बता दें कि बड़े पर्दे पर लाखों दिलों की धड़कन बन चुकीं आशा पारेख असल जिंदगी में बिल्कुल अकेली हैं। उन्होंने पूरी जिंदगी शादी नहीं की है। अभिनेत्री को शादी न करने का कोई अफसोस नहीं है। आशा पारेख का कहना था कि उनकी किस्मत में शादी लिखी ही नहीं थी और वह ऐसे ही खुश हैं कि वह सिंगल हैं। बताया जाता है कि अपने समय में उनकी छवि एक ऐसी अभिनेत्री की थी, जिस तक पहुंचना या मिलना आसान नहीं था। शायद इसीलिए किसी ने कभी भी उनका हाथ नहीं मांगा। दरअसल, वर्ष 1959 में आई फिल्म ‘दिल दे के देखो’ से बॉलीवुड में कदम रखने वालीं आशा पारेख को अपनी डेब्यू फिल्म की शूटिंग के दौरान ही निर्देशक से प्यार हो गया था।
फिल्म ‘दिल दे के देखो’ के निर्देशक नासिर हुसैन थे, जिन्होंने ‘तीसरी मंजिल’ और ‘फिर वही दिल लाया हूं’ जैसी शानदार फिल्में बनाई हैं। आमिर खान के अंकल और निर्देशक नासिर हुसैन की शानदार शख्सियत पर आशा पारेख अपना दिल हार बैठी थीं और देखते ही देखते दोनों एक-दूसरे के प्यार में डूब गए थे। आशा पारेख ने अपनी बायोग्राफी ‘द हिट गर्ल’ में जब इस बात का जिक्र किया, तब पूरी दुनिया के सामने उनके प्यार की यह कहानी सामने आई थी। इस किताब की लॉन्चिंग के दौरान आशा ने इस बात को स्वीकारा था कि नासिर एकमात्र ऐसे इंसान थे, जिनसे उन्होंने कभी प्यार किया था।
आशा पारेख ने उस दौर में करीब 95 से अधिक फिल्मों में काम किया हैं। जिसमें ‘जब प्यार किसी से होता है’ (1961), ‘फिर वही दिल लाया हूं’ (1963), ‘मेरे सनम’ (1965), ‘तीसरी मंजिल’ (1966), ‘बहारों के सपने’ (1967), ‘शिकार’ (1968), ‘प्यार का मौसम’ (1969), ‘कटी पतंग’ (1970) और ‘कारवां’ (1971) जैसी शानदार फिल्मों के नाम शामिल हैं। सिनेमा में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया। साथ ही वर्ष 2020 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।