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क्‍या आपने पढ़ी बापू के मर्डर केस की FIR? गोडसे ही नहीं, 12 आरोपी थे, इस जज ने सुनाया था फैसला


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क्‍या आपने पढ़ी बापू के मर्डर केस की FIR? गोडसे ही नहीं, 12 आरोपी थे, इस जज ने सुनाया था फैसला

Mahatma Gandhi Murder Case History: क्या आपको राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मर्डर केस हिस्ट्री पता है? आज बापू की पुण्यतिथि पर आइए जानते हैं उनके मर्डर केस से जुड़े कुछ फैक्ट?

Mahatma Gandhi Murder Case Facts: आज महात्मा गांधी की 76वीं पुण्यतिथि है। पूरा देश आज राष्ट्रपिता को याद कर रहा है। उनके बलिदान को कोटि-कोटि नमन कर रहा है। 15 अगस्त 1947 को आजादी के 5 महीने बाद 30 जनवरी 1948 को बापू की हत्या कर दी गई थी। वे बिड़ला हाउस में प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे कि नाथू राम गोडसे ने उन्हें 3 गोलियां मार दीं। हे राम कहते हुए बापू ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।

पुलिस ने मामले में एक्शन लेते हुए मर्डर केस दर्ज किया और बापू के हत्यारे को सजा सुनाई, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बापू के मर्डर केस में गोडसे समेत 12 आरोपी थे, जिनमें से 7 को सजा सुनाई गई। एक को रिहा किया गया, एक को माफ कर दिया गया और 3 को भगौड़ा करार दिया गया था। आइए आपको बताते हैं बापू के मर्डर केस से जुड़े कुछ अनसुने फैक्ट…

स्पेशल कोर्ट में केस की सुनवाई

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के मर्डर केस की सुनवाई दिल्ली में लाल किला स्थित विशेष न्यायालय में हुई थी। 4 मई 1948 को बॉम्बे पब्लिक सिक्योरिटी मेजर्स एक्ट 1947 की धारा 10 और 11 के तहत स्पेशल कोर्ट बनाई गई थी।

मर्डर केस के आरोपी और दोषी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के मर्डर केस में नाथूराम गोडसे समेत 12 लोगों को आरोपी बनाया गया था, लेकिन इनमें से 7 लोगों को सजा सुनाई गई थी। दिगंबर आर बाडगे को 21 जून 1948 को माफ कर दिया गया था। वीर सावरकर को रिहा किया गया था।

3 आरोपियों गंगाधर दंडवती, गंगाधर जाधव, सुरदेव शर्मा को भगौड़ा करार दिया गया था। नाथूराम गोडसे, नारायण डी आप्टे और विष्णु करकरे को फांसी की सुजा सुनाई गई थी। मदन लाल के पाहवा, शंकर कसित्या, गोपाल गोडसे और दत्तात्रेय परचुरे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

केस से जुड़ी अहम बातें…

  • हत्या का दिन और तारीख- शुक्रवार, 30 जनवरी 1948
  • FIR दर्ज हुई- 30 जनवरी 1948 को शाम के 5 बजकर 17 मिनट
  • FIR दर्ज कराई- तुगलक रोड दिल्ली निवासी नंदलाल मेहता ने
  • पुलिस चार्जशीट- 27 मई 1948 को
  • गवाहों की संख्या- 149
  • FIR में धाराएं- CRPC की धारा 302, 120बी, 109, 114 और 115, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 3, 4, 5 और 6, आर्म्स एक्ट की धारा 19
  • मुकदमा शुरू हुआ- 22 जून 1948 को
  • गवाह-सबूतों की जांच- 6 नवंबर 1948 को पूरी हुई
  • फैसला सुनाया गया- 10 फरवरी 1949 को
  • फैसला सुनाया- न्यायाधीश आत्मा चरण ने
  • फैसले की कॉपी- 27 अध्याय, 110 पेज

जमशेद दोराब नागरवाला थे जांच अधिकारी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मर्डर केस की जांच जमशेद दोराब नागरवाला (Jamshed Dorab Nagarvala) ने की थी। वे उस समय मुंबई पुलिस की स्पेशल ब्रांच के डिप्टी कमिश्नर थे, जो बाद में पदोन्नति लेते हुए IG तक बने। उन्होंने हॉकी इंडिया फेडरेशन के अध्यक्षता भी की थी। जमशेद दोराब नागरवाला न हिंदू थे और न ही मुसलमान, इसलिए केस की जांच उन्हें सौंपी गई थी।

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