तीन सौ साल पुराने शिव मंदिर को लेकर उपजा विवाद; पुलिस और संत की नोक-झोंक के बाद दर्ज हुई एफआईआर
Jaipur Shiva temple Controversy: जयपुर के रामगंज स्थित तीन सौ साल पुराने शिव मंदिर को लेकर पिछले दो दिन से हंगामा चल रहा है। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में स्थित मंदिर में हुई टूट-फुट और शराबियों द्वारा मंदिर को शराबखाना बनाए जाने पर एक हिंदू संत ने विरोध जताया है। चूंकि राज्य में कुछ समय बाद ही चुनाव होने हैं। लेकिन उससे पहले ही अमन-चैन के विरोधी लोग सामाजिक सौहार्द में वैमनस्य फैलाने की कोशिश करने लगे हैं।

जयपुर : छोटी काशी के नाम से विख्यात गुलाबी नगरी जयपुर में प्राचीन काल के अनगिनत मंदिर हैं। लेकिन रामगंज के चौकड़ी तोप खाना स्थित शिव मंदिर जो कि पिछले लंबे समय से बंद है, अब अचानक ही विवाद में आ गया है। खासकर जब से संत बाल मुकुंद आचार्य ने अपने समर्थकों के साथ इस मंदिर का दौरा किया।
इस घटना के बाद हिंदू समुदाय ने किया विरोध
दरअसल, जयपुर में राज्य सरकार द्वारा जब से एक मुस्लिम लड़के की हत्या के बाद तुरंत ही 50 लाख का मुआवजा दिया गया। साथ ही परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी देने की बात कही गई। उसके बाद हिंदू समुदाय ने इसका विरोध शुरू किया और जयपुर स्थित बड़ी चोपड पर हिंदू संगठन द्वारा एक विशाल प्रदर्शन कर सामूहिक हनुमान चालीसा का भी पाठ किया गया। उसी समय संत बाल मुकुंद आचार्य को इस मंदिर की जानकारी मिली।
जानकारी के मुताबिक, संत अपने समर्थकों के साथ मंदिर पहुंचे और वहां मंदिर में हुई टूट-फूट को लेकर नाराजगी जाहिर की। चूंकि यह मंदिर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में स्थित है। लगभग सभी हिंदू परिवार इस क्षेत्र से पलायन कर चुके हैं। इसलिए यह मंदिर लंबे समय से बंद है। उसके बाद से कुछ असमाजिक तत्वों द्वारा इस मंदिर को अपनी मौज-मस्ती का अड्डा बना लिया गया।
संत और पुलिस के बीच हुई नोक-झोंक
संत बाल मुकुंद आचार्य का कहना है कि मंदिर में हड्डियों के टुकड़े, शराब की बोतलें और कूड़े का ढेर मिला है। उन्होंने कहा कि मंदिर में स्थापित विग्रह को भी जानबूझकर कर नुकसान पहुंचाया गया है। संत बाल मुकुंद आचार्य ने इसकी शिकायत रामगंज थाना प्रभारी से भी की। जहां संत और उनके समर्थकों और थाना प्रभारी के बीच कहासुनी तक हुई, जिसका वीडियो भी वायरल किया गया। अंततः पुलिस द्वारा संत की शिकायत दर्ज की गई। अगले दिन यानी शुक्रवार को संत बाल मुकुंद आचार्य ने मंदिर स्थल पर ही प्रेसवार्ता का आयोजन कर प्रशासन में खलबली मचा दी। पुलिस संत की खोज में लग गई और दोपहर तक सूचना आई कि संत को गिरफ्तार किया जा सकता है। लेकिन पुलिस के आग्रह पर संत ने शांतिपूर्ण तरीके से मंदिर स्थान पर मीडिया से बातचीत की और मंदिर के हालात से प्रेस को अवगत कराया। पुलिस ने भी अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज कर लिया है।
शांति व्यवस्था पर मंडरा रहे काले बादल
आशंका जताई जा रही है कि मंदिर का विवाद आसानी से निपटने वाला नहीं है, क्योंकि मंदिर के चारों ओर मुस्लिम आबादी है जो पिछले कई दशकों से वहां रह रही है। मंदिर के पास ही एक मीट की दुकान भी है जो कई सालों से चल रही है। मंदिर की सेवा के लिए कोई भी वहां रुकने को तैयार नहीं है और रोज वहां जाने को भी तैयार नहीं है। ऐसी परिस्थिति में मंदिर को लेकर उपजे विवाद को लेकर राजधानी जयपुर की शांति व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए पुलिस-प्रशासन को और मुस्तैद होने की जरूरत है।