खेतड़ी : खेतड़ी विधानसभा क्षेत्र में हर चुनाव में मतदाताओं का मूड बदलता रहता है। यहां जातीय समीकरण महत्वपूर्ण होते हैं। खेतड़ी विधानसभा क्षेत्र गुर्जर बाहुल्य होने के कारण यहां 11 बार गुर्जर ही विधायक बने। इसके अलावा तीन बार जाट, दो बार राजपूत व एक बार सैनी विधायक चुने गए हैं।
यहां करीब 60 हजार गुर्जर मतदाता हैं। साल 2013 में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा प्रत्याशी दाताराम गुर्जर के लिए चुनावी सभा करने के लिए खेतड़ी आए थे और खेतड़ी से अपना लगाव भी जोड़ा था। फिर भी भाजपा उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा। मालाराम गुर्जर अकेले ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने तीन बार लगातार विधायक का चुनाव जीतकर हैट्रिक बनाई तो कांग्रेस के डॉ. जितेंद्रसिंह खेतड़ी के ऐसे एकमात्र विधायक रहे जो यहां से जीतने वाले पहली बार मंत्री बने।
डॉ. जितेंद्र सिंह 1998 और 2008 में मंत्री बने। 2018 में उन्हें सीएम सलाहकार बनाया गया। उपचुनाव : दो बार, दोनों ही कांग्रेस जीती, डॉ. जितेंद्रसिंह पहली बार 1988 में जीते खेतड़ी विधान सभा क्षेत्र में दो बार उपचुनाव हुए और दोनों में ही कांग्रेस प्रत्याशी जीते। 1967 का चुनाव स्वतंत्र पार्टी प्रत्याशी ठाकुर रघुवीर सिंह जीते, लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के कारण रघुवीरसिंह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और बीच में ही विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया।
इसके कारण 1969 में उपचुनाव हुआ। इसमें कांग्रेस के शीशराम ओला जीते। 1988 में मालाराम गुर्जर तत्कालीन विधायक का निधन हो जाने के कारण उपचुनाव हुआ। इसमें कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. जितेंद्र सिंह ने हजारीलाल गुर्जर को हराया। ट्रेंड : यहां 11 दफा बाहरी ही जीते, पहली बार जीते मालाराम स्थानीय खेतड़ी में आठ बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की, वहीं तीन बार भाजपा ने, दो बार स्वतंत्र पार्टी, एक-एक बार रामराज्य परिषद, जनता पार्टी, निर्दलीय जीती। 11 बार बाहरी विधायक बने और छह बार स्थानीय विधायक चुने गए। 1977 में पहली बार खेतड़ी के स्थानीय निवासी मालाराम गुर्जर विधायक बने। चुनाव का समीकरण सैनी, राजपूत, जाट, बनिए-ब्राह्मण बदल सकते हैं, जैसा उन्होंने 2013 में बसपा के पूरणमल सैनी को जिताकर किया।