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Delhi : राजधानी की अवैध कॉलोनियों और झुग्गियों में अब तीन साल तक नहीं होगी तोड़फोड़, 40 लाख लोगों को राहत


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Delhi : राजधानी की अवैध कॉलोनियों और झुग्गियों में अब तीन साल तक नहीं होगी तोड़फोड़, 40 लाख लोगों को राहत

दिल्ली की 1,797 झुग्गी-झोपड़ी, क्लस्टर और अनधिकृत कॉलोनियों पर अगले तीन साल तक तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं की जाएगी। लोगों को राहत देने के लिए मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून विशेष प्रावधान विधेयक पर संसद के दोनों सदनों ने सहमति की मुहर लगा दी।

दिल्ली : राजधानी दिल्ली के 40 लाख लोगों के लिए यह बड़ी राहत की खबर है। दिल्ली की 1,797 झुग्गी-झोपड़ी, क्लस्टर और अनधिकृत कॉलोनियों पर अगले तीन साल तक तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं की जाएगी। लोगों को राहत देने के लिए मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून विशेष प्रावधान विधेयक पर संसद के दोनों सदनों ने सहमति की मुहर लगा दी।

विधेयक मंगलवार को पहले लोकसभा, फिर राज्यसभा ने पारित किया। चर्चा का जवाब देते हुए शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि राजधानी के मास्टर प्लान 2041 को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जब तक रूपरेखा तय नहीं होती, कार्रवाई से सुरक्षा देने की जिम्मेदारी सरकार की है। मास्टर प्लान में अनधिकृत निर्माण क्षेत्र में विकास की रूपरेखा तय की जा रही है। ब्यूरो

31 दिसंबर, 2026 तक राहत
विधेयक में अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की समय सीमा 31 दिसंबर 2023 से बढ़ा कर 31 दिसंबर 2026 तक करने का प्रावधान है। दिल्ली में अनधिकृत निर्माण पर राहत देने का सिलसिला 2006 से जारी है। पहली बार ऐसे निर्माण पर कार्रवाई के लिए एक साल की राहत दी गई थी।

अनधिकृत कॉलोनियों में सीलिंग से राहत, 40 लाख को फायदा
केंद्र सरकार ने दिल्ली की अनधिकृत काॅलोनियों में रहने वाले लोगों को बड़ी राहत दी है। इन काॅलोनियों में रहने वाली करीब 40 लाख की आबादी को सीलिंग या मकान टूटने का खतरा नहीं रहेगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून विशेष अधिनियम से सीलिंग से राहत की अवधि तीन साल बढ़ाने से अनधिकृत काॅलोनियों का व्यवस्थित विकास होगा। इस पहल से केंद्र सरकार की जहां झुग्गी वहीं मकान योजना का भी गति मिलेगी। वहीं, लैंड पुलिंग का रास्ता भी साफ होगा।

दरअसल, अनधिकृत कॉलोनियों में अमूमन मकानों को तोड़ने या सील करने का अभियान चलता रहता है। करीब 1797 अनधिकृत कॉलोनियां रिहायस छिन जाने की तलवार हर वक्त लोगों के सिर पर लटकी रहती है। इसमें अनधिकृत काॅलोनियों के साथ क्लस्टर व झुग्गी बस्ती शामिल है। इसमें बड़ी संख्या में मध्यम व गरीब वर्ग के लोग रहते हैं। बड़ी आबादी के प्रभावित होने से यह मसला सियासी तौर पर बेहद संवेदनशील है। सभी राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे को इसके लिए कठघरे में खड़ा करती हैं।

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दिल्ली के लिए यह बेहद अहम मसला था। विस्तार न होने पर बड़ी आबादी के सिर से छत छिन जाने का संकट था। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ने इससे बड़ा सियासी दांव चला है। इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून विशेष अधिनियम 31 दिसंबर 2023 का खत्म हो रहा था। इसे विस्तार देते हुए लोगों को 31 दिसंबर 2026 तक सीलिंग से राहत दे दी गई। इस बीच दिल्ली विकास प्राधिकरण मास्टर प्लान 2041 तैयार कर लेगा। इससे दिल्ली के व्यवस्थित विकास की कार्य योजना सामने आएगी। दिलचस्प यह कि 2006 से अलग-अलग सरकारों से सीलिंग से राहत देने के लिए इस अधिनियम को विस्तार दिया है।

पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित व अरविन्द केजरीवाल ने सिर्फ घोटाले किए। अनधिकृत कॉलोनियों को पास करना उनका काम था पर इन्होंनेकॉलोनी वालों का दुख नहीं समझा, वो दुख प्रधानमंत्री से देखा नहीं गया तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से अनधिकृत कॉलोनी को पास भी किया व मूलभूत सुविधाओं के लिए पैसे भी दिए।
– प्रवेश वर्मा, सांसद, भाजपा

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में सबको पक्के मकान देने की गारंटी दी थी, लेकिन दिल्लीवासियों को मकान देने की जगह कोरोना काल में अपना 50 करोड़ का शीशमहल तैयार करवा लिया। शहरी विकास मंत्रालय ने दिल्ली के गोविंदपुरी में 3024 फ्लैट बनाए। महिलाओं को 2.5 लाख रुपये की सब्सिडी होम लोन पर देने का काम किया।
– रमेश बिधूड़ी, सांसद, भाजपा 

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