मुनेश गुर्जर का निलंबन रद्द, हेरिटेज निगम मेयर बनी रहेंगी:हाईकोर्ट ने दूसरी बार रद्द किया निलंबन, जांच को दुर्भावनापूर्ण बताया
मुनेश गुर्जर का निलंबन रद्द, हेरिटेज निगम मेयर बनी रहेंगी:हाईकोर्ट ने दूसरी बार रद्द किया निलंबन, जांच को दुर्भावनापूर्ण बताया

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बार फिर जयपुर हेरिटेज नगर निगम की निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर का निलंबन रद्द कर दिया है। जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने निलंबन आदेश को रद्द करते हुए स्वायत्त शासन विभाग की जांच को दुर्भावनापूर्ण बताया। वहीं, एक महीने में फिर से जांच करने के निर्देश भी दिए।
मुनेश के वकील विज्ञान शाह ने बताया- कोर्ट ने अपने आदेश में मेयर के खिलाफ की गई प्रारंभिक जांच को दुर्भावनापूर्ण माना है। हमने कोर्ट को बताया था कि जिस अधिकारी को सरकार ने पिछले निलंबन के दौरान कोर्ट में ओआईसी नियुक्त किया था। उसी को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया गया। उसने मेयर को ऐसे आरोपों को लेकर नोटिस थमा दिया, जो उन पर लगे ही नहीं थे। वहीं, मेयर ने दस्तावेज प्राप्त करने के लिए जो अर्जी दी थी। उसे ही उनका जवाब मान लिया। ऐसे में मेयर को अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया। दुर्भावनापूर्ण तरीके से उन्हें निलंबित कर दिया गया।
एक ही मामले में दो समानांतर जांच नहीं हो सकती
उन्होंने कहा- मुनेश गुर्जर को 11 सितंबर को डीएलबी डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर ने नोटिस जारी किए, क्योंकि डायरेक्टर उच्चाधिकारी है। ऐसे में मेयर डायरेक्टर के सामने उपस्थित हो गईं। वहीं, मामले से जुड़े दस्तावेज दिलाने की मांग की। दूसरी ओर सरकार ने डिप्टी डायरेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर 22 सितंबर को मेयर को निलंबित कर दिया, जो कि नियम विरूद्ध है। एक मामले में दो समानांतर जांच नहीं चलाई जा सकती है।
दरअसल, मुनेश गुर्जर को 22 सितम्बर को सरकार ने दूसरी बार निलंबित कर दिया था, जिसे आज हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। इससे पहले भी मेयर को 5 अगस्त को निलंबित किया गया था। जिसे भी हाईकोर्ट रद्द कर दिया था।
मंगलवार को बहस पूरी हो गई थी
हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर को 22 सितंबर के आदेश से दोबारा निलंबित करने के मामले में हाईकोर्ट में मंगलवार को बहस पूरी हो गई थी। कोर्ट ने मामले में फैसला बाद में देना तय किया था। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह निर्देश मुनेश गुर्जर की याचिका पर दिया था।
मुनेश की ओर से दलील देते हुए कहा गया था कि राज्य सरकार ने प्रार्थिया का निलंबन नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 39 के प्रावधानों व तथ्यों के विपरीत किया है। उसके खिलाफ जिन तथ्यों पर जांच हुई हैं, वे एफआईआर से ही साबित नहीं हो पाए थे। वहीं, मामले में जांच अधिकारी नियुक्त करने का आदेश डीएलबी निदेशक ने निकाला, जबकि ऐसा आदेश राज्यपाल के निर्देशों के तहत ही जारी हो सकता है। इसके अलावा रूल्स ऑफ बिजनेस के तहत मेयर से संबंधित किसी भी कार्रवाई के लिए सीएम से भी अनुमोदन जरूरी है, लेकिन उनका निलंबन व जांच की कार्रवाई स्वायत्त शासन मंत्री के आदेश पर की गई है।
जवाब में राज्य सरकार की दलील थी कि प्रार्थिया को जांच के बाद ही निलंबित किया है और उन पर रूल्स ऑफ बिजनेस बाध्यकारी नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला बाद में देना तय किया था।

पहली बार 5 अगस्त को किया था सस्पेंड
एसीबी ने 4 अगस्त 2023 को जयपुर हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर के घर छापा मारा था। टीम ने मेयर के पति सुशील गुर्जर और दो दलालों को गिरफ्तार किया था। सुशील पर पट्टे बनाने की एवज में 2 लाख रुपए की घूस मांगने का आरोप था। मेयर के घर सर्च में 40 लाख रुपए नकद मिले थे, जिनको गिनने के लिए नोट गिनने की मशीन मंगवानी पड़ी थी। इसके साथ ही एक दलाल के घर भी 8 लाख नकद बरामद हुए थे। इसके बाद 5 अगस्त को स्वायत्त शासन विभाग ने मुनेश गुर्जर को मेयर पद से निलंबित किया था।
हाईकोर्ट ने निलंबन पर लगाई थी रोक
मुनेश गुर्जर ने सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 23 अगस्त को कोर्ट ने सरकार के निलंबन के आदेश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने निलंबन पर रोक लगाते हुए कहा कि सरकार बिना प्राथमिक जांच किए मेयर का निलंबन नहीं कर सकती है। इस निलंबन में सरकार ने जो कानूनी प्रक्रिया अपनाई है, वह पूरी तरह से गलत है। हाइकोर्ट से राहत मिलने के बाद मुनेश गुर्जर ने 24 अगस्त को अपने समर्थकों के साथ निगम ऑफिस पहुंचकर पदभार संभाला था।
22 सितंबर को मेयर और पार्षद पदों से किया निलंबित
घर से 40 लाख और पट्टे की फाइलें बरामद होने के मामले में डीएलबी ने 17 अगस्त को नोटिस जारी कर मुनेश गुर्जर से जवाब मांगा था। मेयर ने जवाब में खुद को निर्दोष बताने के साथ घर से बरामद पैसे को परिवार की जमीन बेचने से जुड़ी राशि बताते हुए एसीबी के आरोपों को सिरे से नकार दिया था। इस जवाब को जांच में सही नहीं माना गया और मुनेश गुर्जर को प्राथमिक जांच में मेयर के पद के दुरुपयोग का दोषी माना। स्वायत्त शासन विभाग ने 22 सितंबर को मुनेश गुर्जर को हेरिटेज मेयर और पार्षद पदों से सस्पेंड कर दिया था।
दोबारा निलंबन के आदेश के खिलाफ मुनेश गुर्जर ने 26 सितंबर को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में मुनेश ने कोर्ट से कहा कि सरकार ने एक बार फिर उन्हें कानून से विपरीत व तथ्यों से परे जाकर निलंबित किया है।