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राजस्थान के 12 जिलों में गुर्जरों का प्रभाव, फिर सिर्फ टोंक से विधूड़ी कैसे साध पाएंगे सियासत


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राजस्थान के 12 जिलों में गुर्जरों का प्रभाव, फिर सिर्फ टोंक से विधूड़ी कैसे साध पाएंगे सियासत

Rajasthan: राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दरअसल रमेश विधूड़ी को राजस्थान भेजने के पीछे दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण मजबूत कारण जो नजर आ रहा है वह यह है कि राजस्थान में ध्रुवीकरण की सियासत को मजबूती के साथ आगे बढ़ाया जा सके...

टोंक : राजस्थान में तकरीबन 12 से ज्यादा जिले ऐसे हैं, जिनमें गुर्जरों का बड़ा प्रभाव है। पांच फीसदी से ज्यादा गुर्जरों की आबादी वाले इस राज्य में टोंक महज एक इलाका है जहां पर भी गुर्जरों की तादाद ज्यादा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठना है कि बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद भाजपा के सांसद रमेश बिधूड़ी को टोंक का प्रभारी बनाकर आखिरकार राजस्थान की राजनीति में क्या सियासी मैसेज दिया गया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर गुर्जरों की सियासत साधने के लिए ही रमेश विधूड़ी को राजस्थान भेजा गया होता, तो वह सिर्फ एक जिले तक ही सीमित नहीं रहते। दरअसल सियासी विश्लेषकों का मानना है कि विधूड़ी के माध्यम से राजस्थान की सियासत में ध्रुवीकरण के लिहाज से बड़ा सियासी दांव चला गया है।

सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा सांसद और अपने विवादित बयान के बाद चर्चा में आए रमेश विधूड़ी को भाजपा ने जिस तरह राजस्थान में उतारा है, उसके पीछे दो महत्वपूर्ण कारण नजर आ रहे हैं। सियासी जानकार हरगोविंद शर्मा कहते हैं जिस टोंक जिले का विधूड़ी को इंचार्ज बनाया गया है, दरअसल वह सचिन पायलट का सबसे बड़ा गढ़ है। लेकिन उनका कहना है कि सिर्फ टोंक ही नहीं बल्कि समूचे राजस्थान में सचिन पायलट को गुर्जर समुदाय का बड़ा नेता माना जाता है। प्रदेश में तकरीबन पांच फ़ीसदी गुर्जर समुदाय का राज्य के लगभग 33 विधानसभा सीटों पर बड़ा सियासी प्रभाव है। जिसमें भरतपुर, करौली, जयपुर, धौलपुर दौसा, सवाई माधोपुर, टोंक, भीलवाड़ा, कोटा, अजमेर, बूंदी और झुंझुनू जिले शामिल हैं। शर्मा कहते हैं कि अगर विधूड़ी को गुर्जरों को साधने के लिए बड़ा नेता बनाकर राजस्थान भेजा गया है, तो वह सिर्फ एक क्षेत्र में ही क्यों सीमित हैं।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दरअसल रमेश विधूड़ी को राजस्थान भेजने के पीछे दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण मजबूत कारण जो नजर आ रहा है वह यह है कि राजस्थान में ध्रुवीकरण की सियासत को मजबूती के साथ आगे बढ़ाया जा सके। राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार श्यामचरण कौतिक कहते हैं कि जिस तरीके से भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने बसपा सांसद को लेकर संसद भवन में टिप्पणी की वह मुस्लिम समुदाय के लिहाज से की जाने वाले सियासत में सियासी रूप से बड़ा खाद-पानी देने वाला मामला नजर आया। उनका कहना है कि विधूड़ी की ओर से दानिश अली पर की गई टिप्पणी के बाद जिस तरह से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने बहुत तेजी से अपनी सक्रियता दिखाई, उससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सियासत में भाजपा सांसद की ओर से एक मुस्लिम नेता के लिए की गई टिप्पणी कितना बड़ा मुद्दा बन गई है। यही वजह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष ने दानिश अली के घर जाकर मुलाकात की। उनका मानना है कि बसपा सांसद दानिश अली पर टिप्पणी करके रमेश बिधूड़ी को अगर पार्टी बड़ा चेहरा बनाकर सियासी राज्य में मैदान में उतरती है, तो ध्रुवीकरण के लिहाज से विधूड़ी का चेहरा सियासी तौर पर भाजपा के लिए मुफीद हो सकता है। सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की भी हो रही है कि विधूड़ी के हालिया बयान से भाजपा को राजस्थान में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की उम्मीद दिख रही है।

हालांकि राजस्थान के जिस टोंक इलाके में विधूड़ी को इंचार्ज बनाकर भेजा गया है, वह कांग्रेस नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे सचिन पायलट का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है। सियासी जानकारों का कहना है कि वैसे तो राजस्थान में गुर्जरों का झुकाव भाजपा की ओर माना जाता है, लेकिन सचिन पायलट की सक्रियता और बीते चुनाव के परिणामों से गुर्जर बाहुल्य इलाकों में कांग्रेस ने भी बड़ा मैदान मारा था। गुर्जरों को कांग्रेस के पक्ष में करने और माहौल बनाने में सचिन पायलट की बड़ी भूमिका मानी जाती है। आंकड़े बताते हैं कि 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने 12 गुर्जर समुदाय से अपने प्रत्याशी उतारे थे। जबकि भाजपा ने इसी समुदाय से 9 प्रत्याशियों को सियासी मैदान में उतारा था। कांग्रेस के 12 गुर्जर प्रत्याशियों में से 7 प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। जबकि भाजपा से कोई भी गुर्जर समुदाय का प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में जीत नहीं दर्ज कर सका था।

राजस्थान के सियासी गलियारों में माना जा रहा है कि रमेश विधूड़ी को टोंक में गुर्जर समुदाय को साध कर आने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की बड़ी जिम्मेदारी ही दी गई है। क्योंकि जिस टोंक इलाके का उन्हें इंचार्ज बनाया गया है, वाहां पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट का बड़ा वजूद है। राजनीतिक विश्लेषक हरगोविंद मीना कहते हैं कि अगर भाजपा ने सचिन पायलट के गढ़ में विधूड़ी को भेज कर गुर्जरों को साधने की ही असलियत में तैयारी की है, तो निश्चित तौर पर आने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजे विधुड़ी का भी सियासी कद तय करेंगे। क्योंकि पिछले चुनाव में भाजपा के हिस्से से गुर्जर नेता विधानसभा नहीं पहुंचे थे।

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