पर शहीद की मां ने कहा कि उसने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। आज सेना ने उसकी शहादत का प्रमाण दिया है।

सुखी से दयनीय हो गया हमारा परिवार
शहीद के पिता बाबूलाल यादव (55) ने बताया- उनका बेटा ओमप्रकाश यादव 63 बटालियन बीएसएफ में कुपवाड़ा में एएसआई (रेडियो टेक्नीशियन) के पद पर तैनात था। 12 फरवरी, 2014 को एक ऑपरेशन में उनका ट्रक 200 फीट गहरी खाई में गिर गया। इस हादसे में ओमप्रकाश का निधन हो गया था। उस समय बेटे की राजकीय सम्मान से अंत्योष्टि जरूर की गई थी, लेकिन सेना की ओर से उनके इस बलिदान को शहादत का दर्जा नहीं दिया गया था।
बाबूलाल यादव कहते हैं कि पहले उनका सुखी परिवार था। बेटा फौज में था। एक दिन अचानक खबर आई कि ओम प्रकाश शहीद हो गया। उसके बाद परिवार की हालत भी दयनीय हो गई। बेटे के शहीद के दर्जे की मांग को लेकर सैनिक कल्याण विभाग के अधिकारियों को कई बार ज्ञापन दिया। गृह मंत्रालय में बार-बार चिट्ठी लिखी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। आज फौज ने हमारे बेटे को उसका सम्मान लौटाया है। मैं आज बहुत भावुक हूं।

मां बोली-सेना ने उसकी शहादत का आज प्रमाण दिया है
मां संजना देवी (53) भी अपने बेटे को याद कर रोने लगीं। उन्होंने कहा कि 22 साल में उसकी देह घर आई। आज भले ही उसे शहीद का दर्जा कागजों में मिला है, लेकिन मैं तो उसे शुरू से शहीद मानती हूं। उसने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। आज सेना ने उसकी शहादत का प्रमाण दिया है। मैं सेना का धन्यवाद करती हूं।

दोस्त ने कहा- पढ़ाई में होशियार था ओमप्रकाश
शहीद ओमप्रकाश का दोस्त निशान कुमार ने बताया- ओमप्रकाश पढाई में होशियार था। पहले वह पुलिस में जाना चाहता था, लेकिन बचपन मे फौजियों की फिल्म देखकर ओमप्रकाश ने फौजी बनने की जिद्द पकड़ ली थी। सुबह शाम ओमप्रकाश के साथ गांव की सड़कों पर दौड़ लगाया करते थे। बीएसएफ भर्ती दौड़ में भी हम साथ गए थे। स्कूल में लंच भी साथ में करते थे।

22 साल की उम्र में हुए थे शहीद
2012 में ओमप्रकाश 20 वर्ष की उम्र में बीएसएफ में एएसआई के पद पर भर्ती हुए थे। उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू कश्मीर थी। उसके बाद कूपवाड़ा में तैनात थे। 22 साल की उम्र में वह शहीद हो गए। वो अविवाहित थे। ओम प्रकाश के छोटे भाई लालचंद अभी 25 साल के हैं।