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ग्राउंड पर किस पार्टी की कितनी तैयारी?:सभाएं करने में मोदी-गहलोत आगे, राहुल-वसुंधरा-पायलट पीछे, भाजपा की पहली सूची जारी, कांग्रेस में अब तक इंतजार


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ग्राउंड पर किस पार्टी की कितनी तैयारी?:सभाएं करने में मोदी-गहलोत आगे, राहुल-वसुंधरा-पायलट पीछे, भाजपा की पहली सूची जारी, कांग्रेस में अब तक इंतजार

ग्राउंड पर किस पार्टी की कितनी तैयारी?:सभाएं करने में मोदी-गहलोत आगे, राहुल-वसुंधरा-पायलट पीछे, भाजपा की पहली सूची जारी, कांग्रेस में अब तक इंतजार

जयपुर : आचार संहिता लग गई है। 44 दिन बाद चुनाव हाेने हैं। 23 नवंबर को मतदान और 3 दिसंबर को नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे। आचार संहिता के साथ ही चुनावी महाभारत की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। राजस्थान में इस बार सियासी रण रोमांचक होगा। क्योंकि मध्य प्रदेश या छत्तीसगढ़ से हटकर राजस्थान में भाजपा ने लंबे इंतजार के बाद आचार संहिता की घोषणा होने के बाद पहली सूची जारी की। वहीं कांग्रेस ने अब तक पत्ते नहीं खोले हैं। दोनों ही बड़ी पार्टियां परखी हुई रणनीति के सहारे विधानसभा चुनाव में जाने की तैयारियां कर रही हैं। मीडिया ने दोनों पार्टियाें का एनालिसिस कर जाना कि चुनावों के लिए ग्राउंड पर किस पार्टी की कितनी तैयारी है।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

सभाओं के मामले में भाजपा में नरेंद्र मोदी और कांग्रेस में अशोक गहलोत आगे हैं। यही वजह है कि चुनावों में इस बार मोदी वर्सेज गहलोत का नरेटिव बना हुआ है।
सभाओं के मामले में भाजपा में नरेंद्र मोदी और कांग्रेस में अशोक गहलोत आगे हैं। यही वजह है कि चुनावों में इस बार मोदी वर्सेज गहलोत का नरेटिव बना हुआ है।

प्रचार की रेस में कौन आगे भाजपा या कांग्रेस?
राजस्थान में आचार संहिता लागू होने से पहले 3 महीनों की बात करें तो भाजपा और कांग्रेस के तरीके अलग-अलग रहे हैं। भाजपा में आलाकमान स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह के दौरे बढ़े हैं। वहीं कांग्रेस में स्थानीय स्तर पर सीएम अशोक गहलोत और दूसरे बड़े नेता सभाओं की कमान संभाले हुए हैं।

नरेंद्र मोदी : जुलाई से अब तक 5 सभाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई 2023 से अब तक राजस्थान में 5 बार सभाएं कर चुके हैं। आचार संहिता लगने से पहले उन्होंने सभाओं के जरिए राजस्थान के लगभग हर बड़े क्षेत्र को साधने की कोशिश की। मारवाड़ से जोधपुर और बीकानेर, शेखावाटी के सीकर, ढूंढाड़ के जयपुर और मेवाड़ के चित्तौड़गढ़ में सभा कर चुके हैं।

खास मकसद के साथ हुई मोदी की हर सभा

  • पहली सभा : 8 जुलाई को बीकानेर में। 46 सीटों पर फोकस। नहरी क्षेत्र के वोटर्स को साधा।
  • दूसरी सभा : 27 जुलाई को सीकर में। 21 सीटों पर फोकस। किसान वर्ग को साधने की कोशिश।
  • तीसरी सभा : 25 सितंबर को जयपुर में। 40 सीटों पर फोकस। दीनदयाल उपाध्याय स्मारक पर श्रद्धांजलि देकर भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश भरा।
  • चौथी सभा : 2 अक्टूबर को चित्तौड़गढ़ में। 35 सीटों पर फोकस। सांवलिया सेठ के दर्शन कर हिंदू वोटर्स साधने की कोशिश।
  • पांचवीं सभा : 5 अक्टूबर को जोधपुर में। 43 सीटों पर फोकस। ओबीसी वर्ग और विशेषकर जाट समाज को साधने की कोशिश।
फोटो 25 सितंबर को नरेंद्र मोदी की जयपुर में हुई सभा का है, जहां उन्होंने सभी प्रमुख भाजपा नेताओं के साथ जनता का अभिवादन स्वीकार किया।
फोटो 25 सितंबर को नरेंद्र मोदी की जयपुर में हुई सभा का है, जहां उन्होंने सभी प्रमुख भाजपा नेताओं के साथ जनता का अभिवादन स्वीकार किया।

अमित शाह : संकल्प यात्रा की शुरुआत
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले महीने भाजपा की परिवर्तन संकल्प यात्रा की शुरुआत के समय 3 सितंबर को डूंगरपुर में सभा को संबोधित किया था। यहां उन्होंने बेणेश्वर धाम में पूजा भी की थी। इसके अलावा शाह पिछले दिनों राजस्थान में जयपुर दौरे पर रहे थे। अमित शाह सभा के साथ ही संगठन में भी पूरा दखल रखे हुए हैं।

अमित शाह की सभाओं का मकसद

  • पहली सभा : 26 अगस्त को गंगापुरसिटी में हुई थी। 20 सीटें फोकस में थी। 2018 चुनाव में पूर्वी राजस्थान में भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ था। ऐसे में शाह ने सभा से नाराज वोटरों को साधने की कोशिश की।
  • दूसरी सभा : 3 सितंबर को डूंगरपुर में हुई थी। यहां 15 सीटों पर फोकस। कांग्रेस का वोट बैंक माने जाने वाले आदिवासी वोटरों को साधने की कोशिश की।
फोटो 26 सितंबर को गंगापुर सिटी में अमित शाह की सभा का है। पिछले चुनाव में पूर्वी राजस्थान में भाजपा को काफी नुकसान हुआ था। इस सभा से शाह ने नाराज वोटरों को साधने की कोशिश की थी।

वसुंधरा राजे : खुद की यात्राओं में बिजी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर राजनीतिज्ञों की ही नहीं बल्कि प्रदेश वासियों की भी नजर है। पिछले 3 दशकों से भी अधिक समय के बाद भाजपा पहली बार बिना किसी चेहरे के चुनाव में उतर रही है। पिछले चार चुनाव में राजे भाजपा का चेहरा रही थीं। वे मोदी के दौरों में और संकल्प यात्रा की शुरुआत के समय अच्छे से दिखाई दीं।

बीच-बीच में उन्होंने धार्मिक यात्राएं निकालीं। हालांकि उन्होंने मंदिरों में जाते समय खुद यात्रा शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। प्रत्याशी चयन को लेकर भाजपा की सभी महत्वपूर्ण बैठकों में भी वसुंधरा पहुंच रही हैं, चाहे बैठक दिल्ली हो या जयपुर।

सभाओं के मामले में इस बार वसुंधरा राजे अब तक पीछे रही हैं। हालांकि पीएम मोदी की सभाओं और भाजपा की महत्वपूर्ण बैठकों में उनकी उपस्थिति रही।
सभाओं के मामले में इस बार वसुंधरा राजे अब तक पीछे रही हैं। हालांकि पीएम मोदी की सभाओं और भाजपा की महत्वपूर्ण बैठकों में उनकी उपस्थिति रही।

राहुल गांधी : आदिवासी वोट बैंक को साधने की कोशिश
राहुल गांधी ने विश्व आदिवासी दिवस पर राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा के मानगढ़ में सभा की थी। यहां से उन्होंने बांसवाड़ा के साथ डूंगरपुर, उदयपुर और आस-पास के क्षेत्रों पर प्रचार किया था। यहां सभा के जरिए उन्होंने परंपरागत वोट बैंक को साधा था। इसके बाद जयपुर में मोदी की सभा से दो दिन पहले उनकी रैली हुई थी। यहां स्कूटी पर महारानी कॉलेज से सभा स्थल पर जाना चर्चा का विषय रहा था। शहरी वोटरों के लिहाज से भाजपा का गढ़ माने जाने वाले जयपुर में चुनावी बिगुल फूंका था।

राहुल गांधी की सभा

  • पहली सभा : 9 अगस्त को बांसवाड़ा में। इस सभा में 20 सीटों पर फोकस किया। आदिवासी वोटरों को साधने की कोशिश की।
  • दूसरी सभा : 23 सितंबर को जयपुर में हुई। 40 सीटों पर नजर थी। शहरी वोटर्स और आरक्षण बिल को लेकर महिला वोटर्स को साधने की कोशिश।
फोटो 23 सितंबर को राहुल गांधी के जयपुर दौरे का है। इस दौरान उन्होंने एक छात्रा के पीछे बैठकर स्कूटी की सवारी भी की थी।
फोटो 23 सितंबर को राहुल गांधी के जयपुर दौरे का है। इस दौरान उन्होंने एक छात्रा के पीछे बैठकर स्कूटी की सवारी भी की थी।

अशोक गहलोत : तीन महीने में 50 से ज्यादा सभाएं
गहलोत अकेले तीन महीनों में अकेले 50 से अधिक सभाएं कर चुके हैं। कोटा, जोधपुर सहित लगभग हर बड़े जिले में उन्होंने विभिन्न विकास कार्यों और योजनाओं को लेकर दौरे किए हैं। वहीं विजन डॉक्यूमेंट 2030 को लेकर भी उन्होंने छोटे-बड़े 18 जिले कवर किए हैं। यहां उन्होंने जन संवाद किया और जनता की नब्ज टटोली।

विजन 2030 डॉक्यूमेंट को लेकर अशोक गहलोत 18 जिलों को कवर कर चुके हैं।
विजन 2030 डॉक्यूमेंट को लेकर अशोक गहलोत 18 जिलों को कवर कर चुके हैं।

प्रियंका गांधी : अब तक 1 ही सभा
प्रियंका गांधी ने भी अब तक एक ही सभा की है। जयपुर और टोंक जिलों के बीच निवाई में उन्होंने सभा की थी। इस सभा के जरिए उन्होंने 22 सीटों को कवर करने की कोशिश की थी। भाषण के जरिए कार्यकर्ताओं में जोश भरा था।

मल्लिकार्जुन खड़गे : 2 बार राहुल के साथ आए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राजस्थान में 2 बार आए हैं और दोनों ही बार राहुल गांधी के साथ राजस्थान पहुंचे थे।

सचिन पायलट : केवल आलाकमान की सभाओं में दिखे
सचिन पायलट भी केवल आलाकमान की सभाओं में नजर आ रहे हैं। वे फिलहाल कोई प्रदेश दौरा नहीं कर रहे हैं। पायलट अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक में काफी सक्रिय हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने और विपक्ष में पार्टी होने के कारण प्रदेश भर में जमकर दौरे कर रहे थे।

सचिन पायलट फिलहाल कोई प्रदेश दौरा नहीं कर रहे हैं। वे सिर्फ आलाकमान की सभाओं में ही नजर आ रहे हैं।
सचिन पायलट फिलहाल कोई प्रदेश दौरा नहीं कर रहे हैं। वे सिर्फ आलाकमान की सभाओं में ही नजर आ रहे हैं।

भाजपा : चार यात्राओं से कवर किया राजस्थान
भाजपा ने चुनावी प्रचार की शुरुआत पिछले चार चुनावों की तरह ही 2 सितंबर को भी परिवर्तन यात्रा निकालकर की थी। इस बार चार परिवर्तन यात्राएं निकालीं। चारों दिशाओं से निकली गईं यात्राओं के जरिए भाजपा ने प्रदेश की कुल 200 विधानसभा सीटों को कवर किया था। इस दौरान कुल 8,982 किलोमीटर का सफर तय किया था। अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी दी और केंद्रीय मंत्रियों, प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों तक को बुलाया था। इन यात्राओं का रोडमैप इस तरह तैयार किया गया कि पूरा राजस्थान कवर हो जाए। भाजपा ने अपने प्लान के अनुसार परिवर्तन यात्रा के समापन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाया था।

  • पहली यात्रा : त्रिनेत्र गणेश मंदिर (सवाईमाधोपुर) से शुरू हुई थी। सवाईमाधोपुर, जयपुर, टोंक, भरतपुर की 47 सीटों को कवर किया था। 18 दिन की यात्रा ने 1847 किलोमीटर का सफर किया था।
  • दूसरी यात्रा : बेणेश्वर धाम (डूंगरपुर) से शुरू हुई थी। डूंगरपुर, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, बूंदी, बारां, झालावाड़ की 52 सीटों पर फोकस था। 19 दिन में यात्रा ने 2433 किमी कवर किए।
  • तीसरी यात्रा : रामदेवरा (जैसलमेर) से शुरू हुई थी। जैसलमेर, जोधपुर, नागौर, अजमेर की 51 सीटें कवर की थी। 18 दिन में 2574 किलोमीटर का सफर किया था।
  • चौथी यात्रा : गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) से रवाना हुई थी। बीकानेर, चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर और अलवर की 50 सीटें कवर की थी। 18 दिन में 2128 किलोमीटर का सफर तय किया था।
भाजपा ने चार परिवर्तन यात्राएं निकाली थीं। पहली यात्रा 2 सितंबर को सवाईमाधोपुर से शुरू हुई थी।
भाजपा ने चार परिवर्तन यात्राएं निकाली थीं। पहली यात्रा 2 सितंबर को सवाईमाधोपुर से शुरू हुई थी।

कांग्रेस : बिना यात्रा गहलोत ने कवर किए 18 जिले, 3000 किलोमीटर
कांग्रेस ने घोषित तौर पर कोई राजनीतिक यात्रा नहीं निकाली, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने स्तर पर मिशन 2030 के जरिए राजस्थान के विकास को लेकर सुझाव में 18 जिलों की यात्राएं कीं। उन्होंने 9 दिन में करीब 3000 किलोमीटर तय किए।

गहलोत ने इसके जरिए करीब 80 विधानसभा सीटों को कवर किया। इसके अलावा उन्होंने जनता को योजनाओं के जरिए और विकास कार्यों के तहत जो भी सौगातें दीं, उसके लिए भी कई जिलों में सभाएं कीं।

  • 18 जिले कवर किए : गहलोत ने सीकर, चूरू, नागौर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, जोधपुर, पाली, जालोर, सिरोही जिले में मिशन 2030 की सभा की।
  • मंदिरों में पूजा-अर्चना : इस दौरान गहलोत ने खाटूश्यामजी, सालासर, देशनोक में करणी माता मंदिर, त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, चारभुजा नाथ मंदिर, खरनाल में तेजाजी मंदिर, नाथद्वारा श्रीनाथ जी मंदिर, कल्लाजी मंदिर निंबाहेड़ा में दर्शन भी किए थे।
  • यात्रा की तैयारी: अब कांग्रेस 13 जिलों में ERCP के मुद्दे पर भाजपा पर निशाना साधने के लिए यात्राएं निकालेगी। इससे विधानसभा की 80 सीटों को साधने की योजना है।
गहलोत सभाओं के जरिए 18 जिलों की 80 विधानसभाएं कवर कर चुके हैं।
गहलोत सभाओं के जरिए 18 जिलों की 80 विधानसभाएं कवर कर चुके हैं।

प्रत्याशी सूची जारी करने में कांग्रेस पीछे
राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर जून-जुलाई में माना जा रहा था कि दोनों ही पार्टी कम से कम एक-एक प्रत्याशियों की सूची सितंबर में जारी कर देंगी। ऐसे दावे भी किए गए, लेकिन दोनों ही पार्टियां ऐसा नहीं कर पाईं। भाजपा ने अब आचार संहिता घोषित होेने के बाद पहली सूची जारी की है।

प्रत्याशी सूची जल्दी जारी करने का सबसे ज्यादा जोर कांग्रेस ने दिया था। अब माना जा रहा है कि कांग्रेस अक्टूबर के दूसरे सप्ताह के बाद ही पार्टी प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करेगी।

हालांकि भाजपा ने जल्दी सूची जारी करने का कोई दावा नहीं किया था। फिर भी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बाद राजस्थान में भी भाजपा ने कांग्रेस से पहले सूची जारी कर दी।

दोनों पार्टियों की सूची में देरी की वजह

  • भाजपा : संगठन की ओर से पैनल देरी से बना, इसके बाद आलाकमान के सर्वे और संघ के पैनल से मिलान करने के चलते प्रत्याशियों के चयन में देरी। यही वजह रही कि आचार संहिता के पहले तक भाजपा सूची जारी नहीं कर पाई।
  • कांग्रेस : कांग्रेस के सर्वे में पिछले चुनाव में जीतीं 60 प्रतिशत सीटों पर जनता की उनके विधायकों से नाराजगी की बात सामने आई। विधायकों की सीटों में बदलाव के गणित में पार्टी उलझी हुई है और अब तक पहली सूची जारी नहीं कर पाई।

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