दिल्ली से पैदल चलकर अजमेर पहुंचे कलंदर, दरगाह में पेश की छड़ियां, दिखाए हैरतअंगेज करतब
दिल्ली से पैदल चलकर आए कलंदर ने बताया कि ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स वह हर साल पैदल चलकर छड़ियां पेश करने अजमेर पहुंचते हैं। यह परंपरा करीब 900 साल से चली आ रही है।

अजमेर : सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 812वें उर्स का पैगाम देश के विभिन्न हिस्सों में देते रहे कलंदर शुक्रवार को अजमेर पहुंचे। उन्होंने छड़ियों के जुलूस के साथ हैरतअंगेज करतब दिखाए और फिर दरगाह छड़ियां पेश कर देश में अमन चैन और भाईचारे की दुआएं मांगी।
यह कलंदर दिल्ली के महरौली स्थित कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह से छड़ियां लेकर पैदल रवाना हुए थे। कलंदरों मलंगों ने गरीब नवाज के उर्स का पैगाम देने वालीं छड़ियां हाथ में ली हुई थीं। कलंदरों का जुलूस गंज स्थित चिल्ले से शुरू हुआ, जुलूस में शामिल कलंदर हैरतअंगेज करतब दिखाते हुए लेकर दरगाह पहुंचे।
इस दौरान किसी ने जुबान में नुकिली लोहे की छड़ घुसा ली तो किसी ने गर्दन के आर-पार छड़ निकाल दी। एक कलंदर ने तो तलवार से आंख की पुतलियां बाहर निकाल दी। जिसे देखकर सभी हैरान रह गए। कलंदरों का जगह जगह पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया गया। वहीं, दरगाह के निजाम गेट पर खुद्दाम ख्वाजा की ओर से कलंदरों मलंगों का स्वागत किया गया।
दरअसल, दिल्ली से पैदल चलकर आए कलंदर ने बताया कि ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स वह हर साल पैदल चलकर छड़ियां पेश करने अजमेर पहुंचते हैं। यह परंपरा करीब 900 साल से चली आ रही है। मान्यता है कि कलंदरों की ओर से दरगाह में छड़ियां चढ़ने के बाद से ही उर्स की शुरुआत होती है।