कैसे जातिगत समीकरण में उलझ गया है भजनलाल का मंत्रिमंडल? महारानी खेमे को फिर लग सकती है चोट
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पहले चरण में करीब 20 मंत्री बनाए जा सकते हैं, जिनमें 10 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री हो सकते हैं। पांच से सात जगह खाली रखी जा सकती है। बची हुई जगहों को लोकसभा चुनाव के बाद भरे जाने का विकल्प रखा जा सकता है...
राजस्थान सीएम : राजस्थान में नए सीएम के चयन के बाद अब सबकी नजरें मंत्रिमंडल गठन को लेकर हैं। भले ही मंत्रियों को शपथ दिलाने का अभी कार्यक्रम तय नहीं हुआ है, लेकिन प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं कि कौन मंत्री बनने जा रहा है। मंत्रिमंडल की तस्वीर वरिष्ठता के आधार पर बनेगी या जिले और जातीय संतुलन के आधार पर यह अभी साफ नहीं हुआ, लेकिन भाजपा ने सभी बिंदुओं पर मंथन कर लिया है और अंदर सब कुछ तय हो चुका है। बीते रविवार को ही राज्य के नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बैठक हुई। इस बैठक में करीब 15 नामों को लेकर सहमति बन गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस सप्ताह के भीतर नया मंत्रिमंडल शपथ ले सकता है।
राजस्थान में भाजपा के सबसे ज्यादा विधायक एससी-एसटी, राजपूत, जाट, ब्राह्मण वर्ग से जीतकर आए हैं। इसके अलावा वैश्य और भाजपा का कोर वोट बैंक मानी जाने वाली ओबीसी जातियों के विधायकों की संख्या भी अधिक है। इन जातियों के विधायकों की संख्या के हिसाब से मंत्रिमंडल में जगह देकर जातीय संतुलन बनाने का प्रयास किया जा सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पहले चरण में करीब 20 मंत्री बनाए जा सकते हैं, जिनमें 10 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री हो सकते हैं। पांच से सात जगह खाली रखी जा सकती है। बची हुई जगहों को लोकसभा चुनाव के बाद भरे जाने का विकल्प रखा जा सकता है। बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल में नए चेहरों को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि सीएम के साथ उनकी ट्यूनिंग भी आसान हो। राज्य में कार्मिक विभाग और डीपीआर, गृह विभाग, लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन, कानून, परिवहन विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, शिक्षा और ऊर्जा विभाग बड़े माने जाते हैं। ये विभाग अनुभवी विधायकों को दिए जा सकते हैं।
कौन बनेगा गृहमंत्री सबसे ज्यादा इसी की चर्चा
राज्य का नया गृह मंत्री कौन होगा इसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। भाजपा के शासनकाल में गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी आमतौर पर ऐसे नेता को दी जा सकती है, जिसकी छवि हिंदूवादी नेता की हो। बाबा बालक नाथ और किरोड़ी लाल मीणा का नाम गृह मंत्री के तौर तेजी से चल रहा है। इसके अलावा मंत्रिमंडल में तीन से चार महिलाओं को भी स्थान दिया जा सकता है। भाजपा ने केंद्र में महिला आरक्षण बिल पास करवाया है। वह लागू बाद में होगा, लेकिन मैसेज देने के हिसाब से राजस्थान में महिला मंत्रियों की संख्या में बढ़ोतरी भी की जा सकती है। दीया कुमारी को डिप्टी सीएम बनाकर मैसेज दिया जा चुका है। महिला विधायकों में दीप्ति किरण माहेश्वरी, अनिता भदेल, नौक्षम चौधरी, सिद्धि कुमारी के नाम दावेदारों में हैं।
राजपूत-दलित को भी साधने की कोशिश
राजस्थान में राजपूत भाजपा का कोर वोट बैंक रहा है। पिछले चुनावों में राजपूतों की नाराजगी से भाजपा को नुकसान हुआ था। इस बार 17 विधायक राजपूत समाज से जीतकर आए हैं। राजपूत समाज से प्रमुख नेताओं को मंत्री बनाकर मैसेज दिया जा सकता है। महंत प्रतापपुरी, पुष्पेंद्र सिंह राणावत, विश्वराज सिंह मेवाड़, सिद्धि कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, सुरेंद्र सिंह राठौड़ के नामों पर विचार चल रहा है। दलित वर्ग पर भाजपा मजबूत पकड़ बनाने का प्रयास कर रही है। भाजपा के 16 विधायक दलित हैं। भाजपा ने प्रेमचंद बैरवा को डिप्टी सीएम बनाकर दलित वर्ग को साधने का मैसेज दिया है। इसके अलावा जोगेश्वर गर्ग (जालोर), मदन दिलावर (रामगंजमंडी), जितेंद्र गोठवाल (खंडार) और लालाराम बैरवा (शाहपुरा) के नाम पर भी विचार किया जा रहा हैं। पार्टी ने ब्राह्मण समाज से सीएम बनाया है। करीब 12 विधायक ब्राह्मण विधायक जीतकर आए है। मंत्री बनने की दौड़ में गोपाल शर्मा, जेठानंद व्यास, संजय शर्मा, संदीप शर्मा शामिल हैं।
जाट-आदिवासी और वैश्यों को भी मिलेगा मौका
चुनाव में 12 जाट विधायक जीते हैं। किसानों और लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस वर्ग से भी मंत्री बनाए जाएंगे। जाट विधायकों में झाबर सिंह खर्रा, भैराराम सियोल, जगत सिंह, सुमित गोदारा, अजय सिंह किलक के नाम दावेदारों में हैं। जाटों के अलावा बिश्नोई, कलवी-पटेल, धाकड़ नागर समाज से भी कुछ मंत्री बनाए जा सकते हैं। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए इस इलाके से नए चेहरों को मंत्री बनाया जाएगा। मेवाड़ और आदिवासी बेल्ट में भाजपा हमेशा से मजबूत रही है। इस बार भी मेवाड़ में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन आदिवासी इलाके में बीएपी ने उसकी चिंताएं बढ़ा दी हैं। आदिवासी इलाके से दो से तीन मंत्री बनाए जा सकते हैं। वैश्य वर्ग से भाजपा में आठ विधायक हैं। यह पार्टी का कोर वोटबैंक माना जाता है। वैश्य समाज से दो मंत्री बनाए जा सकते हैं। पश्चिमी राजस्थान में राजपुरोहित समाज भाजपा का कोर बैंक रहा है। छगनसिंह राजपुरोहित को भी मंत्री पद दिया जा सकता है। कुमावत समाज से जोराराम कुमावत का नाम दावेदारों में है।
वसुंधरा समर्थकों को ‘एडजस्ट’ करना बड़ी चुनौती
प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कुर्सी ऐसे ही नहीं छोड़ी, उन्होंने यह पद बहुत बड़ा दिल करके त्यागा है। ऐसे में वसुंधरा राजे के करीबी नेताओं को मंत्रिमंडल से इग्नोर नहीं किया जा सकता है। इस बार के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे के करीबी 28 विधायक भाजपा के टिकट पर जीतकर आए हैं। इसके अलावा 6 विधायक निर्दलीय बने हैं, उसमें भी ज्यादातर उनके समर्थक हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में महज चार महीने का ही वक्त बचा है, जिसके चलते केंद्रीय नेतृत्व कोई बड़ा रिस्क लेने का कदम नहीं उठाएगा। इसलिए माना जा रहा है कि भाजपा वसुंधरा राजे के कई करीबी नेताओं को कैबिनेट में जगह देकर एक संतुलन बना सकती है।
वहीं दूसरी ओर यह भी सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि भाजपा वसुंधरा राजे के समर्थक विधायकों को शायद ही मौका दे। कयास हैं कि वसुंधरा समर्थकों के मंत्री बन जाने पर मंत्रिमंडल में अनावश्यक हस्तक्षेप कर सकती हैं, जो शायद पार्टी हाईकमान को मंजूर ना हो। चर्चा है कि जिस तरह भाजपा ने मुख्यमंत्री के रूप में नए चेहरे भजन लाल को मौका दिया। वैसे ही विधायकों के नए चेहरों को मंत्रिमंडल में मौका दे सकती है।
मंत्री बनने वालों को बनाया जाएगा संसदीय सचिव
जो दावेदार मंत्री नहीं बन पाएंगे, उनके लिए संसदीय सचिव बनाए जाने का विकल्प है। आधा दर्जन संसदीय सचिव भी बनाए जाने हैं। जिन इलाकों से मंत्री नहीं बनेंगे, उन्हें संसदीय सचिव बनाकर प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया जाएगा। राज्य में सीएम सहित 30 मंत्रियों का कोटा है। भजनलाल शर्मा सीएम, दीया कुमारी और डॉ. प्रेमचंद बैरवा डिप्टी सीएम बन चुके हैं। एक सीएम और दो डिप्टी सीएम बनने के बाद अब 30 में से 3 जगह भर चुकी है। कोटे के हिसाब से अब 27 मंत्री बन सकते हैं।