Israel: हमास ने लोहे के ट्यूब-इस्राइली हथियारों के मलबे से तैयार किए हजारों रॉकेट! क्या इसके पीछे ईरान का हाथ?
आखिर हमास को 5000 रॉकेट कहां से मिले। आप भी इन हजारों रॉकेट को तैयार करने की कहानी सुनकर दंग रह जाएंगे। पानी की पाइपों से हमास ने रॉकेट बना डाले। इस्राइल जो मिसाइल दागता था, उसके टुकड़ों से विस्फोटक तैयार किया। ये संगठन अब उनका ही इस्राइल पर इस्तेमाल कर रहा है।

इस्राइल : हमास ने महज बीस मिनट के भीतर इस्राइल के ऊपर 5000 रॉकेट दाग कर जिस युद्ध की शुरुआत की वह रॉकेट उसको मिले कहां से? अब सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि इतनी मात्रा में हमास को रॉकेट की तकनीकी किसने दी और कौन से वैज्ञानिकों ने मिलकर यह रॉकेट तैयार किए। दुनिया की अलग अलग एजेंसियों की जानकारियां और खुफिया एजेंसियों के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फलिस्तीन के संगठन हमास ने कम दूरी की मारक क्षमता वाले रॉकेट को लोहे की ट्यूब, पानी की पाइप और इस्राइली मिसाइल के टुकड़ों का इस्तेमाल करके तैयार किया है। हालांकि, कहा यह जा रहा है कि इन मिसाइलों को डिजाइन करने में ईरान ने हमास की बड़ी मदद की है।
शनिवार को जब इस्राइल के लोग सुबह तकरीबन साढ़े छह बजे उठे तो समूचे इस्राइल में खौफ का मंजर था। दरअसल, इस्राइल के दक्षिणी हिस्से में हमास ने 20 मिनट के भीतर 5000 से ज्यादा रॉकेट दाग कर न सिर्फ दहशत का माहौल पैदा किया था, बल्कि उसके बाद इस्राइल के अलग-अलग शहरों में घुसकर कत्लेआम मचाना शुरू कर दिया।
विदेशी मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि जितनी संख्या में हमास ने इस्राइल पर रॉकेट दागे हैं तो यह सवाल जरूर उठता है कि आखिर उसको गोला बारूद इतनी भारी मात्रा मिली कहां से। वह भी तब जब हमास के पास आधिकारिक तौर पर कोई बजट नहीं होता है। रक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञ प्रोफेसर उत्तम चेत्री का कहना है कि हमास को यह मिसाइल किसी देश की ओर से सौगात के तौर पर नहीं दी गई है, इसमें तकनीकी ट्रांसफर का ही सारा खेल समझ में आता है।
उनका कहना है कि इतनी मात्रा में किसी भी देश से आने वाली मिसाइल न सिर्फ सेटेलाइट के माध्यम से पकड़ में आ जाती बल्कि इस दौरान आने वाले किसी बड़े खतरे का भी अंदाजा हो जाता। इसराइल भी लगातार इस बात की को कहता आया है कि आया है कि हमास जितने भी हथियारों का इस्तेमाल करता है वह ईरान की शह पर और उनकी देखरेख में ही करता है।
सूत्रों की मानें तो इस्राइल के ऊपर दागी गई ज्यादातर मिसाइले हमास ने विशेषज्ञों की देखरेख में स्थानीय स्तर पर लोगों की जरूरतो में इस्तेमाल की जाने वाली चीजों का इस्तेमाल करके ही तैयार किया है। इसमें लोहे की ट्यूब, पानी की पाइप के साथ-साथ इजरायल की ओर से दागी जाने वाली मिसाइल के टुकड़ों का इस्तेमाल करके न सिर्फ रॉकेट बनाए गए, बल्कि अन्य विस्फोटक भी तैयार किए गए।
सूत्रों के मुताबिक, रॉकेट तैयार करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पाइप, चीनी और कंक्रीट की जरूरत को हमास से पहले फिलिस्तीनी इस्लामी जिहाद के आतंकियों ने भी इस्तेमाल किया था। इस्राइल इस बात को लेकर लगातार कहता आया है कि हमास को ईरान के विशेषज्ञों की ओर से न सिर्फ तकनीकी मदद मिलती है बल्कि इस्राइल पर हमला करने के लिए ईरान से हमास और अन्य संगठनों को फंड भी खूब दिया जाता है। जो रॉकेट हमास को मिले हैं उसमें ईरान का ही सबसे बड़ा हाथ इजरायल की ओर से बताया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, 2021 में जब हमास ने इसराइल के ऊपर 4360 रॉकेट दागे थे तो उनमें भी ज्यादातर रॉकेट वही थे जो लोहे की ट्यूब और पानी के पाइप से तैयार किए गए थे। दो साल पहले हुए हमले के दौरान दुनिया की अलग-अलग देशों के विशेषज्ञों की ओर से इस बात की पुष्टि की गई थी कि इजरायल के ऊपर हमास ने जो रॉकेट दागे थे, उनकी न सिर्फ मारक क्षमता कम थी, बल्कि उनका उत्पादन भी स्थानीय स्तर पर लोहे की ट्यूब और पानी की पाइप समेत रोजमर्रा की जिंदगी में घरों में इस्तेमाल होने वाली अन्य जरूरत के समान के साथ ही तैयार की गई थी।
खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यही वजह थी कि जब हमास में इस्राइल पर यह रॉकेट दागे तो इनमें से तकरीबन 680 से ज्यादा रॉकेट गाजा के इलाके में ही गिर गए। यह वह रॉकेट थे जो खराब तरीके से बने थे। कुछ अन्य रॉकेट जो इजरायल के इलाकों में गिरे उनकी दूरी इतनी नहीं थी और वजन भी उस तरीके का नहीं था कि वह बहुत बड़ा विनाश कर पाते। इससे पता चलता था कि इन रॉकेट का निर्माण तो स्थानीय स्तर पर ही हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक, इस्राइल पर शुरुआत से जो हमले होते आए हैं उनमें सबसे ज्यादा इस्तेमाल रॉकेट का ही होता रहा है। यह बात अलग है इजरायल की तकनीकी क्षमता के सामने हमास की तकनीकी क्षमताएं उस मुकाबला की नहीं है। इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के मुताबिक हमास को लगातार ईरान और अन्य देशों की ओर से वह सभी तकनीकी सुविधाएं और एक्सपर्ट समेत युद्ध में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री उपलब्ध कराता रहा है जिससे इस्राइल में न सिर्फ अस्थिरता का माहौल बने, बल्कि युद्ध जैसी स्थितियां पैदा हों। बीते कुछ सालों में इजरायल के साथ हुए युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों का जो डिजाइन सामने आया है उसमें से ज्यादातर ईरान में इस्तेमाल किए जाने वाली तकनीकी डिजाइन ही सामने आई है।
सूत्रों के मुताबिक, विदेशी विशेषज्ञ की मदद से हमास न सिर्फ ड्रोन तैयार कर रहे हैं बल्कि रॉकेट से लेकर उनको दागने में इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन को भी तैयार कर रहे हैं। इसमें जहां हमास ने फाइबर ग्लास से ड्रोन तैयार करते हैं तो लोहे की पाइप के रॉकेट बनाते हैं। इसके अलावा जानकारी इस बात की भी मिली है कि नमक और कस्टर ऑयल से रॉकेट का ईंधन भी तैयार किया जाता है। दुनिया की तमाम बड़ी एजेंसियों के पास मौजूद इनपुट यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि हमास के आतंकियों के पास इस तरीके की तकनीकी के माध्यम से विस्फोटक को तैयार करने की तकनीकी किसी बड़े देश के वैज्ञानिक ही दे सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरीके के रॉकेट का इस्तेमाल हमास कर रहा है वह गाइडेड सिस्टम वाले रॉकेट नहीं दिखते हैं। इसका मतलब है जो भी रॉकेट तैयार हो रहे हैं वह स्थानीय स्तर पर ज्यादातर जुगाड़ तकनीकी से ही बनाए जा रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि कुछ समय पहले हमास ने “शेहाब” नाम का एक ड्रोन तैयार किया था। इस ड्रोन में चीनी इंजन के साथ जीपीएस और कुछ क्षमता वाले कैमरे का इस्तेमाल किया गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि जिस डिजाइन और तकनीकी का या ड्रोन हमास ने तैयार किया था ठीक इसी तरह का ड्रोन यमन में ईरान समर्थक हूती विद्रोही भी इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में इजरायल की खुफिया एजेंसियों का दावा है कि ईरान ही हमास को लगातार तकनीकी और वित्तीय मदद कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि बाद में ऐसी ही तमाम तकनीकियों के आधार पर गोरिल्ला ईरानी फंड की ओर से गाजा इलाके में लंबी दूरी की मार करने वाली मिसाइल को तैयार कराई जाने की पूरी तकनीकियां और व्यवस्थाएं की गई।
खुफिया जानकारी के मुताबिक हमास प्रभावित इलाकों में कई अंडरग्राउंड फैक्ट्रियां ऐसी ही मिसाइल और अन्य आयुध उपकरणों को तैयार करने के लिए लगी हुई है। रक्षा मामलों के जानकारो का कहना है इस्लामिक जिहाद के नेता जायद अल नखाला नहीं भी इस बात का जिक्र किया था कि उनके पास अमेरिका और दुनिया के अन्य ताकतवर देशों से लड़ने के लिए बड़े हथियार भले ना हो लेकिन उनके पास पानी की पाइपे हैं। जिनका इस्तेमाल उनके लड़ाके रॉकेट को तैयार करने में करते हैं। ऐसे रॉकेट से होने वाले हमले इस्राइल पर बीते दो दशक से तो हो ही रहे हैं।
क्रूड रॉकेट तकनीक विकसित कर रहा हमास
हमास लगातार अपनी क्रूड रॉकेट तकनीक विकसित कर रहा है और पिछले कुछ वर्षों में इसने तेल अवीव और यहां तक कि यरुशलम सहित इस्राइल के प्रमुख शहरों को कवर करने के लिए अपनी सीमा बढ़ा दी है। हालांकि, हमास द्वारा लॉन्च किया गया रॉकेट उसे रोकने के लिए दागी गई तामीर मिसाइल की तुलना में काफी सस्ता है। इस्राइल के लिए आयरन डोम का मूल्य इसकी लागत से कहीं ज्यादा मायने रखता है। इसने कई बार खुद को साबित किया है कि यह लक्ष्यों को बेअसर कर सकता है और लोगों की जान बचा सकता है। 2012 में हमास के साथ संघर्ष के दौरान, इस्राइल ने दावा किया था कि गाजा पट्टी से नागरिक और रणनीतिक क्षेत्रों की ओर दागे गए 400 रॉकेटों में से 85 प्रतिशत को बर्बाद कर दिया गया था। साल 2014 के संघर्ष के दौरान, हमास द्वारा कई दिनों के भीतर 4,500 से अधिक रॉकेट दागे गए थे। इस दौरान 800 से अधिक को रोका गया और लगभग 735 को हवा में नष्ट कर दिया गया, इसकी सफलता दर 90 प्रतिशत थी।