जालोर : जालोर के पर्यटन स्थल तोपखाना पर रोजना 15 से 20 पर्यटक आते हैं। लेकिन जिला प्रशासन यहां आधारभूत सुविधाओं की ही सुध नहीं ले रहा है। यहां न तो रोज साफ-सफाई होती है और न ही पीने के पानी की व्यवस्था है। ऐसे में कोटा की एक पर्यटक कविता ने कलेक्टर व आयुक्त के नाम सन्देश लिखकर शिकायत की।
तोपखाना को जालोर का ताज कहा जाता है। लेकिन यहां पर्यटकों को असुविधा हो रही है। रविवार को कोटा से घूमने आई टूरिस्ट कविता ने जिला कलेक्टर, नगर परिषद आयुक्त व पुरातत्व विभाग जोधपुर के अध्यक्ष के नाम रजिस्ट्रर में जालोर के ऐतिहासिक तोपखाने की प्रशंसा करते हुए शिकायत लिखी।
कविता ने लिखा- पर्यटकों के पीने के लिए यहां पानी, वॉशरूम व तोपखाने का इतिहास बताने के लिए ऑडियो की व्यवस्था नहीं है। ये व्यवस्थाएं की जानी चाहिएं। ताकि स्कूल के बच्चों व पर्यटकों को तोपखाने के इतिहास की जानकारी मिल सके।
जालोर के बड़ी पोल में स्थित 7वीं शताब्दी का 276 स्तंभ वाले तोपखाना को जिला प्रशासन के द्वारा पर्यटकों को बढावा देने अलग-अलग तरीको से प्रमोट किया जा रहा है। अब यहां प्रतिदिन 15 से 20 पर्यटकों की आवाजाही हो रही है। जिसमें कई पर्यटक अन्य जिलों से भी पहुंच रहे हैं। महीने के अन्तिम रविवार को व्यापारियों व कार्मिकों की छुट्टी होने पर दिन भर पर्यटकों के आने का सिलसिला चलता है।
इसी बीच कोटा से तोपखाना देखने पहुंची कविता आचार्य ने तोपखाने के रजिस्टर में अपनी एंट्री करते हुए जालोर के तोपखाने की बनावट व कलाकृति की प्रशंसा करते हुए जिला कलेक्टर निशान्त जैन, नगर परिषद आयुक्त अशोक शर्मा व पुरातत्व विभाग जोधपुर के अध्यक्ष इमरान अली के नाम संदेश लिखा।
संदेश में लिखा- जालोर का तोपखाना देखने लायक है। लेकिन पर्यटकों व कर्मिकों के लिए पीने के पानी की व वॉशरूम की व्यवस्था नहीं है, ऐतिहासिक तोपखाने का इतिहास बताने के लिए ऑडियो की व्यवस्था होनी चाहिए।
भीनमाल के पहाड़पुरा गांव से आए रूपाराम ने बताया- तोपखाना देखने लायक है लेकिन पानी व साफ सफाई की व्यवस्था नहीं होने से तोपखाना अपनी आभा खो रहा है।
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जिला कलेक्टर व जिला प्रशासन ने यहां पिछली दीपावली पर रंग बिरगी रोशनी से सजाया गया था। सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक खुलने वाले तोपखाने की लाइटें अब खराब हो गई हैं।