Mayra In Rajasthan: नागौर में मामा ने भांजे की शादी में भरा 1 करोड़ 31 लाख का मायरा, देखने पहुंचे लोग
Mayra in Rajasthan: राजस्थान के मायरे देशभर में सुर्खियां बटोरते हैं। ऐसा ही मायरा नागौर के खींवसर तहसील में भरा गया। जिसे देखने आस-पास के लोग भी पहुंचे।

Mayra in Rajasthan: राजस्थान में इन दिनों शादियों की धूम हैं। मारवाड़ की शादियों में भरा जाने वाला मायरा (भात) देशभर में सुर्खियां बटाेरते हैं। ताजा उदाहरण नागौर का है। यहां एक मामा ने अपने भांजे की शादी में 1 करोड़ 31 लाख रुपये का मायरा भरा। मामा ने भांजे की शादी में 21 लाख रुपये कैश, 75 लाख का प्लाट, कार और सोने-चांदी के आभूषण दिए हैं। यह मायरा प्रदेश ही नहीं पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
जानकारी के अनुसार जोधपुर के चटालिया गांव के हनुमानराम सियाग ने भांजे जितेंद्र की शादी में यह मायरा भरा। हनुमानराम के बहन की शादी नागौर जिले की खींवसर तहसील के धारनावास गांव में हुई। मंगलवार 28 नवंबर को उनके भांजे की शादी थी। इन दौरान हनुमानराम अपनी बहन मंजू देवी के यहां मायरा भरने पहुंचे। हनुमानराम ने बहन मंजू देवी को चुनरी ओढ़ाई और 1 करोड़ 31 लाख रुपये का मायरा भरा। मायरे को देखने के लिए आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग गांव में पहुंचे थे।
जितना बड़ा मायरा उतने ज्यादा लोग
हनुमान राम सियाग जब मायरा भरने के लिए जोधपुर से नागौर के खींवसर रवाना हुए। इस दौरान उनके साथ 600 लोग भी आए। सभी 600 लोग बस, कार और जीपों में बैठकर समारोह में पहुंचे। मायरे की सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा हो रही है। इस दौरान हनुमानराम ने अपनी बहन को चुनरी ओढ़ाई और 21 लाख रुपये कैश, 28 तोला सोना, 75 लाख का प्लाॅट, 15 लाख की कार समेत अन्य सामान दिया।
नागौर के एक किसान हनुमानराम सियाग ने जोधपुर जिले में रहने वाली अपनी बहन की बेटी के विवाह में 1.31 करोड रुपए का मायरा भरा है। इसमें 21 लाख रूपए नकद, 75 लाख रुपए का प्लॉट , 15 लाख रुपए की गाड़ी और 28 तोला सोना दिया गया है।
नागौर जिले में पिछले कुछ वर्षों में भारी भरकम मायरे भरे…— Arvind Chotia (@arvindchotia) November 28, 2023
क्या होता है मायरा?
राजस्थान में बहन के बच्चों की शादी होने पर ननिहाल पक्ष की ओर से मायरा भरा जाता है। राजस्थान के इतर दूसरे राज्यों में इस रस्म को भात भराई कहा जाता है। इस रस्म में ननिहाल पक्ष की ओर से बहन के बच्चों के लिए गहने, कार, कैश और अन्य सामान दिया जाता है। राजस्थान में इस परंपरा को सामाजिक-आर्थिक संस्कार के रुप में भी देखा जाता है।