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ताजमहल में शाहजहां के उर्स के खिलाफ हिंदू महासभा ने किया अदालत का रुख


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ताजमहल में शाहजहां के उर्स के खिलाफ हिंदू महासभा ने किया अदालत का रुख

ताजमहल में शाहजहां के उर्स के खिलाफ हिंदू महासभा ने किया अदालत का रुख

आगरा : आगरा के ताजमहल में मुगल बादशाह शाहजहां के 369वें उर्स से कुछ दिन पहले, एक दक्षिणपंथी संगठन ने शाहर के सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर इस आयोजन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उसे एक सूफी की बरसी पर मनाया जाने वाला आयोजन है। शाहजहाँ का उर्स हर साल तीन दिनों के लिए ताज महल में आयोजित किया जाता है, जिसका निर्माण उन्होंने खुद करवाया था। इस साल का उर्स मंगलवार से शुरू होना है। शुक्रवार को याचिका दायर करने वाली हिंदू महासभा के जिला अध्यक्ष सौरभ शर्मा ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित स्मारकों के अंदर किसी भी धार्मिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं है और इस प्रकार ताज महल के अंदर उसे मनाया जाना भी “अवैध” था। कोर्ट ने संगठन की याचिका स्वीकार कर ली है और इस पर 4 मार्च को सुनवाई होगी। शर्मा ने कहा, “एएसआई ने पुष्टि की है कि उसने उर्स आयोजन समिति को पहले से कोई अनुमति नहीं दी है” और समिति को “स्मारक के अंदर किसी भी धार्मिक समारोह के आयोजन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि संगठन का इरादा वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर और उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण की तर्ज पर ताज महल परिसर के सर्वेक्षण के लिए भी अदालत में याचिका दायर करने का है। शर्मा ने कहा, “मामले पर जल्द ही आगरा में एएसआई कार्यालय में चर्चा होगी।

यह किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं

उर्स आयोजन समिति के अध्यक्ष सैयद इब्राहिम जैदी ने दिप्रिंट को बताया कि एएसआई को परमिट देने की जरूरत नहीं है और वह हर साल कार्यक्रम की अनुमति देता है जब तक कि यह किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करता है। उन्होंने कहा, “कुछ दिन पहले उर्स की तैयारियों पर चर्चा के लिए एएसआई कार्यालय में एक बैठक हुई थी।” जब दिप्रिंट एएसआई अधीक्षक राज कुमार। पटेल के पास पहुंचा, तो उन्होंने कहा कि प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के अनुसार, उर्स के लिए कोई अनुमति देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, “हम केवल ताजमहल के कर्मचारियों और वहां तैनात केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को सूचित करते हैं कि उर्स आयोजित किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, हमेशा की तरह, उर्स, ईद और शुक्रवार की नमाज जैसी पारंपरिक गतिविधियां ताज महल में जारी रहनी चाहिए।” पाटना के इतिहास का विवरण देते हुए, जैदी ने कहा कि ताज महल के अंदर उर्स आयोजित करने की परंपरा इसके निर्माण के समय (1631 और 1648 के बीच) से चली आ रही है। शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में यह मकसा बनवाने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा, “मुमताज महल का पहला उर्स 392 साल पहले 22 जून, 1632 को मनाया गया था। दूसरा उर्स 26 मई, 1633 को ताज महल के अंदर कब्र के निर्माण स्थल पर तंबू स्थापित करके मनाया गया था। शाहजहां ने लगातार 12 साल तक मुमताज महल के प्रत्येक उर्स में गरीबों के बीच 1 लाख रुपये वितरित किए थे।” जैदी ने बताया, यह ऐतिहासिसक रिकॉर्ड का मामला है। वहीं हिंदू महासभा की दलीलों को खारिज करते हुए, आगरा टूरिस्ट बेलफेयर चैंबर के अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल ने कहा कि शाहजहां का उर्स एक सदियों पुरानी परंपरा है और एएसआई ने इसकी अनुमति दी है।

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